महाराष्ट्र में सेंट्रल महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेज़िडेंट डॉक्टर्स ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने 10 दिन की अवधि देने के बावजूद उनके द्वारा उठाई गईं मांगों को पूरा नहीं किया है. उनकी मांगों में छात्रावास की मरम्मत एवं निर्माण हेतु धनराशि जारी करना, लंबित वेतन और बकाया जारी करना आदि है.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सेंट्रल महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (एमएआरडी) के सदस्यों ने बुधवार (21 फरवरी) से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने 10 दिन की अवधि देने के बावजूद उनके द्वारा उठाई गईं विभिन्न मांगों को पूरा नहीं किया है.
इस हड़ताल के दौरान आवश्यक उपाय के रूप में आपातकालीन सेवाएं बरकरार रखी जाएंगी. रेजिडेंट डॉक्टरों द्वारा उठाई गईं मांगों में बेहतर छात्रावास सुविधाएं, बकाया राशि जारी करना और वेतन में बढ़ोतरी शामिल है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सेंट्रल एमएआरडी द्वारा बुधवार को जारी एक नोटिस में कहा गया है, ‘हम दोहराते हैं कि रोगी की देखभाल हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और जिम्मेदारी की गहरी भावना के साथ हम यह कदम उठाते हैं. हमारा इरादा सेवाओं को बाधित करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि अधिकारी रेजिडेंट डॉक्टरों के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करें, जो स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की रीढ़ हैं.’
एमएआरडी के अध्यक्ष डॉ. अभिजीत हेगले ने कहा कि 7 फरवरी के आश्वासन के बावजूद रेजिडेंट डॉक्टरों की चिंताओं को दूर करने की सरकार की प्रतिबद्धताएं अधूरी हैं.
उन्होंने उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार और चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ द्वारा किए गए वादों पर प्रकाश डाला, जिनमें छात्रावास की मरम्मत एवं निर्माण हेतु आवश्यक धनराशि का तत्काल अनुदान, लंबित वेतन और बकाया जारी करने के साथ वेतन भुगतान का नियमितीकरण, वेतन में 10,000 रुपये की बढ़ोतरी शामिल हैं.
डॉ. हेगले ने कहा, ‘इन प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में देरी के कारण हमारे पास अपने अधिकारों की रक्षा के लिए निर्णायक कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.’
हड़ताल पर टिप्पणी करते हुए जेजे अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन्होंने मरीजों की जरूरतों को पूरा करने के लिए विशेष व्यवस्था की है.
अधिकारी ने कहा, ‘हमने वरिष्ठ डॉक्टरों और प्रोफेसरों को ओपीडी ड्यूटी में शामिल होने के लिए कहा है. साथ ही, हमने कमियों को भरने के लिए बीएमसी संचालित अस्पतालों से अतिरिक्त कर्मचारी भी मांगे हैं.’
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस महीने की शुरुआत में महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (एमएआरडी) 7 फरवरी को हड़ताल पर चले गए थे. हालांकि, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार द्वारा दस दिनों के भीतर मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिए जाने के बाद उन्होंने तुरंत हड़ताल वापस ले ली थी.