प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने प्रिंट मीडिया संगठनों को एक एडवाइज़री जारी कर कहा है कि यह सुनिश्चित करना ‘अख़बार का कर्तव्य’ है कि किसी लेख का लहजा, भावना और भाषा ‘आपत्तिजनक, उत्तेजक, देश की एकता-अखंडता, संविधान की भावना के ख़िलाफ़, प्रकृति में देशद्रोही न हो या इसे सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देने के लिए न बनाया गया हो’.
नई दिल्ली: प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने बीते बुधवार (24 जनवरी) को एक एडवाइजरी जारी कर प्रिंट मीडिया संगठनों से ऐसी सामग्री प्रकाशित करने से परहेज करने को कहा जो झूठी या छेड़छाड़ की गई हो या जो सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की क्षमता रखती हो.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रेस काउंसिल ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की उन टिप्पणियों का हवाला दिया, जिसमें अयोध्या में राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह से संबंधित ‘कुछ असत्यापित, भड़काऊ और फर्जी संदेश’ प्रसारित किए जा रहे हैं, जिसके बारे में सरकार ने कहा है कि इससे सांप्रदायिक सद्भाव और सार्वजनिक व्यवस्था बिगड़ सकती है.
सूचना और प्रसारण मंत्राल की सलाह को सुदृढ़ करते हुए कि मीडिया प्लेटफार्मों को विशेष रूप से सार्वजनिक व्यवस्था, प्रकाशित और प्रसारित होने वाली जानकारी की तथ्यात्मक सटीकता और सांप्रदायिक सद्भाव से संबंधित मामलों में लागू मानदंडों और विनियमों का पालन करना चाहिए, प्रेस काउंसिल की ओर से कहा गया है कि प्रिंट और टीवी मीडिया को ‘गलत, निराधार, घटिया, भ्रामक या विकृत सामग्री के प्रकाशन से बचना चाहिए’.
एडवाइजरी में यह भी कहा गया है कि यह सुनिश्चित करना ‘अखबार का कर्तव्य’ है कि किसी लेख का लहजा, भावना और भाषा ‘आपत्तिजनक, उत्तेजक, देश की एकता और अखंडता, संविधान की भावना के खिलाफ, प्रकृति में देशद्रोही और भड़काऊ न हो या इसे सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देने के लिए न बनाया गया हो’.
प्रेस काउंसिल ने इस बात पर भी जोर दिया कि राष्ट्रीय हित सर्वोपरि होना चाहिए और कहा कि समाचार पत्र, ‘स्व-नियमन के मामले में’, किसी भी समाचार, टिप्पणी या जानकारी को प्रस्तुत करने में उचित संयम और सावधानी बरतेंगे, जिससे ‘देश और समाज के सर्वोपरि हितों को खतरे में डालने या नुकसान पहुंचाने’ की संभावना है.