भ्रष्टाचार सूचकांक: 2023 में 180 देशों की सूची में भारत 93वें स्थान पर, 2022 में 85वीं रैंक थी

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में डेनमार्क को शीर्ष पर रखा गया है. उसके बाद फिनलैंड, न्यूजीलैंड और नॉर्वे आते हैं. सूचकांक 0 से 100 के पैमाने का उपयोग करता है, जहां 0 स्कोर ‘अत्यधिक भ्रष्ट’ है और 100 ‘बहुत साफ’ है. साल 2023 में भारत का कुल स्कोर 39 था.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay)

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में डेनमार्क को शीर्ष पर रखा गया है. उसके बाद फिनलैंड, न्यूजीलैंड और नॉर्वे आते हैं. सूचकांक 0 से 100 के पैमाने का उपयोग करता है, जहां 0 स्कोर ‘अत्यधिक भ्रष्ट’ है और 100 ‘बहुत साफ’ है. साल 2023 में भारत का कुल स्कोर 39 था.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay)

नई दिल्ली: ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 के लिए भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (सीपीआई) में भारत 180 देशों में से 93वें स्थान पर है.

इस सूचकांक में सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार के अनुमानित स्तर के आधार पर देशों को सूचीबद्ध किया जाता है. इस सूचकांक में डेनमार्क को शीर्ष पर रखा गया है, उसके बाद फिनलैंड, न्यूजीलैंड और नॉर्वे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सूचकांक 0 से 100 के पैमाने का उपयोग करता है, जहां 0 अत्यधिक भ्रष्ट है और 100 बहुत साफ है. साल 2023 में भारत का कुल स्कोर 39 था, जबकि 2022 में यह 40 था. 2022 में भारत की रैंक 85 थी. एशियाई देशों में सिंगापुर 83 अंक प्राप्त कर शीर्ष पर रहा और कुल देशों की सूची में यह पांचवें स्थान पर रहा.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत (39) में स्कोर में इतना कम उतार-चढ़ाव दिखता है कि किसी भी महत्वपूर्ण बदलाव पर कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है. हालांकि, चुनावों से पहले भारत में नागरिक स्थान में और कमी देखी जा रही है, जिसमें एक (दूरसंचार) विधेयक का पारित होना भी शामिल है, जो मौलिक अधिकारों के लिए ‘गंभीर खतरा’ हो सकता है.’

रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिमी यूरोप और यूरोपीय यूनियन शीर्ष स्कोरिंग क्षेत्र बने रहे, इस साल इसका क्षेत्रीय औसत स्कोर गिरकर 65 हो गया, क्योंकि नियंत्रण और संतुलन कमजोर हो गए और राजनीतिक अखंडता खत्म हो गई.

इसमें कहा गया है कि दक्षिण एशिया में पाकिस्तान (133वीं रैंक) और श्रीलंका (115वीं रैंक) दोनों अपने-अपने कर्ज के बोझ और आगामी राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे हैं.

इसके मुताबिक, ‘हालांकि, दोनों देशों के पास मजबूत न्यायिक निगरानी है, जो सरकार को नियंत्रण में रखने में मदद कर रही है. पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने अपने संविधान के अनुच्छेद 19ए के तहत पहले से प्रतिबंधित संस्थानों तक इस अधिकार का विस्तार करके नागरिकों के सूचना के अधिकार को मजबूत किया है.’

यह देखते हुए कि चीन (76वीं रैंक) ने पिछले दशक में भ्रष्टाचार के लिए 3.7 मिलियन से अधिक सार्वजनिक अधिकारियों को दंडित करके अपनी आक्रामक भ्रष्टाचार विरोधी कार्रवाई से सुर्खियां बटोरीं, रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता पर संस्थागत जांच के बजाय सजा पर देश की भारी निर्भरता ऐसे भ्रष्टाचार विरोधी उपायों की दीर्घकालिक प्रभावशीलता पर संदेह पैदा करती है.

सूचकांक में सबसे नीचे म्यांमार (162), अफगानिस्तान (162) और उत्तर कोरिया (172) शामिल हैं. सबसे कम 11 अंक के साथ सोमालिया 180वें स्थान पर है.