कुछ मीडिया रिपोर्ट में पाया गया है कि ईडी और आईटी जांच का सामना कर रहीं 30 कंपनियों ने पिछले पांच वर्षों में भाजपा को 335 करोड़ रुपये का दान दिया, इसका हवाला देते हुए कांग्रेस ने इसे भाजपा की ‘हफ्ता वसूली’ क़रार दिया है. पार्टी ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर मामले की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की है.
नई दिल्ली: कांग्रेस ने शुक्रवार (23 फरवरी) को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाया कि वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर (आईटी) विभाग सहित केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल निजी कंपनियों को पार्टी फंड में दान करने हेतु मजबूर करने के लिए एक डराने वाले उपकरण के रूप में कर रही है.
नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस सांसद और महासचिव संचार जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर मामले की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की है.
द न्यूज मिनट और न्यूजलॉन्ड्री की हालिया रिपोर्ट, जिसमें पाया गया कि ईडी और आईटी जांच का सामना कर रहीं 30 कंपनियों ने पिछले पांच वर्षों में भाजपा को 335 करोड़ रुपये का दान दिया, का हवाला देते हुए रमेश ने कहा कि यह ‘हफ्ता-वसूली का स्पष्ट मामला’ है.
भाजपा को 335 करोड़ रुपये
रिपोर्ट में पाया गया कि कम से कम 30 कंपनियों, जिन्होंने वित्तीय वर्ष 2018-19 और 2022-23 के बीच भाजपा को कुल लगभग 335 करोड़ रुपये का दान दिया, को उस अवधि के दौरान केंद्रीय एजेंसियों द्वारा कार्रवाई का भी सामना करना पड़ा था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन कंपनियों में से 23 कंपनियों ने, जिन्होंने इस अवधि के दौरान पार्टी को कुल 187.58 करोड़ रुपये दिए, 2014 और छापे के वर्ष के बीच कभी भी भाजपा को कोई राशि दान नहीं की थी और केंद्रीय एजेंसी के दौरे के चार महीनों के भीतर कम से कम चार कंपनियों ने कुल 9.05 करोड़ रुपये का दान दिया था.
रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि इनमें से कम से कम छह कंपनियों ने, जो पहले से ही पार्टी को दान दे रही थीं, छापे के बाद के महीनों में पहले से बड़ी राशि का दान दिया. वहीं, हर साल भाजपा को दान देने वालीं छह अन्य कंपनियां एक वित्तीय वर्ष में दान देने से चूक गईं तो उन्हें केंद्रीय एजेसिंयों की कार्रवाई का सामना करना पड़ा था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम तीन भाजपा दानदाता, जो 30 की सूची का हिस्सा नहीं हैं, पर केंद्र सरकार से अनुचित लाभ प्राप्त करने के आरोप रहे हैं. इसी अवधि के दौरान इन 32 कंपनियों में से केवल तीन ने कांग्रेस को दान दिया.
जयराम रमेश ने कहा, ‘यह हफ्ता वसूली का स्पष्ट मामला है और कुछ नहीं.’
उन्होंने कहा, ‘इन कंपनियों से दान लेने के लिए सीबीआई, ईडी और आईटी के माध्यम से धमकी देना दर्शाता है कि उद्देश्य हफ्ता वसूली था. हमारे महासचिव ने इस पर वित्त मंत्री को पत्र लिखा है. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि निजी कंपनियों से सिर्फ राजनीतिक चंदा लेने के लिए उन्हें जांच एजेंसियों की कार्रवाई का सामना करना पड़ा हो.’
‘संदिग्ध कंपनियां’
सीतारमण को लिखे पत्र में वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी यह ‘आरोप नहीं लगा रही है कि दर्ज किए गए मामले या जांच एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाई अवैध है, लेकिन यह एक जांच की मांग करता है कि ये ‘संदिग्ध’ कंपनियां, जिनके खिलाफ ईडी के मामले हैं, वे ईडी की जांच के बावजूद सत्तारूढ़ दल भाजपा को दान क्यों दे रही हैं. क्या यह महज संयोग है कि ईडी की कार्रवाई के बाद वे भाजपा को चंदा दे रहे हैं?’
वेणुगोपाल ने कहा कि जबकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक घोषित कर दिया है, वित्त मंत्रालय को ‘भाजपा की तिजोरी को भरने’ में अपनाए गए ‘कदाचारों के लिए जवाबदेह बनाया जाना चाहिए.’
पत्र में वेणुगोपाल ने पूछा है कि क्या भाजपा के वित्त पर श्वेत-पत्र लाया जाएगा, न केवल उसके स्रोतों पर बल्कि इस पर भी कि कैसे कॉरपोरेट कंपनियों को ‘जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके दान देने के लिए मजबूर किया गया.’
पत्र में कहा गया है, ‘अगर आपके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तो क्या आप उन घटनाओं के ‘घटनाक्रम’ पर बिंदुवार खंडन प्रस्तुत करने को तैयार हैं, जिनके कारण भाजपा का खजाना भर गया? अगर आप तथ्यात्मक स्पष्टीकरण देने को तैयार नहीं हैं, तो क्या आप भाजपा के लिए चंदा लूटने के इन संदिग्ध सौदों की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच के लिए खुद को प्रस्तुत करने को तैयार हैं?’
पत्र में कहा गया है, ‘हम कानून की अदालतों और जनता की अदालत में जाने वाले हैं. हम आपको दोनों मोर्चों पर हराएंगे.’
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