हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी के 2 दिन बाद चंपई सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली

झारखंड कांग्रेस प्रमुख राजेश ठाकुर ने कहा कि चंपई सोरेन को अपनी सरकार का बहुमत साबित करने के लिए 10 दिन का समय दिया गया है. चंपई सोरेन ने कहा कि हमारा गठबंधन बहुत मज़बूत है. इसे कोई नहीं तोड़ सकता. मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में ईडी द्वारा गिरफ़्तारी से ठीक पहले हेमंत सोरेन ने 31 जनवरी को इस्तीफ़ा दे दिया था.

झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन. (फोटो साभार: फेसबुक)

झारखंड कांग्रेस प्रमुख राजेश ठाकुर ने कहा कि चंपई सोरेन को अपनी सरकार का बहुमत साबित करने के लिए 10 दिन का समय दिया गया है. चंपई सोरेन ने कहा कि हमारा गठबंधन बहुत मज़बूत है. इसे कोई नहीं तोड़ सकता. मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में ईडी द्वारा गिरफ़्तारी से ठीक पहले हेमंत सोरेन ने 31 जनवरी को इस्तीफ़ा दे दिया था.

झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और फिर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के दो दिन बाद शुक्रवार (2 फरवरी) को झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता चंपई सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है.

विपक्षी दलों ने इससे पहले चंपई सोरेन के शपथ ग्रहण में देरी पर सवाल उठाया था और इसकी तुलना उस गति से की थी जिस गति से नीतीश कुमार ने इस्तीफा देने, विपक्ष के इंडिया गठबंधन को छोड़ने और भाजपा से हाथ मिलाने के बाद दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड कांग्रेस प्रमुख राजेश ठाकुर, जिनकी पार्टी झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल है, ने कहा कि चंपई सोरेन को अपनी सरकार का बहुमत साबित करने के लिए 10 दिन का समय दिया गया है.

इस दौरान चंपई सोरेन ने कहा, ‘हम एकजुट हैं. हमारा गठबंधन बहुत मजबूत है. इसे कोई नहीं तोड़ सकता.’

झारखंड राज्य आंदोलन में शामिल रहे 67 वर्षीय चंपई सोरेन झामुमो के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं और उन्होंने कल्याण और परिवहन जैसे कई प्रमुख विभाग संभाले हैं.

झारखंड विधानसभा में विधायक दल के नेता के रूप में उनके चयन के साथ सत्तारूढ़ गठबंधन के अन्य लोगों को उनकी वरिष्ठता और हेमंत के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन से निकटता के कारण उन्हें स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, इससे बगावत की कोई भी संभावना लगभग खत्म हो गई है.

सरायकेला-खरसावां जिले के जिलिंगगोडा गांव में किसान परिवार में जन्मे चंपई सोरेन अभावों के बीच बड़े हुए और काफी कम उम्र में अलग झारखंड के आंदोलन में शामिल हो गए.

इससे पहले हेमंत सोरेन के पद से इस्तीफा देने के 24 घंटे से अधिक समय बाद राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने गुरुवार (1 फरवरी) देर रात उनकी नियुक्ति को अंतिम रूप दिया था. मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में ईडी द्वारा गिरफ्तारी से ठीक पहले हेमंत सोरेन ने बुधवार (31 जनवरी) रात राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया था.

हेमंत सोरेन के इस्तीफा देने के बाद झामुमो ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्य के परिवहन मंत्री चंपई सोरेन को पार्टी का विधायक दल का नेता घोषित किया और कहा था कि वह मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन की जगह लेने के लिए तैयार हैं.

झामुमो के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन को 81 सदस्यीय विधानसभा में 49 विधायकों का बहुमत प्राप्त है. इसमें झामुमो के 29, कांग्रेस के 16, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के एक, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) उदारवादी [सीपीआई(एमएल)एल] के एक और एक विधायक राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के शामिल हैं.

इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (2 फरवरी) को अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली हेमंत सोरेन की रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और उन्हें झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा.

जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने कहा, ‘हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत वर्तमान रिट याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं और भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत क्षेत्राधिकार वाले हाईकोर्ट से संपर्क करने को याचिकाकर्ता पर छोड़ते हैं.’

उनकी पार्टी झामुमो के नेताओं ने उनकी गिरफ्तारी के समय (आम चुनाव से ठीक पहले) को राजनीतिक प्रतिशोध का एक निर्लज्ज कृत्य बताया था.

सोरेन ने आशंका जताई थी कि उनकी गिरफ्तारी से केंद्र सरकार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकती है. उन्होंने कथित तौर पर उन्हें परेशान करने के लिए ईडी अधिकारियों के खिलाफ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत केस भी दर्ज कराया है.

रांची की एक अदालत ने शुक्रवार को ईडी को हेमंत सोरेन की पांच दिनों की हिरासत में भेज दिया है.