कुकी समुदाय के एक हेड कॉन्स्टेबल को निलंबित किए जाने के बाद भीड़ ने चुराचांदपुर के एसपी और ज़िला कलेक्टर कार्यालय पर हमला किया, जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई. कुकी-जो नागरिक समाज समूह आईटीएलएफ ने एक बयान में कहा कि चुराचांदपुर एसपी ज़िले में हुई हिंसा की इस घटना के लिए पूरी तरह से ज़िम्मेदार हैं.
नई दिल्ली: मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में गुरुवार (15 फरवरी) देर रात ताजा हिंसा देखी गई. भीड़ ने देर रात पुलिस अधीक्षक (एसपी) और जिला कलेक्टर के कार्यालयों वाले सरकारी परिसर पर धावा बोल दिया था. इस दौरान सुरक्षा बलों की गोलीबारी में कम से कम दो लोग मारे गए तथा 2 दर्जन से अधिक घायल हो गए हैं.
मणिपुर पुलिस पुलिस ने गुरुवार को सोशल साइट एक्स पर कहा, ‘लगभग 300-400 लोगों की भीड़ ने आज (गुरुवार) एसपी सीसीपी के कार्यालय पर धावा बोलने का प्रयास किया, पथराव आदि किया. आरएएफ सहित एसएफ स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले दागकर उचित जवाब दे रही है. चीजों पर नजर है.’
Mob numbering approx. 300–400 attempted to storm the office of SP CCP today, pelting stones, etc. The SF, including the RAF, is responding appropriately by firing tear gas shells to control the situation. Things are under watch..
— Manipur Police (@manipur_police) February 15, 2024
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने बताया कि जिले में तनाव है. प्रदर्शनकारियों को एसपी कार्यालय को घेरते हुए देखा गया, जो हेड कॉन्स्टेबल सियामलालपॉल की बहाली की मांग कर रहे थे, जिन्होंने एक पहाड़ी के ऊपर ‘सशस्त्र लोगों” और ‘ग्राम रक्षा स्वयंसेवकों’ के बंकर में सेल्फी ली थी.
हेड कॉन्स्टेबल सियामलालपॉल कुकी समुदाय से हैं.
प्रदर्शनकारियों ने एसपी कार्यालय के बाहर एक बस और अन्य इमारतों में आग लगा दी. गुस्साई भीड़ के हिंसक होने पर सुरक्षा बलों ने गोलीबारी की. हिंसा को देखते हुए जिले में मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया गया है.
चुराचांदपुर के एसपी शिवानंद सुर्वे ने निलंबन आदेश में कहा था, ‘चुराचांदपुर जिला पुलिस के सियामलालपॉल के खिलाफ एक विभागीय जांच पर विचार किया जा रहा है, क्योंकि सोशल मीडिया पर एक क्लिप वायरल हो गई है, जिसमें उन्हें 14 फरवरी को हथियारबंद लोगों के साथ एक वीडियो बनाते हुए दिखाया गया है.’
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि हेड कॉन्स्टेबल को गलत तरीके से निलंबित किया गया है और उन्हें बहाल किया जाना चाहिए.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मणिपुर पुलिस ने अभी तक हताहतों की संख्या पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन मामले से वाकिफ लोगों ने मारे गए लोगों की पहचान चुराचांदपुर निवासी लेटलालखुओल गंगटे और थांगगुनलेन हाओकिप के रूप में की है.
हमले के कारण राज्य सरकार को कुकी-बहुल चुराचांदपुर जिले में मोबाइल डेटा सेवाओं को पांच दिनों के लिए निलंबित करना पड़ा.
आदेश में संयुक्त सचिव (गृह) मायेंगबाम वीटो सिंह ने कहा कि ‘असामाजिक तत्व’ सोशल मीडिया का उपयोग ‘जनता की भावनाएं भड़काने’ के लिए कर सकते हैं और कानून-व्यवस्था की स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं.
आदेश में ‘अस्थिर कानून और व्यवस्था की स्थिति’ का हवाला दिया गया और कहा गया कि राज्य सरकार ने निवारक और एहतियाती उपाय के रूप में चुराचांदपुर में वीपीएन के माध्यम से मोबाइल इंटरनेट/डेटा सेवाओं और इंटरनेट डेटा सेवाओं को पांच दिनों के लिए अस्थायी रूप से निलंबित/रोकने का फैसला किया है.
कुकी-जो जनजातियों के प्रभुत्व वाला चुराचांदपुर जिला मई 2023 में शुरू हुई जातीय झड़पों से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक रहा है.
पहाड़ी-बहुसंख्यक कुकी-जो जनजातियों और घाटी-बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय के बीच जातीय तनाव के बीच मणिपुर में प्रतिद्वंद्वी सशस्त्र समूहों – जो खुद को ‘ग्राम रक्षा स्वयंसेवक’ कहते हैं, के बीच गोलीबारी देखी जा रही है.
एनडीटीवी के अनुसार, कुकी-जो जनजातियों ने बार-बार उनके गांवों पर हमले में राज्य पुलिस की संलिप्तता का आरोप लगाया है. पुलिस ने हर बार इन आरोपों का खंडन किया है और इसके बजाय ‘ग्राम रक्षा स्वयंसेवकों’ को बढ़ावा देने में कुकी-जो विद्रोहियों की कथित संलिप्तता की ओर इशारा किया है.
कुकी-जो नागरिक समाज समूह इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने गुरुवार देर रात एक बयान में कहा कि चुराचांदपुर पुलिस प्रमुख (एसपी) ‘जिले में आज रात की घटना के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार हैं.’
आईटीएलएफ के कथित वीडियो पिछले कुछ महीनों में सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं, जिसमें मणिपुर पुलिस के जवान सशस्त्र समूहों के साथ लड़ते हुए और कुकी-जो क्षेत्रों पर हमला करते हुए दिखाई दे रहे हैं. आईटीएलएफ ने कहा, ‘लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.’
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, आईटीएलएफ ने बयान में कहा कि हेड कॉन्स्टेबल को तुरंत निलंबित कर दिया गया, जबकि उग्रवादियों के साथ इसी तरह के वीडियो में देखे गए मेईतेई पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.
इसने चुराचांदपुर में बंद का आह्वान किया और एसपी शिवानंद सुर्वे को 24 घंटे के भीतर पहाड़ी जिला छोड़ने को कहा.
इसके अनुसार, ‘अगर एसपी निष्पक्षता से काम नहीं कर सकते, तो हम उन्हें किसी भी आदिवासी इलाके में नहीं रहने देंगे. उन्हें तत्काल पुलिसकर्मी का निलंबन रद्द कर 24 घंटे के अंदर जिला छोड़ देना चाहिए. अन्यथा, सुर्वे भविष्य में किसी भी घटना के लिए पूरी तरह जिम्मेदार होंगे.’
आईटीएलएफ उन नागरिक समाज समूहों में से एक है, जिसके साथ केंद्र सरकार मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने के प्रयासों के तहत बातचीत कर रही है.
रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले बीते मंगलवार (13 फरवरी) को इम्फाल ईस्ट में भीड़ ने एक शस्त्रागार से हथियार लूट लिए थे. सुरक्षा बलों द्वारा उस भीड़ पर की गई गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई.
मालूम हो कि 3 मई 2023 को मणिपुर में मेईतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक लगभग 200 लोग जान गंवा चुके हैं, सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए हैं और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.
3 मई 2023 को बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बीच दोनों समुदायों के बीच यह हिंसा भड़की थी.
मणिपुर की आबादी में मेईतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नगा और कुकी समुदाय शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.