मुंबई: प्रशासन से कैंपस में राम मंदिर समारोह पर रोक लगाने की मांग करने के बाद छात्र गिरफ़्तार

मुंबई के भारतीय जनसंख्या अध्ययन संस्थान (आईआईपीएस) के कुछ बहुजन छात्रों ने परिसर में अयोध्या में  राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का जश्न मनाने को लेकर निदेशक को गोपनीय तौर पर पत्र लिखा था. हालांकि, पत्र लिखने वालों के नाम लीक हुए और एक को उसके वॉट्सऐप स्टेटस को लेकर गिरफ़्तार किया गया.

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आईआईपीएस परिसर में राम मंदिर समारोह को लेकर लगे भगवा झंडे, पोस्टर आदि. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

मुंबई के भारतीय जनसंख्या अध्ययन संस्थान (आईआईपीएस) के कुछ बहुजन छात्रों ने परिसर में अयोध्या में  राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का जश्न मनाने को लेकर निदेशक को गोपनीय तौर पर पत्र लिखा था. हालांकि, पत्र लिखने वालों के नाम लीक हुए और एक को उसके वॉट्सऐप स्टेटस को लेकर गिरफ़्तार किया गया.

आईआईपीएस परिसर में राम मंदिर समारोह को लेकर लगे भगवा झंडे, पोस्टर आदि. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

मुंबई: बीते 22 जनवरी को मुंबई के भारतीय जनसंख्या अध्ययन संस्थान (आईआईपीएस) के दक्षिणपंथी छात्रों ने परिसर में अयोध्या में राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के जश्न मनाने को लेकर कई बहुजन छात्रों को डर था कि उनके उन्माद का नतीजा सांप्रदायिक तनाव के तौर पर सामने आ सकता है. इस डर के चलते परिसर में शांति बहाल रखने के लिए उन्होंने संस्थान के तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए आईआईपीएस निदेशक एसके सिंह को एक पत्र सौंपा. 20 जनवरी को जमा किया गया पत्र गोपनीय था और करीब 35 छात्रों ने इस पर हस्ताक्षर किए थे.

हालांकि, संस्थान मामले में किसी भी तरह का हस्तक्षेप करने में विफल रहा. इससे भी ख़राब बात यह हुई कि पत्र पर दस्तखत करने वाले छात्रों के नाम सार्वजनिक कर दिए गए. इसके बाद पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए छात्रों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एक पोस्ट-ग्रेजुएशन के छात्र को गिरफ्तार कर लिया गया.

गिरफ़्तारी

लातूर जिले के दलित समुदाय से आने वाले इस 23 वर्षीय छात्र को 22 जनवरी को तब गिरफ्तार किया गया, जब उसके एक सीनियर ने उसके प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के उन्माद को लेकर पोस्ट किए गए एक वॉट्सऐप स्टेटस के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई. पोस्ट में उक्त छात्र ने इस समारोह को लेकर हो रहे जश्न की आलोचना की थी, जो कि मूल रूप से किसी अन्य छात्र ने लिखा था और इस छात्र ने उसे कॉपी करके शेयर किया था.

बताया गया है कि कई छात्रों ने आईआईपीएस परिसर में चल रहे जश्न के विरोध में सोशल मीडिया पर स्टेटस डाला था. लेकिन केवल एक छात्र को ही गिरफ्तार किया गया.

द वायर ने जिन कुछ छात्रों से बात की है, जिनका कहना है कि यह पोस्ट वाली बात महज एक बहाना था. निदेशक को भेजे पत्र पर साइन करने वाले एक अन्य छात्र ने कहा, ‘वो तो वैसे भी निशाना बन ही गया होता. उसके और उसके दोस्तों के राम मंदिर समारोह के खिलाफ छात्रों को संगठित करने के से कई छात्र और यहां तक कि प्रशासन भी खुश नहीं थे.’

