बीते 21 फरवरी को भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) द्वारा बुलाए गए एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन के दौरान 61 वर्षीय किसान आत्मदाह करने की कोशिश की थी. किसान ने कहा कि बैंक लोन के बोझ के कारण उन्होंने यह क़दम उठाया. उन्होंने एक व्यक्ति के माध्यम से लोन लिया था, जिसने उनके साथ धोखाधड़ी कर दी थी.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश मुजफ्फरनगर जिले में बीते 21 फरवरी को भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) की ओर से आयोजित एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन के दौरान एक 61 वर्षीय किसान ने आत्मदाह करने की कोशिश की थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, घटना के एक दिन बाद किसान बृजपाल सिंह ने कहा, ‘कौन अपना शरीर जलाना चाहता है? थोड़ी सी उंगली जल जाए तो इंसान दर्द से कराह उठता है. ये सब बहुत अच्छा नहीं लगता, लेकिन हम मजबूर हैं, क्योंकि हम किसान हैं.’
झुलसने के बाद धूप से बचने के लिए अपना चेहरा ढंकते हुए नम आंखों से सिंह ने कहा कि बैंक ऋण के बोझ के कारण उन्होंने यह कदम उठाया. उन्होंने कहा कि उन्हें एक व्यक्ति ने धोखा दिया है और 5.63 लाख रुपये का भुगतान करने के बावजूद उन्हें बैंक से लंबित बकाया के नोटिस मिल रहे हैं.
सिंह ने कहा, ‘अक्टूबर 2016 में मैं बागपत निवासी अमर पाल के संपर्क में आया, जिसने खुद को पीएनबी का ‘फील्ड ऑफिसर’ बताया था. उसने मुझसे लोन पर ट्रैक्टर दिलाने का वादा किया, क्योंकि मेरे पास पैसे की कुछ कमी थी. ट्रैक्टर की कीमत 7.50 लाख रुपये थी, इसलिए मैंने उसे 5 लाख रुपये दिए और 2.50 लाख रुपये बैंक से फाइनेंस कराने को कहा.’
उन्होंने कहा, ‘मैं ट्रैक्टर पाकर खुश था, क्योंकि इससे चीजें आसान हो गईं. इस बीच मैंने बाकी 2.50 लाख रुपये चुका दिए. लेकिन सब कुछ उल्टा हो गया, जब मुझे 5.63 लाख रुपये के ऋण पर किस्तों का भुगतान करने के लिए बैंक से नोटिस मिला.’
सिंह ने आरोप लगाया कि अमर पाल ने उनके पैसे ले लिए और बैंक को भुगतान नहीं किया.
उन्होंने कहा, ‘मुझे तब पता चला कि मेरे साथ धोखाधड़ी हुई है, जब मैं 2017 में बुढ़ाना में पीएनबी शाखा में गया, जहां उन्होंने मुझे मेरे हस्ताक्षर और व्यक्तिगत दस्तावेजों वाले कागजात दिखाए. इसी बीच पाल ने एक और धोखाधड़ी की. उसने ‘कल्याणी कार्ड’ के लिए गांव की 9 महिलाओं के दस्तावेज एकत्र किए और कहा कि उनमें से प्रत्येक को अपना छोटा व्यवसाय शुरू करने के लिए 1 लाख रुपये का ऋण मिलेगा.’
सिंह ने कहा, ‘हम पूछते रहे कि लोन का क्या हुआ, लेकिन वह इसे टालता रहा और एक दिन सभी महिलाओं को बैंक से पैसे चुकाने का नोटिस मिला. उसने अनपढ़ महिलाओं के नाम पर सारा कर्ज हड़प लिया.
सिंह ने पुराने अखबारों की कतरनें दिखाते हुए कहा कि यह खुद को आग लगाने का उनका दूसरा प्रयास था.