अडानी समूह की हिस्सेदारी वाले उपक्रम के इज़रायल को निर्यात ड्रोन का इस्तेमाल गाज़ा नरसंहार में हुआ

इज़रायली रक्षा बलों द्वारा गाज़ा के घनी आबादी वाले शहरी इलाकों में हमलों के लिए इस्तेमाल किए जा रहे ड्रोन हर्मेस 900 की आपूर्ति में एक भारतीय समूह की भूमिका मोदी सरकार की तत्काल युद्धविराम की मांग करने वाली आधिकारिक स्थिति के विपरीत प्रतीत होती है.

बेंजामिन नेतन्याहू और नरेंद्र मोदी, बीच में हर्मेस 900. (फोटो साभार: एक्स खाते और विकिमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: गाजा में पिछले चार महीनों से जारी हिंसा और इजरायल पर लग रहे नरसंहार के आरोपों के बीच, हैदराबाद के एक संयुक्त उद्यम ने 20 से अधिक सैन्य ड्रोन का निर्माण करके उन्हें इजरायली सेना को भेजा है. इस उद्यम में अडानी समूह की बड़ी हिस्सेदारी है.

अडानी-एलबिट एडवांस्ड सिस्टम्स इंडिया लिमिटेड ने हाल ही में हर्मेस ड्रोन जैसे ड्रोन सौंपे है. मालूम हो कि गाजा में इजरायली रक्षा बलों के सैन्य अभियान में हर्मेस ड्रोन बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप 10,000 से अधिक बच्चों सहित 28,000 से अधिक लोग मारे गए हैं.

इज़रायल को 20 से अधिक हर्मेस 900 (एमएएलई) यूएवी की बिक्री, जिसके बारे में पहली बार 2 फरवरी को नीलम मैथ्यूज द्वारा प्रसिद्ध रक्षा-संबंधी वेबसाइट शेफर्ड मीडिया में बताया गया था- को अभी तक सार्वजनिक रूप से न तो भारत और न ही इजरायल ने स्वीकार किया है. हालांकि, अडानी समूह के सूत्रों ने ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत (क्योंकि वे मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं हैं) में पिछले सप्ताह द वायर से पुष्टि की है कि उक्त निर्यात वास्तव में हुआ है.

ड्रोन, जिनका उपयोग आईडीएफ द्वारा गाजा में घनी आबादी वाले शहरी इलाकों में हमलों के लिए किया जा रहा है- की आपूर्ति में एक भारतीय समूह की भूमिका मोदी सरकार की तत्काल युद्धविराम की मांग करने वाली आधिकारिक स्थिति के विपरीत है.

बिक्री की यह खबर ऐसे समय में सामने आई है जब एसेसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, नीदरलैंड में हेग अपीलीय अदालत के न्यायाधीशों ने सोमवार को डच सरकार को ‘अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के स्पष्ट जोखिम का हवाला देते’ हुए इज़रायल को एफ-35 लड़ाकू जेट के पुर्जों के निर्यात पर रोक लगाने का आदेश दिया है.

उल्लेखनीय है कि साल 2018 में इज़रायल के एल्बिट सिस्टम्स ने 49 फीसदी हिस्सेदारी के साथ अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस के साथ एक संयुक्त उद्यम (जॉइंट वेंचर- जेवी) शुरू किया था और इजरायल के बाहर पहली बार यूएवी के निर्माण के लिए हैदराबाद में 15 मिलियन डॉलर की इकाई खोली.

जब द वायर ने इजरायली रक्षा फर्म से संपर्क किया तो एक प्रवक्ता ने बस यह जवाब दिया कि वे ‘एल्बिट सिस्टम्स के अडानी समूह के साथ मिलकर काम करने की पुष्टि कर सकते हैं, जो हमारे यूएएस (मानव रहित हवाई सिस्टम) आपूर्ति श्रृंखला का आपूर्तिकर्ता है.’

प्रवक्ता ने कहा कि वह एल्बिट सिस्टम्स ‘आपूर्तिकर्ताओं की पहचान और उनके द्वारा विभिन्न ग्राहकों को प्रदान की जाने वाली सामग्री सहित विशिष्ट अनुबंधों के विवरण पर टिप्पणी नहीं कर सकता.’

शेफर्ड मीडिया के अनुसार, यूएवी को हैदराबाद स्थित 50,000 वर्ग फुट में स्थापित अडानी इकाई में निर्मित कार्बन मिश्रित एयरोस्ट्रक्चर के साथ सौंपा गया था. रिपोर्ट में यह भी संकेत दिया गया कि एल्बिट ने असेंबली प्रक्रिया के लिए सेंसर और इंजन जैसे आवश्यक उपकरणों के साथ भारत को हर्मेस 900 किट दी थी.

नवंबर 2023 में द हिंदू ने रिपोर्ट की थी – इज़रायल-हमास संघर्ष के बीच भारतीय रक्षा सेवाओं के लिए हर्मेस 900 यूएवी की डिलीवरी समयसीमा के बारे में एक अज्ञात स्रोत से मिली जानकारी के आधार पर- कि हर्मेस 900 का एयरोस्ट्रक्चर पहले ही हैदराबाद में निर्मित किया जा चुका है. अखबार ने एक सूत्र के हवाले से लिखा था, ‘कुछ उपकरण इज़रायल से आने हैं, जो पहले ही आ चुके हैं.’

फरवरी 2023 में की गई इजरायली आउटलेट हारेत्ज की रिपोर्ट के अनुसार, एल्बिट सिस्टम्स में एयरोस्पेस डिवीजन में यूएवी सिस्टम के उपाध्यक्ष वेरेड हैमोविच ने कहा था कि हर्मेस 900 एल्बिट सिस्टम का प्रमुख ड्रोन है, जिसे 2015 से इजरायली वायु सेना के अभियानों में इस्तेमाल किया जा रहा है. इसने ‘हाल के वर्षों में हुए सभी संघर्षों’ में हिस्सा लिया है.

ड्रोन, विशेष रूप से हर्मेस 900, गाजा में चल रहे सैन्य अभियान में इजरायल के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. सैन्य अभियान की शुरुआत 7 अक्टूबर 2023 को इज़रायल पर हमास के हमले के बाद शुरू हुई थी, जिसमें 1,200 से अधिक लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकांश नागरिक रहे.

बहरहाल, 30 घंटे से अधिक की अपनी विस्तारित सहनशक्ति के साथ हर्मेस 900 इजरायली बलों को सर्विलांस की महत्वपूर्ण क्षमताएं प्रदान करता है.

दिसंबर में द टेलीग्राफ के एक संवाददाता ने इज़रायल के पामाचिम हवाई अड्डे का दौरा किया और देखा कि कैसे इज़रायली सैनिक न केवल निगरानी के लिए, बल्कि गाजा में छोटे लेजर-निर्देशित बम पहुंचाने के लिए भी दूर बैठकर हर्मेस 900 ड्रोन का संचालन कर रहे थे.

7 अक्टूबर के हमले के बाद शुरुआत में इज़रायल के साथ बिना शर्त एकजुटता व्यक्त करने के बाद भारत ने पिछले कुछ महीनों में अपने रुख में बदलाव किया है.

भारत अक्टूबर 2023 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में मानवीय आधार पर संघर्ष विराम के आह्वान वाले एक प्रस्ताव पर भी अनुपस्थित हुआ था. हालांकि, दो महीने बाद इसने गाजा में तत्काल युद्धविराम के पक्ष में मतदान किया.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)