दिल्ली: जी-20 की चकाचौंध के बाद प्रगति मैदान टनल को यात्रियों के लिए संभावित ख़तरा बताया गया

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के मुख्य मार्गों में से एक प्र​गति मैदान सुरंग का निर्माण करने वाली कंपनी एलएंडटी को लिखे एक पत्र में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने परियोजना में ‘गंभीर तकनीकी और डिज़ाइन ख़ामियों’ का हवाला देते हुए कहा है कि इनके चलते ही पानी का रिसाव हुआ और दरारें जैसी समस्याएं आई हैं.

प्रगति मैदान टनल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो साभार: पीआईबी)

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के मुख्य मार्गों में से एक प्र​गति मैदान सुरंग का निर्माण करने वाली कंपनी एलएंडटी को लिखे एक पत्र में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने परियोजना में ‘गंभीर तकनीकी और डिज़ाइन ख़ामियों’ का हवाला देते हुए कहा है कि इनके चलते ही पानी का रिसाव हुआ और दरारें जैसी समस्याएं आई हैं.

प्रगति मैदान टनल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो साभार: पीआईबी)

नई दिल्ली: जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में तैयार की गई करोड़ों रुपये की प्रगति मैदान टनल (सुरंग) परियोजना अब ‘यात्रियों के जीवन के लिए संभावित खतरा’ बन गई है. इसकी मुख्य वजह पानी का रिसाव, सीमेंट/कंक्रीट में बड़ी दरारें और खराब जल निकासी है.

छह लेन वाली इस सुरंग का निर्माण और गुणवत्ता लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की जांच के दायरे में है. पीडब्ल्यूडी ने परियोजना को क्रियान्वित करने वाली निर्माण कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) को ‘गंभीर तकनीकी और डिजाइन कमियों’ के लिए 500 करोड़ रुपये जमा (क्षतिपूर्ति) करने के लिए कई नोटिस जारी किए हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में इसका उद्घाटन किया गया था. 1.3 किलोमीटर लंबी सुरंग और अंडरपास का उद्देश्य मध्य, दक्षिण-पूर्व और नई दिल्ली के बीच परेशानी मुक्त और निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करना और शहर के व्यस्त मार्गों – भैरों मार्ग, रिंग रोड और मथुरा रोड को सिग्नल-मुक्त बनाना था.

इस परियोजना की लागत 777 करोड़ रुपये है. हालांकि निर्माण के बाद से ही यह संकट में है. कई मरम्मत कार्य किए जाने के बावजूद जल रिसाव लगातार एक समस्या बनी हुई है. पिछले साल बाढ़ के दौरान जलभराव के कारण यह सुरंग एक महीने से अधिक समय तक बंद भी रही थी.

पीडब्ल्यूडी के नोटिस के जवाब में एलएंडटी के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘पीडब्ल्यूडी (दिल्ली) हमारा एक सम्मानित क्लाइंट है और उनके साथ इतने लंबे समय से जुड़ा रहना हमारे लिए महत्वपूर्ण है. हालांकि, एलएंडटी यह बताना चाहेगी कि कंपनी द्वारा पीडब्ल्यूडी (दिल्ली) के खिलाफ 500 करोड़ रुपये का काउंटर-क्लेम किया गया है.

मालूम हो कि एलएंडटी मौजूदा सेंट्रल विस्टा परियोजना की प्रमुख निर्माण कंपनी भी है.

पीडब्ल्यूडी द्वारा निर्माण फर्म एलएंडटी को जारी किए गए नोटिस के अनुसार, ‘डिजाइन में खराबी’ और ‘अन्य गुणवत्ता पैरामीटर-संबंधी मुद्दों’ को ‘पूरी परियोजना के बड़े सुधार और रखरखाव/ओवरहाल’ के बिना हल नहीं किया जा सकता है.

इनमें एकीकृत पारगमन गलियारे (Integrated Transit Corridor) की कमियां शामिल हैं, जो मथुरा रोड, भैरों मार्ग, महात्मा गांधी मार्ग के साथ चलती हैं और प्रगति मैदान के नीचे एक भूमिगत सुरंग के माध्यम से मथुरा रोड को महात्मा गांधी मार्ग से जोड़ती हैं.

एलएंडटी को जारी नोटिस में पीडब्ल्यूडी ने कहा  है, ‘सबसे भयावह (और) चिंताजनक मुद्दा टनल/अंडरपास में विभिन्न जगहों पर पानी भर जाने का है. इस समस्या ने, विशेष रूप से मानसून के दौरान, जनता के लिए इस परियोजना को अप्रभावी बना दिया और अंतत: पूरे नई दिल्ली क्षेत्र की मुख्य सड़कों पर कहीं ज्यादा जाम और भीड़भाड़ पैदा कर दी, जिससे इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य ही विफल हो गया.’

