छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण विरोधी क़ानून लाने की तैयारी, 60 दिन पहले डीएम को देनी होगी सूचना

छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ‘छत्तीसगढ़ ग़ैरक़ानूनी धर्मांतरण रोकथाम विधेयक’ विधानसभा में पेश करने वाली है, जिसमें अवैध धर्मांतरण की स्थिति में अधिकतम 10 साल की सज़ा का प्रावधान है. मसौदे में कहा गया है कि ‘एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन अनुचित प्रभाव, जोर-जबरदस्ती, प्रलोभन या विवाह या किसी कपटपूर्ण तरीके से से नहीं कराया जा सकता है.

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मुख्यमंत्री विष्णु देव साय. (फोटो साभार: फेसबुक)

छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ‘छत्तीसगढ़ ग़ैरक़ानूनी धर्मांतरण रोकथाम विधेयक’ विधानसभा में पेश करने वाली है, जिसमें अवैध धर्मांतरण की स्थिति में अधिकतम 10 साल की सज़ा का प्रावधान है. मसौदे में कहा गया है कि ‘एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन अनुचित प्रभाव, जोर-जबरदस्ती, प्रलोभन या विवाह या किसी कपटपूर्ण तरीके से से नहीं कराया जा सकता है.

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ विधानसभा में धर्मांतरण के संबंध में एक नया विधेयक पेश किया जाने वाला है. विधेयक के मुताबिक, जो व्यक्ति दूसरे धर्म में परिवर्तित होना चाहता है उसे कम से कम 60 दिन पहले व्यक्तिगत विवरण के साथ एक फॉर्म भरना होगा और इसे जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) के पास जमा करना होगा.

इंडियन एक्सप्रेस ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इसके बाद डीएम पुलिस से धर्म परिवर्तन के पीछे के ‘वास्तविक इरादे, कारण और उद्देश्य’ का पता लगाने के लिए कहेंगे.

हालांकि मसौदा तैयार है, लेकिन सूत्रों ने बताया कि इसे विधानसभा में अंतिम रूप से पेश किए जाने से पहले इसमें कुछ संशोधन किए जा सकते हैं.

धर्मांतरण समारोह करने वाले व्यक्ति को भी इसी तरह कम से कम एक महीने पहले एक फॉर्म भरना होगा.

मसौदे में यह भी कहा गया है कि ‘एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण बल, अनुचित प्रभाव, जोर-जबरदस्ती, प्रलोभन या विवाह या किसी कपटपूर्ण तरीके से नहीं कराया जा सकता है.’

इसमें कहा गया है कि अगर डीएम को पता चलता है कि ऐसा हुआ है तो धर्मांतरण अवैध माना जाएगा.

‘छत्तीसगढ़ गैरकानूनी धर्मांतरण रोकथाम विधेयक’ के मसौदे में यह भी कहा गया है कि धर्मांतरण के बाद व्यक्ति को 60 दिनों के भीतर एक और घोषणा-पत्र भरना होगा और सत्यापन के लिए खुद को डीएम के सामने प्रस्तुत करना होगा.

अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो धर्मांतरण को अवैध माना जा सकता है. साथ ही कहा गया है कि पुष्टि की तारीख तक डीएम अपने कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर घोषणा-पत्र की एक प्रति प्रदर्शित करेंगे.

धर्म परिवर्तन करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की डीएम द्वारा एक रजिस्ट्री रखी जाएगी.

आपत्ति की स्थिति में उस व्यक्ति द्वारा एफआईआर दर्ज की जा सकती है, जो धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति से खून या गोद लेने से संबंधित है. इसमें कहा गया है कि मामला गैर-जमानती होगा और सत्र अदालत द्वारा सुनवाई योग्य होगा.

नाबालिगों, महिलाओं या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्यों का अवैध रूप से धर्मांतरण कराने वालों को कम से कम दो साल और अधिकतम 10 साल की जेल होगी, साथ ही न्यूनतम 25,000 रुपये का जुर्माना लगेगा.

सामूहिक धर्म परिवर्तन पर कम से कम तीन साल और अधिकतम 10 साल की सजा और 50,000 रुपये जुर्माना होगा. अदालत धर्म परिवर्तन के पीड़ित को 5 लाख रुपये तक का मुआवजा भी मंजूर कर सकती है.

इसमें कहा गया है कि यह साबित करने का भार कि धर्मांतरण अवैध नहीं था, अनुष्ठान आयोजित करने वाले व्यक्ति पर होगा.

यह कानून उन लोगों पर लागू नहीं होता जो अपने पिछले धर्म में वापस धर्मांतरण करना चाहते हैं.

पिछले कुछ वर्षों में कांग्रेस के सत्ता में रहने के दौरान राज्य ने कोंडागांव और नारायणपुर जैसे जिलों में ईसाई धर्म अपनाने वाले आदिवासियों पर हमले के कई उदाहरण देखे. विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने धर्मांतरण को चुनावी मुद्दा बनाया था.

यह जशपुर के पूर्व शाही परिवार के दिवंगत केंद्रीय मंत्री दिलीप सिंह जूदेव थे, जिन्होंने सबसे पहले अपने जिले में ‘घर वापसी’ अभियान को बढ़ावा दिया था.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जशपुर से आते हैं और जूदेव को अपने गुरु के रूप में देखते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा है कि पिछले पांच वर्षों में धर्मांतरण में वृद्धि हुई है.

उन्होंने पिछले महीने कहा था, ‘जूदेव जी ने जशपुर में घर वापसी अभियान चलाया, जिससे हमारा जिला सुरक्षित है. अन्यथा एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च हमारे जिले में है और धर्मांतरण तेजी से होता है. हालांकि वह एक राजा थे, लेकिन उन्होंने धर्मांतरित लोगों के पैर धोए और उन्हें हिंदू धर्म में वापस लाए और आज उनका बेटा इस काम को आगे बढ़ा रहा है.’