संयुक्त राष्ट्र की बैठक से पहले भारत ने काबुल में तालिबान के क्षेत्रीय सम्मेलन में भाग लिया

क्षेत्रीय सम्मेलन में तालिबान के विदेश मंत्री ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान को संयुक्त राष्ट्र के किसी विशेष प्रतिनिधि के साथ नए मिशन की ज़रूरत नहीं है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस 18-19 फरवरी को क़तर की राजधानी दोहा में अफ़ग़ानिस्तान पर क्षेत्रीय देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के विशेष दूतों की एक बैठक की मेज़बानी करेंगे.

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काबुल में हुए क्षेत्रीय सम्मेलन के दौरान भारत की ‘तकनीकी’ टीम के प्रमुख रामबाबू चेलप्पा (बाएं). (फोटो साभार: एक्स/@HafizZiaAhmad)

क्षेत्रीय सम्मेलन में तालिबान के विदेश मंत्री ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान को संयुक्त राष्ट्र के किसी विशेष प्रतिनिधि के साथ नए मिशन की ज़रूरत नहीं है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस 18-19 फरवरी को क़तर की राजधानी दोहा में अफ़ग़ानिस्तान पर क्षेत्रीय देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के विशेष दूतों की एक बैठक की मेज़बानी करेंगे.

काबुल में हुए क्षेत्रीय सम्मेलन के दौरान भारत की ‘तकनीकी’ टीम के प्रमुख रामबाबू चेलप्पा (बाएं). (फोटो साभार: एक्स/@HafizZiaAhmad)

नई दिल्ली: भारत ने बीते सोमवार (29 जनवरी) को अफगानिस्तान पर अगले महीने संयुक्त राष्ट्र द्वारा बुलाई गई बैठक से पहले तालिबान सरकार द्वारा आयोजित एक ‘क्षेत्रीय सम्मेलन’ में हिस्सा लिया. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में आयोजित यह इस तरह का पहला कार्यक्रम था.

अफगानिस्तान की ‘क्षेत्रीय सहयोग पहल’ नाम की इस बैठक की अध्यक्षता तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने की. इसमें रूस और चीन के विशेष दूतों ने भी भाग लिया.

इसके अलावा बैठक में भारत, पाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के रेजिडेंट राजनयिकों (Resident Diplomats) ने हिस्सा लिया.

चूंकि तालिबान सरकार को अब तक औपचारिक अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त नहीं हुई है, इसलिए बैठक में उपस्थित राजनयिकों को ‘राजदूत’ के रूप में नहीं, बल्कि ‘चीफ डी’अफेयर्स’ के रूप में नामित किया गया था.

भारत के मामले में नई दिल्ली की काबुल में एक ‘तकनीकी’ टीम है, जिसके प्रमुख रामबाबू चेलप्पा ने सम्मेलन में भाग लिया.

तालिबान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा सोशल साइट एक्स पर किए गए एक पोस्ट के अनुसार, भारत के प्रतिनिधि ने कहा कि उसने अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय पहल में सक्रिय रूप से भाग लिया और ‘अफगानिस्तान की स्थिरता और विकास के लिए हर प्रयास का समर्थन करता है’.

इस दौरान तालिबान के विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा अफगानिस्तान के लिए एक विशेष दूत की नियुक्ति का विरोध दोहराया.

पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें युद्धग्रस्त अफगानिस्तान के साथ व्यापक जुड़ाव के हिस्से के रूप में संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत को नियुक्त करने का आह्वान किया गया था. रूस और चीन इससे अनुपस्थित रहे, लेकिन उन्होंने इस प्रक्रिया को रोकने के लिए अपने वीटो का इस्तेमाल किया.

तालिबान के विदेश मंत्री मुत्ताकी ने कहा, ‘अफगानिस्तान एक ऐसे देश के रूप में जो लंबे समय से थोपे गए संघर्षों से गुजरा है और उसने शांति, सुरक्षा तथा स्थिरता हासिल की है. उसे संयुक्त राष्ट्र के किसी विशेष प्रतिनिधि और/या यूएनएएमए के साथ नए मिशन की जरूरत नहीं है, लेकिन यह सरकार तैयार है और विभिन्न क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय पक्षों के साथ आम और संबंधित मुद्दों पर बातचीत करने की, उसके पास क्षमता है.’

उन्होंने भाग लेने वाले देशों से ‘आगामी दोहा बैठक में आज के अफगानिस्तान की जमीनी हकीकत को चित्रित करने’ का भी आग्रह किया.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस 18-19 फरवरी को कतर की राजधानी दोहा में अफगानिस्तान पर क्षेत्रीय देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के विशेष दूतों की एक बैठक की मेजबानी करेंगे.

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