ईडी के समन की अवहेलना को लेकर अरविंद केजरीवाल के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार (19 फरवरी) को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एक शिकायत दर्ज की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने जान-बूझकर शराब नीति मामले के संबंध में उन्हें जारी किए गए पहले तीन समन की अवहेलना की है. ईडी के एक सूत्र ने कहा कि जांच अधिकारी ने शनिवार (17 फरवरी) को आईपीसी की धारा 174 (लोक सेवक के आदेश का पालन न करना) के तहत शिकायत दर्ज की और अदालत ने इसका संज्ञान लिया है, जिससे प्रथमदृष्टया यह स्वीकार हो गया है कि केजरीवाल ने अपराध किया है, जिसके लिए उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्र ने कहा, ‘अदालत के सामने सवाल समन की वैधता के बारे में नहीं है, बल्कि जान-बूझकर तीन समन की अवज्ञा करने के केजरीवाल के अवैध कृत्य का है.’ सोमवार को केजरीवाल ने छठी बार ईडी के सामने पेश होने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि ईडी को उन्हें बार-बार समन करने के बजाय अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए. उनकी आम आदमी पार्टी ने कहा कि ईडी के समन की वैधता का मामला अब अदालत में है. बार-बार समन भेजने के बजाय ईडी को अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए.

पिछले महीने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में बैलेट-टेम्परिंग मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में फिर से शुरू हुई सुनवाई के दौरान चुनाव के पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने आठ मत-पत्रों पर एक निशान बनाने की बात स्वीकार की, जिसे बाद में उन्होंने अवैध घोषित कर दिया और जिससे अब इस्तीफा दे चुके भाजपा से मेयर मनोज सोनकर की जीत का रास्ता साफ हो गया था. हालांकि, उन्होंने यह कहकर अपने कृत्य को उचित ठहराया कि उन्होंने केवल उन मत-पत्रों पर ‘X’ मार्क लगाए, जिन्हें मतदान प्रक्रिया के दौरान पार्षदों द्वारा पहले ही विरूपित कर दिया गया था. पीठासीन अधिकारी ने कहा कि वह उन्हें अलग से चिह्नित कर रहे थे, ताकि वे बाकी वोटों के साथ मिल न जाएं. लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, इस पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, ‘आपको (मसीह) केवल मत-पत्रों पर हस्ताक्षर करना था. नियमों में यह कहां दिया गया है कि आप मत-पत्रों में अन्य चिह्न लगा सकते हैं?’ फिर सॉलिसिटर जनरल की ओर मुखातिब होते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘मिस्टर सॉलिसिटर, उन पर मुकदमा चलाना होगा. वह चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे थे.’

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि ऋण धोखाधड़ी मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर की गिरफ्तारी ‘बिना दिमाग लगाए और कानून का उचित सम्मान किए बिना’ की गई, यह ‘सत्ता/ताकत का दुरुपयोग’ है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई और जस्टिस एनआर बोरकर की खंडपीठ ने 6 फरवरी को कोचर की गिरफ्तारी को अवैध ठहराया था और जनवरी 2023 में एक अन्य पीठ द्वारा उन्हें जमानत देने के अंतरिम आदेश की पुष्टि की थी. सोमवार को उपलब्ध कराए गए आदेश में अदालत ने कहा कि सीबीआई उन परिस्थितियों या सहायक सामग्री को प्रदर्शित करने में असमर्थ रही है, जिसके आधार पर गिरफ्तारी का निर्णय लिया गया था. अदालत ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों का अभाव गिरफ्तारी को अवैध बना देता है. अदालत ने कहा, ‘दिमाग का इस्तेमाल किए बिना और कानून का उचित सम्मान किए बिना इस तरह की नियमित गिरफ्तारी शक्ति का दुरुपयोग है.’ अदालत ने सीबीआई की इस दलील को भी मानने से इनकार कर दिया कि गिरफ्तारी इसलिए की गई, क्योंकि कोचर जांच में सहयोग नहीं कर रही थीं और कहा कि आरोपियों को पूछताछ के दौरान चुप रहने का अधिकार है.

