गृह मंत्रालय ने सीपीआर का एफसीआरए लाइसेंस रद्द किया, संस्थान ने कहा- निर्णय समझ से परे

केंद्र सरकार के थिंक-टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च का एफसीआरए रजिस्ट्रेशन रद्द करने को संस्थान ने असंगत और समझ से बाहर बताते हुए कहा है कि वह पूरी तरह क़ानूनों का अनुपालन करता है.

(साभार: सीपीआर वेबसाइट)

केंद्र सरकार के थिंक-टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च का एफसीआरए रजिस्ट्रेशन रद्द करने को संस्थान ने असंगत और समझ से बाहर बताते हुए कहा है कि वह पूरी तरह क़ानूनों का अनुपालन करता है.

(साभार: सीपीआर वेबसाइट)

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पॉलिसी थिंक-टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) का विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है.

इसे पहले भी फरवरी 2023 में निलंबित कर दिया गया था. सीपीआर ने उस समय कहा था कि वह सभी कानूनों का पूरी तरह अनुपालन करता है और लाइसेंस मुद्दे को हल करने के लिए अधिकारियों के साथ संपर्क बनाकर काम कर रहा है.

द हिंदू के अनुसार, 10 जनवरी को सीपीआर को पता चला कि उसका एफसीआरए रजिस्ट्रेशन अब रद्द हो गया है. संगठन की अध्यक्ष यामिनी अय्यर ने अख़बार को बताया कि सीपीआर इस बारे में विचार कर रहा है कि वह किस तरह न्याय की गुहार लगाए.

बुधवार (17 जनवरी) को जारी एक बयान में अय्यर ने कहा, ‘इस निर्णय का आधार समझ से परे और असंगत है और इसके लिए दिए गए कुछ कारण किसी रिसर्च संस्थान के कामकाज के आधार को चुनौती देते हैं. इसमें हमारे शोध से निकलने वाली नीति रिपोर्टों का हमारी वेबसाइट पर प्रकाशन शामिल है.’

बयान में कहा गया है, ‘हमारे निलंबन की अवधि के दौरान, हमने दिल्ली हाईकोर्ट से अंतरिम राहत मांगी थी, जो हमें मिली भी. हम सभी संभव तरीकों का सहारा लेने की कोशिश जारी रखेंगे.’

बयान में आगे कहा गया है, ‘पंजीकरण रद्द करने की यह कार्रवाई फरवरी 2023 में एफसीआरए दर्जे को निलंबित करने के फैसले के बाद हुई है. ये कार्रवाइयां सितंबर 2022 में हुए आयकर ‘सर्वेक्षण’ के बाद हुईं हैं. इन कार्रवाइयों ने संस्था के फंडिंग के सभी स्रोतों को अवरुद्ध करके इसकी काम करने की क्षमता को कमजोर किया है. इसने नीतिगत मामलों पर उच्च गुणवत्ता और विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त रिसर्च करने के  मकसद पर आगे बढ़ने की संस्थान की क्षमता को कमजोर कर दिया है, जिसे 50 सालों से मान्यता मिली हुई थी. इन सालों में यह संस्थान देश के कुछ सबसे प्रतिष्ठित शिक्षाविदों, राजनयिकों और नीति निर्माताओं का केंद्र रहा है.’

बयान में आगे कहा गया है, ‘सीपीआर दृढ़ता से दोहराता है कि यह पूरी तरह कानून का अनुपालन करता है और प्रक्रिया के हर चरण में पूरी तरह सहयोग कर रहा है. हमें भरोसा है कि इस मामले को संवैधानिक मूल्यों और गारंटी के अनुरूप हल किया जाएगा.’

ज्ञात हो कि सितंबर 2022 में आयकर विभाग ने सीपीआर के दफ्तरों पर तलाशी ली थी, उसी समय ऑक्सफैम इंडिया समेत अन्य एनजीओ को भी निशाना बनाया गया था. सीपीआर ने कहा है कि तब से उसने उसे भेजे गए सभी नोटिसों का जवाब दिया है.

27 फरवरी, 2023 के एक आदेश में, गृह मंत्रालय ने आरोप लगाया था कि सीपीआर अपने एफसीआरए फंड का उपयोग उन शैक्षणिक कार्यक्रमों के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए कर रहा है जिनके लिए लाइसेंस दिया गया था.

दुनिया भर के शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं ने सीपीआर के खिलाफ केंद्र सरकार के कदमों की आलोचना की थी.

इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने सीपीआर के खिलाफ आयकर विभाग की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी और सुप्रीम कोर्ट ने इसे बरक़रार रखा था. सीपीआर ने आयकर विभाग के उस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया था, जिसमें धारा 12ए के तहत उसके पंजीकरण को पूर्वव्यापी प्रभाव से रद्द करने की मांग की गई थी, जिससे उसकी टैक्स छूट वापस ले ली गई थी. मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है.

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