सुरक्षा स्थिति का हवाला देते हुए सरकार ने भारतीय नागरिकों से म्यांमार का रखाइन क्षेत्र छोड़ने को कहा

रखाइन क्षेत्र जुंटा के सामने सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है, जहां रखाइन एथनिक माइनॉरिटी की सशस्त्र शाखा अराकान सेना ने पिछले नवंबर में युद्धविराम रद्द कर दिया था. भारतीय विदेश मंत्रालय ने वहां की स्थिति के मद्देनज़र भारतीयों से वहां न जाने को कहा है.

रखाइन क्षेत्र में जाने का रास्ता। (फोटो साभार: : Naing Linn Aung/Wikimedia Commons. CC BY-SA 4.0.)

रखाइन क्षेत्र जुंटा के सामने सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है, जहां रखाइन एथनिक माइनॉरिटी की सशस्त्र शाखा अराकान सेना ने पिछले नवंबर में युद्धविराम रद्द कर दिया था. भारतीय विदेश मंत्रालय ने वहां की स्थिति के मद्देनज़र भारतीयों से वहां न जाने को कहा है.

रखाइन क्षेत्र में जाने का रास्ता। (फोटो साभार: : Naing Linn Aung/Wikimedia Commons. CC BY-SA 4.0.)

नई दिल्ली: भारत सरकार ने अपने सभी नागरिकों को तुरंत म्यांमार का रखाइन राज्य छोड़ने के लिए कहा है, जहां जुंटा विद्रोही अराकान सेना से लड़ रहा हैं. अराकान अब तक कई प्रमुख चौकियों और टाउनशिप पर कब्जा कर चुका है.

रिपोर्ट के अनुसार, विदेश मंत्रालय (एमईए) द्वारा जारी एक यात्रा परामर्श में कहा गया है कि रखाइन राज्य ‘लैंडलाइन सहित दूरसंचार के साधनों में व्यवधान और जरूरी सामान की गंभीर कमी’ के साथ बिगड़ती सुरक्षा स्थिति का सामना कर रहा है.

भारतीयों को वहां यात्रा न करने की सलाह देते हुए विदेश मंत्रालय ने उन नागरिकों, जो पहले से ही रखाइन राज्य में हैं, से भी आग्रह किया है कि वे उस क्षेत्र को तुरंत छोड़ दें.

पिछले हफ्ते जुंटा के तख्तापलट के तीन साल पूरे होने पर भारत ने कहा था कि वह ‘म्यांमार में बिगड़ती स्थिति से चिंतित है, जिसका सीधा असर उस पर पड़ता है.’

भारत की रखाइन राज्य में कनेक्टिविटी के लिए कई दीर्घकालिक विकास सहायता परियोजनाएं थीं, हालांकि उनमें से अधिकांश पिछले तीन सालों से ठंडे बस्ते में पड़ी हैं.

रखाइन क्षेत्र जुंटा के सामने सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है, जहां अराकान सेना, जो रखाइन के जातीय अल्पसंख्यक (रखाइन एथनिक माइनॉरिटी) की सशस्त्र शाखा है, ने पिछले नवंबर में युद्धविराम रद्द कर दिया था.

थ्री ब्रदरहुड एलायंस के नाम से जाने जाने वाले जातीय अल्पसंख्यक सेनाओं के गठबंधन के हिस्से के रूप में अराकान सेना जुंटा चौकियों पर हमला कर रही है और फरवरी 2020 में नागरिक सरकार तख्तापलट करने वाली सेना पर जीत हासिल कर रही है.

हालिया लड़ाई में सीमा चौकियों पर अराकान सेना के हमले से बचने के लिए 260 से अधिक म्यांमार सैनिक बांग्लादेश में भाग गए हैं. अराकान सेना ने पिछले सात दिनों में दो म्यांमार जुंटा बटालियन मुख्यालयों पर कब्जा करने का दावा किया है.