आंतरिक सुरक्षा के लिए भारत और म्यांमार के बीच मुक्त आवाजाही व्यवस्था ख़त्म की जाएगी: अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि गृह मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और म्यांमार की सीमा से लगे भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों की जनसांख्यिकीय संरचना को बनाए रखने के लिए दोनों के बीच मुक्त आवाजाही व्यवस्था को ख़त्म कर दिया जाए. असम के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस फैसले का स्वागत किया है.

/
अमित शाह. (फोटो साभार: फेसबुक)

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि गृह मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और म्यांमार की सीमा से लगे भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों की जनसांख्यिकीय संरचना को बनाए रखने के लिए दोनों के बीच मुक्त आवाजाही व्यवस्था को ख़त्म कर दिया जाए. असम के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस फैसले का स्वागत किया है.

अमित शाह. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: बेहतर निगरानी की सुविधा के लिए संपूर्ण 1,643 किलोमीटर लंबी म्यांमार सीमा पर बाड़ बनाने की घोषणा के कुछ दिनों बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार (8 फरवरी) को कहा कि केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और म्यांमार की सीमा से लगे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की जनसांख्यिकीय संरचना को बनाए रखने के लिए दोनों देशों के बीच मुक्त आवाजाही व्यवस्था (एफएमआर) को खत्म कर दिया जाएगा.

सोशल साइट एक्स पर अपने पोस्ट में शाह ने कहा, ‘यह हमारी सीमाओं को सुरक्षित करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का संकल्प है. गृह मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और म्यांमार की सीमा से लगे भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों की जनसांख्यिकीय संरचना को बनाए रखने के लिए दोनों के बीच मुक्त आवाजाही व्यवस्था को खत्म कर दिया जाए. चूंकि विदेश मंत्रालय फिलहाल इसे खत्म करने की प्रक्रिया में है, इसलिए गृह मंत्रालय ने इस व्यवस्था को तत्काल निलंबित करने की सिफारिश की है.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बीते जनवरी महीने में खबर आई थी कि केंद्र ने संपूर्ण भारत-म्यांमार सीमा के लिए एक उन्नत स्मार्ट बाड़ प्रणाली के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है.

एक सूत्र ने कहा था, ‘हम जल्द ही भारत-म्यांमार सीमा पर मुक्त आवाजाही व्यवस्था को समाप्त करने जा रहे हैं. हम पूरी सीमा पर बाड़ लगाने जा रहे हैं. यह अगले साढ़े चार साल में पूरा हो जाएगा. इस तरफ आने वाले किसी भी व्यक्ति को वीजा लेना होगा.’

बहरहाल अमित शाह की घोषणा के बाद असम के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने एक्स पर कहा, ‘हमारी सीमाओं को सुरक्षित करने की प्रतिबद्धता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का बहुत आभारी हूं. गृह मंत्रालय की सिफारिश के अनुसार भारत-म्यांमार के बीच मुक्त आवाजाही व्यवस्था को खत्म करने का निर्णय हमारी आंतरिक सुरक्षा और हमारे उत्तर-पूर्वी राज्यों की जनसांख्यिकीय अखंडता के लिए महत्वपूर्ण है.’

उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार द्वारा हाल ही में 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने की घोषणा के बाद अवैध आप्रवासन को रोकने और हमारी आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में यह एक और ऐतिहासिक निर्णय है.’

इससे पहले सितंबर 2023 में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने केंद्र से ‘अवैध आप्रवासन’ पर अंकुश लगाने के लिए भारत-म्यांमार सीमा पर एफएमआर को स्थायी रूप से बंद करने का आग्रह किया था.

उन्होंने यह भी कहा था कि राज्य राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर और म्यांमार के साथ सीमा पर बाड़ लगाने की दिशा में काम कर रहा है. मणिपुर म्यांमार के साथ लगभग 390 किमी लंबी खुली सीमा साझा करता है, जिसमें से केवल 10 किमी पर ही बाड़ लगाई गई है.

