कमज़ोर जनजातीय समूहों की जनसंख्या के आकलन में सरकार के सामने दिक्कतें, योजना अधर में

विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के लिए सरकार के 24,000 करोड़ रुपये के ‘पीएम-जनमन’ पैकेज के कार्यान्वयन के लिए जनसंख्या की जानकारी महत्वपूर्ण है. हालांकि सरकार पिछले तीन महीनों में कुल पीवीटीजी आबादी के लिए तीन भिन्न अनुमानों पर पहुंची है. अधिकारियों का कहना है कि ये आंकड़े अंतिम नहीं हैं.

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बैगा, छत्तीसगढ़ की विशेष रूप से कमजोर एक जनजाति. (फोटो साभार: विकिपीडिया)

विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के लिए सरकार के 24,000 करोड़ रुपये के ‘पीएम-जनमन’ पैकेज के कार्यान्वयन के लिए जनसंख्या की जानकारी महत्वपूर्ण है. हालांकि सरकार पिछले तीन महीनों में कुल पीवीटीजी आबादी के लिए तीन भिन्न अनुमानों पर पहुंची है. अधिकारियों का कहना है कि ये आंकड़े अंतिम नहीं हैं.

बैगा, छत्तीसगढ़ की विशेष रूप से कमजोर एक जनजाति. (फोटो साभार: विकिपीडिया)

नई दिल्ली: साल 2021 की जनगणना में अनिश्चितकाल की देरी के साथ देश भर में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) की कुल आबादी का अनुमान लगाने के लिए पीएम गति शक्ति पोर्टल का उपयोग करने का सरकार का प्रयास एक के बाद एक मुश्किलों का सामना कर रहा है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके चलते सरकार पिछले तीन महीनों में कुल पीवीटीजी आबादी के लिए तीन भिन्न अनुमानों पर पहुंची है – करीब 28 लाख नवंबर में, 36.75 लाख जनवरी मध्य में और 44.64 लाख जनवरी अंत में. अधिकारियों का कहना है कि ये आंकड़े अंतिम नहीं हैं.

पीवीटीजी के लिए सरकार के 24,000 करोड़ रुपये के पीएम-जनमन पैकेज के कार्यान्वयन के लिए जनसंख्या की जानकारी महत्वपूर्ण है. यह डेटा कुछ बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए आवश्यक है, जिनके लिए जनसंख्या मानदंड को पूरा करने की आवश्यकता होती है.

जब नवंबर 2023 में पीवीटीजी गांवों में सभी बुनियादी सुविधाएं और बुनियादी ढांचे होना सुनिश्चित करने के लिए पैकेज लॉन्च किया गया था तो सरकार ने कहा था कि देश में लगभग 28 लाख पीवीटीजी लोग हैं. सरकार ने कहा था कि उसका लक्ष्य उनके कब्जे वाली लगभग 22,500 बस्तियों में ढांचागत कमियों को दूर करना है.

लेकिन जब जनवरी 2024 में परिचालन दिशानिर्देश जारी हुए थे, तब जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने दावा किया था कि पीवीटीजी की कुल आबादी 36.75 लाख है. जनवरी के अंत तक सरकार ने कुल जनसंख्या की गणना को और संशोधित कर दिया था. 31 जनवरी 2024 तक यह 44.64 लाख आंकी गई.

इनमें से किसी भी अनुमान में बिहार और मणिपुर का डेटा शामिल नहीं है, अधिकारियों का कहना है कि कुछ बस्तियों की आबादी को शेष राज्यों के लिए भी पोर्टल में फीड किया जाना बाकी है.

झारखंड के दक्षिण में एक जिला अधिकारी ने द हिंदू से कहा कि विभिन्न राज्य और जिले जनसंख्या के आंकड़ों का अनुमान कैसे लगा रहे हैं, इसमें बहुत अधिक एकरूपता नहीं है.

छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान में परियोजना पर काम कर रहे जिला अधिकारियों के अनुसार, कुछ जिले राशन वितरण चार्ट से जनसंख्या डेटा का उपयोग कर रहे हैं, अन्य जिले 2011 की जनगणना या सरकारी संस्थानों द्वारा 2015 में किए गए सर्वेक्षणों के डेटा का उपयोग कर रहे हैं; कुछ जिलों ने विस्तृत सर्वेक्षण तैयार किया है और हाल ही में 2023 तक पीवीटीजी आबादी की करीबी गिनती की है, जबकि अन्य ने केवल घरेलू और निवास सर्वेक्षणों के आधार पर इसका अनुमान लगाया है.

एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि पोर्टल पर एकत्र किया जा रहा अधिकांश जनसंख्या डेटा ‘आवास-स्तर के सर्वेक्षणों’ पर आधारित है, इस बात पर जोर देते हुए कि यह ‘जनगणना-जैसी प्रक्रिया नहीं है.’

एक अधिकारी के हवाले से द हिंदू ने लिखा है, ‘इसमें जिला अधिकारियों को बस्तियों का दौरा करने, वहां रहने वाले पीवीटीजी परिवारों की पुष्टि करने और वहां उनकी आबादी का अनुमान लगाने के लिए कहा गया, ताकि स्वीकृत की जाने वाली परियोजनाओं के लिए विशिष्ट क्षेत्र को पीएम गति शक्ति पोर्टल पर पीवीटीजी क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया जा सके.’

जनमन पैकेज के तहत कनेक्टिंग सड़कों और आंगनबाड़ियों के निर्माण जैसी कुछ बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूरी देने से पहले जनसंख्या मानदंड को पूरा करने की आवश्यकता होती है.

जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने पीएम-जनमन पर काम कर रहे सभी मंत्रालयों से कहा है कि पोर्टल पर जनसंख्या के आंकड़े स्थिर नहीं है और यह संशोधन के अधीन है.

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम यह नहीं कह रहे हैं कि सभी कमियों की पहचान कर ली गई है. लेकिन हम कम से कम अपने रास्ते पर हैं. आंकड़े निरंतर अपडेट हो रहे हैं और जब भी हम अधिक कमियों की पहचान करेंगे, हम उन्हें दूर कर देंगे.’

अब तक, पीएम-जनमन पैकेज के तहत सरकार लक्षित 8,000 किमी सड़कों में से 1,207 किमी के निर्माण; लक्षित 1,000 बहुउद्देशीय केंद्रों में से 450; और 87,000 से अधिक पीवीटीजी घरों के विद्युतीकरण को मंजूरी दे पाई है. जनवरी के नवीनतम उपलब्ध सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि देश भर में कम से कम 12.70 लाख पीवीटीजी परिवार हैं.

उस समय उपलब्ध मूल्यांकन के आधार पर जनमन पैकेज में 4.9 लाख पक्के घर बनाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए इस जनवरी में 1 लाख लाभार्थियों को पहली किस्त जारी की गई थी. इसके अलावा, लक्षित 2,500 में से अब तक लगभग 1,000 आंगनबाड़ी केंद्रों को मंजूरी दी जा चुकी है.

जनमन पैकेज का पूरा 24,000 करोड़ रुपये का आवंटन तीन वर्षों की अवधि में खर्च किया जाना है. परियोजना से जुड़े 9 मंत्रालयों में से प्रत्येक ने इस उद्देश्य के लिए अपने संबंधित अनुसूचित जनजाति घटक में अलग से धन रखा है. अब तक पैकेज के तहत स्वीकृत परियोजनाओं की राशि 4,700 करोड़ रुपये से कुछ अधिक है.