गृह मंत्रालय ने ईसाई संगठन तमिलनाडु सोशल सर्विस सोसाइटी का एफसीआरए लाइसेंस रद्द किया

यह तमिलनाडु स्थित दूसरा ईसाई संगठन है, जिसका एफसीआरए लाइसेंस 2024 में रद्द कर दिया गया है. इससे पहले ‘वर्ल्ड विज़न इंडिया’ का लाइसेंस रद्द कर​ दिया गया था. यह चिंता जताई गई है कि केंद्र सरकार एफसीआरए का उपयोग उन एनजीओ की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए कर रही है, जो इसकी आलोचना करते हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: एएनआई)

यह तमिलनाडु स्थित दूसरा ईसाई संगठन है, जिसका एफसीआरए लाइसेंस 2024 में रद्द कर दिया गया है. इससे पहले ‘वर्ल्ड विज़न इंडिया’ का लाइसेंस रद्द कर​ दिया गया था. यह चिंता जताई गई है कि केंद्र सरकार एफसीआरए का उपयोग उन एनजीओ की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए कर रही है, जो इसकी आलोचना करते हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: एएनआई)

नई दिल्ली: विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) लाइसेंस रद्द करने की सूची में नया नाम तमिलनाडु सोशल सर्विस सोसाइटी का जुड़ गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीते 3 फरवरी को यह कदम उठाया है.

सोसायटी, जिसे संक्षेप में टीएनएसओएसएस (TNSOSS) कहा जाता है, तमिलनाडु कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस के तत्वावधान में एक ईसाई गैर-सरकारी संगठन है. केंद्र सरकार ने आरोप लगाया है कि संगठन ने एफसीआरए नियमों का उल्लंघन किया है.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, एनजीओ अब विदेशी दान प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं है और ‘उल्लंघन’ के कारण लाइसेंस रद्द कर दिया गया है.

एनजीओ एक ‘सामाजिक’ संगठन के रूप में पंजीकृत है. पंजीकृत संघ सामाजिक, शैक्षिक, धार्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए विदेशी योगदान प्राप्त कर सकते हैं. विदेशी चंदा प्राप्त करने के लिए एफसीआरए लाइसेंस अनिवार्य है.

यह तमिलनाडु स्थित दूसरा ईसाई संगठन है, जिसका एफसीआरए लाइसेंस 2024 में रद्द कर दिया गया है. एक अन्य संगठन ‘वर्ल्ड विज़न इंडिया’ ने बीते 20 जनवरी को अपना लाइसेंस खो दिया था.

100 से अधिक देशों में उपस्थिति के साथ यह सबसे बड़े ईसाई स्वैच्छिक समूहों में से एक है. यह संगठन भारत में पिछले 70 वर्षों से कार्यरत है.

कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने नई दिल्ली स्थित पब्लिक पॉलिसी थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) का लाइसेंस भी रद्द कर दिया था. तब संगठन की अध्यक्ष यामिनी अय्यर ने इस फैसले के आधार को ‘समझ से परे और असंगत’ बताया था.

एफसीआरए में संशोधनों की एक श्रृंखला के माध्यम से क्रमिक सरकारों ने कई गैर-सरकारी संगठनों की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिससे उन्हें नौकरियों के नुकसान सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा.

हालांकि पिछले दो वर्षों में हजारों लाइसेंस रद्द होने के बाद यह चिंता जताई गई है कि केंद्र सरकार एफसीआरए का उपयोग उन गैर-सरकारी संगठनों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए कर रही है, जो इसकी आलोचना करते हैं.

एफसीआरए के माध्यम से मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए विदेशी दान को नियंत्रित करता है कि ऐसे फंड देश की आंतरिक सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव न डालें.

द हिंदू ने बताया है कि साल 2015 से 16,000 से अधिक एनजीओ का एफसीआरए लाइसेंस ‘उल्लंघन’ के कारण रद्द किया जा चुका है. 3 फरवरी तक देश में 17,019 एफसीआरए-पंजीकृत एनजीओ सक्रिय थे.

लगभग 6,000 एनजीओ का एफसीआरए पंजीकरण 1 जनवरी, 2022 से बंद हो गया, क्योंकि गृह मंत्रालय ने या तो उनके आवेदन को नवीनीकृत करने से इनकार कर दिया या एनजीओ ने आवेदन नहीं किया था.