पूर्व प्रधानमंत्रियों पीवी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि इस मामले में दलित हस्तियों का तिरस्कार एवं उपेक्षा करना कतई उचित नहीं. भाजपा सरकार इस ओर भी ज़रूर ध्यान दे.
नई दिल्ली: बसपा प्रमुख मायावती ने बीते शुक्रवार (9 फरवरी) को पूर्व प्रधानमंत्रियों पीवी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि दलित व्यक्तित्वों की अनदेखी और अनादर किया जा रहा है.
सोशल साइट एक्स पर एक पोस्ट में मायावती ने कहा, ‘वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा जिन भी हस्तियों को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है, उसका स्वागत है, लेकिन इस मामले में खासकर दलित हस्तियों का तिरस्कार एवं उपेक्षा करना कतई उचित नहीं. सरकार इस ओर भी जरूर ध्यान दे.’
2. बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर को लम्बे इंतजार के बाद श्री वी पी सिंह जी की सरकार द्वारा भारतरत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया। उसके बाद दलित व उपेक्षितों के मसीहा मान्यवर श्री कांशीराम जी का इनके हितों में किया गया संघर्ष कोई कम नहीं। उन्हें भी भारतरत्न से सम्मानित किया जाए।
— Mayawati (@Mayawati) February 9, 2024
उन्होंने लिखा, ‘बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर को लंबे इंतजार के बाद वीपी सिंह की सरकार द्वारा भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. उसके बाद दलित और उपेक्षितों के मसीहा मान्यवर कांशीराम जी का इनके हितों में किया गया संघर्ष कोई कम नहीं. उन्हें भी भारत रत्न से सम्मानित किया जाए.’
इससे पहले भी बसपा ने कांशीराम को सम्मान देने की मांग उठाई थी.
मायावती के पोस्ट को शेयर करते हुए बसपा के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद ने एक्स पर कहा, ‘भाजपा सरकार ने फिर से भारत रत्न सम्मान की घोषणा की है, जिसका स्वागत है, लेकिन शोषित और वंचित कौम को जगाने वाले मान्यवर कांशीराम साहेब जी, जिनके नेतृत्व में करोड़ों भारतीयों को राजनीतिक ताकत मिली है, ऐसे सामाजिक परिवर्तन के महानायक का सम्मान न रखने के गंभीर राजनीतिक परिणाम होंगे. साथ ही भाजपा सरकारों में मलाई खा रहे दलित नेताओं को सलाह है कि समाज के सशक्तिकरण के लिए फौरन भाजपा छोड़ दें.’
भाजपा सरकार ने फिर से भारत रत्न सम्मान की घोषणा की है। जिसका स्वागत है। लेकिन शोषित और वंचित कौम को जगाने वाले मान्यवर कांशीराम साहेब जी, जिनके नेतृत्व में करोड़ों भारतीयों को राजनीतिक ताकत मिली है, ऐसे सामाजिक परिवर्तन के महानायक का सम्मान ना रखने के गंभीर राजनीतिक परिणाम होंगे।… https://t.co/lTtV4ufAvx
— Akash Anand (@AnandAkash_BSP) February 9, 2024
14 अप्रैल 1984 को कांशीराम ने दलितों, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों को साथ लाने के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की स्थापना की थी. इससे पहले वह ऑल इंडिया बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटी एंप्लॉइज फेडरेशन (BAMCEF) और दलित शोषित समाज संघर्ष समिति (DS4) जैसे दलों के तहत दलितों के हक के लिए आवाज उठाते रहे थे, लेकिन बसपा के जरिये उनके इस संघर्ष को पूरे देश में पहचान मिली.
उनका जन्म पंजाब के रोपड़ जिले में हुआ था. बचपन में उन्होंने जो जाति आधारित भेदभाव देखा, उसने उन्हें निचली और पिछड़ी जातियों के लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया. भीमराव आंबेडकर के समर्थक कांशीराम का 2006 में 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया था.
हरित क्रांति के प्रणेता एमएस स्वामीनाथन के साथ-साथ पूर्व प्रधानमंत्रियों पीवी नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने की हालिया घोषणा से भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वालों की कुल संख्या 53 हो गई है.
हाल ही में यह पुरस्कार 96 वर्षीय भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी को भी प्रदान करने की घोषणा की गई थी. समाजवादी राजनेता और बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर को भी मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह एक उल्लेखनीय वृद्धि का प्रतीक है. 2024 में पांच व्यक्तियों को इस सम्मान से नवाजे जाने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की जा चुकी है, जो अब तक एक वर्ष में दिए गए पुरस्कारों की सबसे अधिक संख्या है.
इससे पहले एक वर्ष में सबसे अधिक संख्या में भारत रत्न पुरस्कार दिए जाने का रिकॉर्ड 1999 में बना था, जब चार व्यक्तियों को इस प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित किया गया था.