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी, क्योंकि उन्होंने तर्क दिया था कि सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध हर नागरिक का मौलिक अधिकार है. द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, सिद्धारमैया और 35 अन्य पर 2022 में आयोजित एक विरोध मार्च के दौरान तत्कालीन भाजपा सरकार को डराने के लिए आपराधिक बल का उपयोग करने के इरादे से गैर-कानूनी रूप से इकट्ठा होने के लिए आरोप-पत्र दायर किया गया था. यह मार्च तत्कालीन ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री केएस ईश्वरप्पा के इस्तीफे की मांग को लेकर निकाला गया था. शीर्ष अदालत ने सिद्धारमैया द्वारा अपने वकीलों, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी के माध्यम से की गईं दलीलों को दर्ज किया. इसके मुताबिक, ‘लोकतंत्र में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, इकट्ठा होना और विरोध करना सर्वोपरि है. इसकी गारंटी है. राज्य की सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ बिना किसी आपराधिक इरादे के शांतिपूर्वक किए गए राजनीतिक विरोध को दंडात्मक प्रावधानों के इस्तेमाल से दबाया नहीं जा सकता है.’ 2 फरवरी, 2024 को कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा उनके खिलाफ आपराधिक मामले को रद्द करने से इनकार करने के बाद इन नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया और मामले को छह सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया है.

केंद्र सरकार और किसानों के बीच तनावपूर्ण गतिरोध के बीच संयुक्त किसान मोर्चा – किसान यूनियनों का एकछत्र संगठन जो विरोध प्रदर्शन के इस दौर का नेतृत्व करने वालों से सीधे तौर पर जुड़ा नहीं है – ने पुराने एमएसपी पर तीन प्रकार की दालें, मक्का और कपास खरीदने का पांच साल का अनुबंध खारिज कर दिया है. केंद्र सरकार ने यह प्रस्ताव दिया था. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, मोर्चा ने सोमवार शाम को इस प्रस्ताव की आलोचना करते हुए इसे ‘किसानों की मुख्य मांगों को भटकाने वाला’ बताया और ‘सभी फसलों (उपरोक्त पांच सहित 23) की खरीद की गारंटी के साथ (जैसा कि) भाजपा के घोषणा-पत्र (2014 के आम चुनाव से पहले) में वादा किया गया था’ से कम पर समझौता न करने पर जोर दिया. संगठन ने कहा कि यह खरीद स्वामीनाथन आयोग के C2+50 प्रतिशत एमएसपी, या न्यूनतम समर्थन मूल्य, फार्मूले पर आधारित होनी चाहिए, न कि मौजूदा A2+FL+50 प्रतिशत पद्धति पर. किसान मोर्चा ने अब तक हुई चार दौर की वार्ताओं में पारदर्शिता की कमी के लिए सरकार की भी आलोचना की. इन वार्ताओं का नेतृत्व कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा सहित तीन केंद्रीय मंत्रियों ने किया है.

अखिलेश यादव ने सोमवार को कहा कि दोनों पक्षों के बीच सीट बंटवारे का समझौता तय होने के बाद उनकी समाजवादी पार्टी (सपा) कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत न्याय यात्रा में शामिल होगी. समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए अखिलेश ने कहा कि सपा और कांग्रेस के बीच बातचीत आगे बढ़ रही है और सीट बंटवारे को लेकर दोनों के बीच सूचियों का आदान-प्रदान किया गया है. उन्होंने कहा, ‘अभी बातचीत चल रही है, उनके पास से सूचियां आ गई हैं, हमने भी उन्हें सूची दे दी है. जैसे ही सीटों का बंटवारा हो जाएगा, समाजवादी पार्टी उनकी न्याय यात्रा में शामिल हो जाएगी.’ इससे पहले अखिलेश ने इंडिया टुडे टीवी को एक साक्षात्कार में बताया था कि राहुल गांधी कुछ उम्मीदवारों और सीटों को लेकर अड़े हुए हैं, जिससे सीट-बंटवारे सौदे की प्रक्रिया में देरी हो रही है. अखिलेश यादव, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के बीच बातचीत जारी है, लेकिन अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचना अभी बाकी है.