बताया गया है कि पत्र में छात्रों ने लिखा था, ‘आईआईपीएस एक बहुसांस्कृतिक परिसर है जो हर साल विभिन्न समारोहों का आयोजन करता है जिसमें गणेश चतुर्थी, दशहरा, क्रिसमस आदि शामिल हैं, जो एक धर्मनिरपेक्ष युवा पीढ़ी को तैयार करने के वादे का प्रतीक है जो भारत जैसे विविध राष्ट्र-राज्य में समृद्धि में योगदान दे सकता है. लेकिन राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा का जश्न विभिन्न संगठनों द्वारा आयोजित राजनीतिक एजेंडा है, जो आईआईपीएस जैसे संस्थान में धर्मनिरपेक्ष भावनाओं को ठेस पहुंचा सकता है. छात्रों ने परिसर में समारोहों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए यह भी जोड़ा था कि इस जश्न से ‘नफरत और भय फैलाकर छात्रों के बीच खाई को और गहरा किया’ जा सकता है.

हालांकि, इस पत्र को नजरअंदाज कर दिया गया.

लेकिन छात्र की गिरफ़्तारी के बाद, जिन लोगों ने पत्र जमा किया था, उन्हें माफ़ीनामा लिखने के लिए धमकाया गया. पहले के पत्र में उठाई गई चिंताओं के उलट इस बार उन छात्रों से राम मंदिर समारोह का जश्न मनाने वालों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए माफ़ी मांगने को कहा गया. दोनों ही पत्र संस्थान के निदेशक को संबोधित किए गए थे.

जहां एक तरफ इन छात्रों ने माफ़ी मांगी, वहीं दूसरी तरफ दक्षिणपंथी छात्रों ने राम मंदिर समारोह का जश्न बहुत धूमधाम से मनाया. पूरे परिसर में आदमकद पोस्टर लगाए गए और सभी छात्रावासों में भगवा झंडे फहराए गए. छात्रों ने कथित तौर पर देर रात जुलूस निकाला, यहां तक कि परिसर में मुस्लिम छात्रों के साथ मारपीट भी हुई.

समारोह के दिन प्रशासन और छात्र संगठनों ने सख्ती से छात्रों को अपने आईडी कार्ड साथ ले जाने के लिए कहा था और बाहरी लोगों को अनुमति नहीं दी गई थी. लेकिन कथित तौर पर बाहर से कई लोग परिसर में पहुंचे और दिनभर चले कार्यक्रमों में हिस्सा लिया.

कैंपस से किसी छात्र की इस तरह गिरफ्तारी असामान्य है. आमतौर पर, पुलिस संस्थान के प्रशासन की अनुमति के बिना उस क्षेत्र में प्रवेश नहीं करती है. इसके अलावा, जब कोई विवाद होता है, तो पुलिस में शिकायत देने से पहले संस्थान में शिकायत की जाती है. लेकिन यहां, शिकायतकर्ता पोस्ट ग्रेजुएशन के द्वितीय वर्ष का एक छात्र सीधे गोवंडी थाने पहुंचा और अपने जूनियर पर ‘धर्मों के बीच बैर पैदा करने’ के लिए आईपीसी की धारा 153 (ए) और 295 (ए) के तहत मामला दर्ज करवाया.

पुलिस ने रिमांड अर्जी में दावा किया कि छात्र ने अपने वॉट्सऐप पोस्ट से हिंदू छात्रों को नाराज किया. छात्र को गिरफ्तार कर दो दिनों तक पुलिस हिरासत में रखा गया.  इसके बाद आर्थर रोड सेंट्रल जेल भेजे जाने के तीसरे दिन एक स्थानीय अदालत ने छात्र को जमानत दे दी.

छात्र कैंपस में वापस चुका है. हालांकि, द वायर के संपर्क करने पर उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया.

राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के बाद आंबेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन (एएसए) जैसे छात्र संगठन को खत्म कर दिया गया है. एसोसिएशन का हिस्सा रहे एक छात्र ने बताया कि गिरफ्तारी के तुरंत बाद छात्र पीछे हेट और उनका वॉट्सऐप ग्रुप डिलीट कर दिया गया.

एसोसिएशन से जुड़े रहे एक छात्र ने कहा, ‘हमें हमारी राजनीतिक समझ के लिए निशाना बनाया जा रहा है. हममें से अधिकांश लोग गरीब पारिवारिक पृष्ठभूमि से आते हैं और हमारे पास दक्षिणपंथी ताकतों से लड़ने का साधन नहीं है. इसलिए, छात्रों ने समूह को भंग करने का फैसला किया गया.’

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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