फ्रांसीसी पत्रकार वेनेसा डॉनेक 25 साल से भारत में थीं. वह चार फ्रांसीसी प्रकाशनों की दक्षिण एशियाई संवाददाता थीं. गृह मंत्रालय के नोटिस में उन पर लगाए गए आरोपों में भारत के बारे में ‘नकारात्मक धारणा’ बनाने वाली ‘दुर्भावनापूर्ण’ रिपोर्टिंग से लेकर अव्यवस्था भड़काना, प्रतिबंधित क्षेत्रों की यात्रा के लिए अनुमति न लेना और पड़ोसी देशों पर रिपोर्टिंग करना शामिल है.
नई दिल्ली: भारत में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाली फ्रांसीसी पत्रकार वेनेसा डॉनेक ने शुक्रवार (16 फरवरी) को अपने भारत छोड़ने की घोषणा की. भारत सरकार ने उनकी रिपोर्टिंग को लेकर कथित चिंताओं के चलते पिछले महीने उनके ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्ड को रद्द करने के लिए दो सप्ताह का नोटिस जारी किया था.
गृह मंत्रालय द्वारा भेजे गए नोटिस पर फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने बीते जनवरी में भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के लिए अपनी यात्रा के दौरान भी सवाल उठाया था.
एक बयान में वेनेसा ने कहा कि वह अपनी घोषणा ‘आंसुओं के साथ’ लिख रही हैं.
उन्होंने कहा, ‘आज मैं भारत छोड़ रही हूं, वह देश जहां मैं 25 साल पहले एक छात्र के रूप में आई थी और जहां मैंने एक पत्रकार के रूप में 23 वर्षों तक काम किया है. वह स्थान जहां मैंने शादी की, अपने बेटे को पाला और जिसे मैं अपना घर कहती हूं.’
चार फ्रांसीसी प्रकाशनों की दक्षिण एशियाई संवाददाता वेनेसा को गृह मंत्रालय ने सूचित किया था कि उनका ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्ड दो सप्ताह के भीतर रद्द कर दिया जाएगा. अधिसूचना में निरस्तीकरण के लिए विभिन्न आधारों को सूचीबद्ध किया गया है, जिसमें भारत के बारे में ‘नकारात्मक धारणा’ बनाने वाली ‘दुर्भावनापूर्ण’ रिपोर्टिंग से लेकर अव्यवस्था भड़काना, प्रतिबंधित क्षेत्रों की यात्रा के लिए अनुमति न लेना और पड़ोसी देशों पर रिपोर्टिंग करना शामिल है.
मीडिया में नोटिस की खबर आने के बाद उन्होंने एक बयान जारी कर सभी आरोपों का खंडन किया था और कानूनी कार्यवाही में अपना पूरा सहयोग देने की बात कही थी.
भारत में तैनात लगभग 30 विदेशी संवाददाताओं ने संयुक्त रूप से वेनेसा के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए एक पत्र लिखा था और भारतीय अधिकारियों से उनके मामले को तुरंत हल करने का आग्रह किया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इससे उनके करिअर या पारिवारिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े.
गुरुवार (15 फरवरी) को जारी अपने सबसे हालिया बयान में उन्होंने कहा कि ‘भारत सरकार द्वारा उन्हें भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है.’
2022 में ओसीआई कार्ड के साथ भारत में रहते हुए एक पत्रकार के रूप में काम करने के उनके आवेदन को अस्वीकार करने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘16 महीने पहले गृह मंत्रालय ने एक पत्रकार के रूप में काम करने के मेरे अधिकार से इनकार कर दिया, कोई कारण या औचित्य नहीं बताया और कोई सुनवाई नहीं की. तब से मंत्रालय ने इस मनमानी कार्रवाई के स्पष्टीकरण या समीक्षा के लिए मेरे बार-बार अनुरोध का जवाब नहीं दिया है.’
पिछले महीने गृह मंत्रालय से मिले नोटिस पर डॉनेक ने कहा कि भारत सरकार ने उनके लेखों पर ‘दुर्भावनापूर्ण’ होने, ‘भारत की संप्रभुता और अखंडता के हितों’ को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया और मुझसे इस बात का जवाब देने की मांग की कि क्यों मेरे ओसीआई कार्ड को रद्द नहीं किया जाना चाहिए.’