पीडब्ल्यूडी ने रेलवे ट्रैक के नीचे से गुजरने वाले भैरों मार्ग अंडरपास को पूरा करने में देरी के लिए एलएंडटी की खिंचाई भी की. इसमें कहा गया है कि इस परियोजना के निरीक्षण से यह भी पता चला है कि यह गंभीर ‘डिजाइन मुद्दों और तकनीकी बाधाओं’ से ग्रस्त है.

पीडब्ल्यूडी ने नोटिस में यह भी कहा, ‘आपको… आपकी कंपनी द्वारा शुरू की गई परियोजना में पहचानी गईं गंभीर कमियों और परिणामी क्षति के साथ-साथ परियोजना और क्षमता के प्रबंधन और संचालन में सरकारी संस्थाओं द्वारा उठाए जा रहे नुकसान के संबंध में नोटिस दिया जा रहा है. निर्माण की वर्तमान स्थिति में सुरंगों और अंडरपासों का उपयोग करने वाले यात्रियों के जीवन के लिए खतरा पैदा हो गया है.’

पीडब्ल्यूडी के अनुसार, निर्माण कंपनी (एलएंडटी) के प्रतिनिधियों को मुद्दों के बारे में पता था और यहां तक कि कई साइट निरीक्षणों पर सरकारी अधिकारियों के साथ भी गए थे, लेकिन उन्होंने संबंधित समस्याओं का समाधान नहीं किया.


पीडब्ल्यूडी द्वारा नोटिस में उठाई गईं प्रमुख समस्याएं

1. सुरंग के कुछ विस्तार जोड़ों (Expansion Joints) से लगातार रिसाव देखा और पहचाना गया.

2. जगह-जगह कंक्रीट/सीमेंट में बड़ी-बड़ी दरारें हैं.

3. पूरी सुरंग में जलभराव और जल निकासी प्रणालियों का खराब होना.

4. बड़ी संख्या में फुटपाथों की क्षति और उनमें गैर-एकरूपता.

5. आईटीपीओ पार्किंग के साथ ब्रांच टनल के पैच लंबे समय से साफ नहीं किए गए हैं.

6. विभिन्न स्थानों पर सॉसर ड्रेन (Saucer Drains) गायब हैं. (सॉसर ड्रेन पैदल यात्री क्षेत्रों, मॉल, पार्किंग स्थल आदि में पानी के अतिप्रवाह या ज्यादा पानी को इकट्ठा करने का एक साधन प्रदान करती हैं. वे एकत्रित पानी को एक अन्य जल निकासी प्रणाली में छोड़ने में सहायक भी होती हैं.)

7. सुरंग की छत से टपकता पानी और कंक्रीट की सतह के नीचे भूजल का अस्पष्ट रिसाव दीवारों पर भित्तिचित्रों और चित्रों को नुकसान पहुंचा रहा है.


रिपोर्ट के अनुसार, नोटिस में कहा गया है कि मरम्मत और रखरखाव की लागत निर्माण कंपनी द्वारा वहन की जानी चाहिए.

इसके मुताबिक, ‘अगर आपकी कंपनी उपचारात्मक उपाय करने में विफल रहती है और वही कार्य नियोजित व्यक्ति द्वारा किया जाता है, तो आपकी कंपनी उपचारात्मक उपायों की लागत के साथ-साथ लागत का अतिरिक्त 20 प्रतिशत (नुकसान के रूप में) भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगी.’

पीडब्ल्यूडी ने यह भी कहा कि बार-बार संदेश देने और अनुरोधों के बावजूद समस्याएं ‘दो महीने से अधिक समय से अनसुलझी’ हैं. इन मुद्दों के कारण जनता को होने वाली परेशानी को ‘सरकार की ओर से लापरवाही के रूप में गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता है’.

पीडब्ल्यूडी ने कहा, ‘जिम्मेदारी से बचने के आपके (एलएंडटी) बार-बार प्रयास अस्वीकार्य हैं और वे आपको केवल मौजूदा नागरिक और आपराधिक कानून के तहत उत्तरदायी बनाते हैं.’

एलएंडटी को नोटिस का जवाब देने के लिए कहा गया है कि उसे दिल्ली में सरकार द्वारा वित्तपोषित किसी भी निर्माण परियोजना को करने से क्यों प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए.

नोटिस में कहा गया है, ‘अंतरिम रूप में आपकी कंपनी को तुरंत 500 करोड़ रुपये की न्यूनतम टोकन राशि जमा करने और मरम्मत शुरू करने का निर्देश दिया जाता है.’

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