भारत और म्यांमार के बीच की सीमा चार राज्यों – मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है. मुक्त आवाजाही व्य​वस्था दोनों देशों के बीच एक पारस्परिक रूप से सहमत व्यवस्था है, जो सीमा पर रहने वाली जनजातियों को बिना वीजा के दूसरे देश के अंदर 16 किमी तक की यात्रा करने की अनुमति देती है.

इस व्यवस्था के तहत पहाड़ी जनजातियों का प्रत्येक सदस्य, जो या तो भारत का नागरिक है या म्यांमार का नागरिक है और जो सीमा के दोनों ओर 16 किमी के भीतर किसी भी क्षेत्र का निवासी है, वह एक साल की वैधता के साथ सीमा पास दिखाकर सीमा पार कर सकता है और दो सप्ताह तक रह सकता है.

मुक्त आवाजाही को साल 2018 में मोदी सरकार की एक्ट ईस्ट नीति के हिस्से के रूप में उस समय लागू किया गया था, जब भारत-म्यांमार के बीच राजनयिक संबंध बढ़ रहे थे. दरअसल इसे 2017 में ही लागू किया जाना था, लेकिन अगस्त में उभरे रोहिंग्या शरणार्थी संकट के कारण इसे टाल दिया गया था.

दरअसल 3 मई 2023 को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से आरोप लग रहे हैं कि सीमा पार से घुसपैठियों और आतंकवादी समूहों ने मणिपुर में परेशानी पैदा करने में प्रमुख भूमिका निभाई है. यहां तक कि मणिपुर सरकार और मेईतेई संगठन भी बाड़ लगाने और मुक्त आवाजाही व्यवस्था खत्म करने की मांग कर रहे थे.

हालांकि, मणिपुर के कुकी-जो और मिजोरम का मिजो समुदाय, जो म्यांमार के चिन समुदाय के साथ जातीय संबंध साझा करते हैं, इस कदम का विरोध कर रहे हैं. इसके बजाय वे राज्य में हिंसा के लिए एन. बीरेन सिंह सरकार और मेईतेई कट्टरपंथी संगठनों को जिम्मेदार ठहराते हैं.

भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने की केंद्रीय गृ​ह मंत्री शाह की घोषणा का मिजोरम और नगालैंड में कई हलकों से विरोध हुआ था. भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने के फैसले का पुरजोर विरोध करते हुए मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा इसे ‘अस्वीकार्य’ बता चुके हैं.

बीते 3 जनवरी को लालदुहोमा ने नई दिल्ली में एक बैठक के दौरान केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से कहा था कि भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाना ‘अस्वीकार्य’ होगा.

उन्होंने कहा था, ‘अंग्रेजों ने बर्मा (म्यांमार) को भारत से अलग करके मिजो लोगों को अलग कर दिया था. उन्होंने मिजो जातीय लोगों की प्राचीन भूमि को दो भागों में विभाजित कर दिया था. इसलिए हम सीमा (बॉर्डर) को स्वीकार नहीं कर सकते, इसके बजाय हम हमेशा एक प्रशासन के तहत एक राष्ट्र बनने का सपना देखते हैं.’

उन्होंने कहा था, ‘इस तरह बाड़ लगाने से मिजो समुदाय के लोग विभाजित हो जाएंगे और ब्रिटिश-निर्मित सीमा को मंजूरी मिल जाएगी. यह हमें अस्वीकार्य होगा.’

लालदुहोमा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात में भी यही ​विचार व्यक्त किए थे.

बीते 26 जनवरी को नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने भी केंद्र सरकार से कहा था कि भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का उसका निर्णय एकतरफा नहीं लिया जा सकता है, बल्कि संबंधित हितधारकों से परामर्श के बाद केवल ‘चर्चा के माध्यम से’ ही इस पर निर्णय लिया जा सकता है.