नोटिस में यह भी दावा किया गया था कि डॉनेक के लेख ‘अव्यवस्था भड़का सकते हैं और शांति भंग कर सकते हैं.’
उन्होंने कहा कि हालांकि वह कानूनी रूप से आरोपों को चुनौती देना जारी रखेंगी, लेकिन इस प्रक्रिया ने उन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और पेशेवर रूप से प्रभावित किया है, जिससे वह भारत छोड़ने के लिए मजबूर हो रही हैं.
उन्होंने कहा, ‘आज, मैं काम करने में असमर्थ हूं और मुझ पर सरकार के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने का अनुचित आरोप लगाया गया है. यह स्पष्ट हो गया है कि मैं भारत में रहकर अपनी आजीविका नहीं कमा सकती. मैं सक्षम मंचों के समक्ष इन आरोपों के खिलाफ लड़ रही हूं. लेकिन मैं इसके नतीजे का इंतजार नहीं कर सकती.’
वेनेसा ने कहा, ‘मेरी ओसीआई स्थिति के संबंध में कार्यवाही ने मुझे तोड़ दिया है, खासकर अब जब मैं इन प्रयासों को ओसीआई समुदाय के असंतोष को रोकने के लिए भारत सरकार के व्यापक प्रयास के हिस्से के रूप में देखती हूं.’
फ्रांसीसी पत्रकार वेनेसा डॉनेक ने दावा किया कि अधिकारियों ने पहले सुझाव दिया था कि उन्हें रिपोर्टिंग बंद कर देनी चाहिए, लेकिन ‘अप्रमाणित आरोपों के कारण मैं इसे छोड़ने के लिए सहमत नहीं हो सकती.’
यह कहते हुए कि उन्हें ‘एक दिन’ भारत लौटने की उम्मीद है, वेनेसा ने ‘लोगों, दोस्तों और पत्रकार बिरादरी के सहकर्मियों को धन्यवाद दिया जिन्होंने उनके प्रति समर्थन दिखाया.’
जब भारतीय विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने माना था कि फ्रांस ने वेनेसा का मामला उठाया था, तब उन्होंने दावा किया था कि उनके खिलाफ कार्रवाई का उनकी रिपोर्टिंग से कोई लेना-देना नहीं है.
उन्होंने 26 जनवरी को एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा था कि लोग वह करने के लिए स्वतंत्र हैं, जिसके लिए उन्हें मान्यता प्राप्त है, लेकिन यहां मुझे लगता है कि मुख्य मुद्दा यह है कि क्या व्यक्ति संबंधित राज्य के नियमों और विनियमों का अनुपालन कर रहा है.
क्वात्रा ने दावा किया था कि फ्रांस ने मामले को पूरी तरह से नियमों के अनुपालन के चश्मे से देखने के लिए भारत के ‘संदर्भीय ढांचे’ की ‘सराहना’ की है.
द वायर ने वेनेसा के भारत छोड़ने के बारे में फ्रांसीसी दूतावास से टिप्पणी मांगी है, लेकिन अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
इस बीच, रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) ने वेनेसा डॉनेक के साथ सहानुभूति व्यक्त की है. आरएसएफ की संपादकीय निदेशक ऐनी बोकांडे ने एक बयान में कहा, ‘दो दशकों तक भारत में रहने के बाद एक अनुभवी पेशेवर पत्रकार को देश छोड़ने के लिए मजबूर करना, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में प्रेस की स्वतंत्रता की बहुत ही खराब और निंदनीय छवि प्रस्तुत करता है. आम चुनाव से दो महीने पहले, पेशेवर तरीके से भारत को कवर करने की कोशिश करने वाले विदेशी संवाददाताओं पर शिकंजा कसा जा रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘वेनेसा डॉनेक के साथ जो व्यवहार किया गया है और मुखर पत्रकारों को चुप कराने और डराने के लिए बेतुके आरोपों के इस्तेमाल के अस्वीकार्य तरीके की हम निंदा करते हैं. भारतीय अधिकारियों को पत्रकारों की सुरक्षा और काम करने की आजादी की गारंटी देनी चाहिए.’
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