मणिपुर पुलिस की मणिपुर राइफल्स और इंडियन रिज़र्व बटालियन के कुकी-ज़ो जनजाति समुदाय के कर्मचारियों ने एक ट्रांसफर आदेश में हस्तक्षेप करने के लिए शीर्ष आदिवासी मंच इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम से संपर्क किया था. ऐसा दावा था कि यह आदेश उन्हें राज्य के बहुसंख्यक मेईतेई-प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में तैनात करता है, जहां उनकी सुरक्षा की गारंटी नहीं.
नई दिल्ली: मणिपुर पुलिस ने मौजूदा संकट को देखते हुए स्थानांतरित कर्मचारियों की आवाजाही पर रोक लगा दी है. उन्होंने कहा कि स्थानांतरण ट्रांसफर आदेश प्रभावी रहेंगे, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर कर्मचारियों को स्थानांतरित किया जाएगा.
स्थानांतरित कर्मचारियों की आवाजाही में रुकावट तब आई, जब एक आदिवासी निकाय (इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मेईतेई-प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में कुकी-ज़ो जनजाति समुदाय के पुलिसकर्मियों की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की थी.
मालूम हो कि राज्य में वर्तमान में जारी हिंसा में मुख्य रूप से बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय और कुमी-जोमी जनजाति समुदाय के लोग आमने-सामने हैं.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने कहा कि ट्रांसफर आदेश अतिरिक्त मैनपावर (कर्मचारियों) को सुव्यवस्थित करने के लिए जारी किए गए थे, लेकिन मौजूदा संकट को देखते हुए इस स्तर पर कर्मचारियों की तत्काल आवाजाही की कोई आवश्यकता नहीं है.
शुक्रवार (23 फरवरी) की देर रात मणिपुर पुलिस ने एक्स पर पोस्ट किया था, ‘मणिपुर राइफल्स/इंडियन रिजर्व इकाइयों के सभी समुदायों के 177 कर्मचारियों को विभिन्न इकाइयों में स्थानांतरित करने और पोस्टिंग के संबंध में मणिपुर पुलिस मुख्यालय के आदेश दिनांक 14.02.2024 का संदर्भ लेते हुए यह सूचित किया जाता है कि सभी मणिपुर राइफल्स/इंडियन रिजर्व इकाइयों में उपलब्ध स्वीकृत पद के विरुद्ध अतिरिक्त मैनपावर (कर्मचारियों) को सुव्यवस्थित करने और उनके वेतन तैयार करने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए ट्रांसफर और पोस्टिंग की गई है. हालांकि, वर्तमान संकट को देखते हुए इस स्तर पर आवश्यक कर्मचारियों की तत्काल कोई आना-जाना नहीं है.’
Reference to Manipur Police Headquarter order dated 14.02.2024 regarding transfer and posting of 177(One hundred and seventy-seven) personnel of all communities of MR/IR units to various units, it is informed that the transfer and posting has been done in order to streamline the…
— Manipur Police (@manipur_police) February 23, 2024
चुराचांदपुर स्थित शीर्ष आदिवासी मंच इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने 23 फरवरी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर ट्रांसफर आदेशों को रोकने के लिए हस्तक्षेप करने का आह्वान किया था, क्योंकि इसमें कुकी-ज़ो पुलिसकर्मियों को मेईतेई-प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में स्थानांतरित करने की आवश्यकता थी.
आईटीएलएफ ने दावा किया था कि अगर कुकी-ज़ो कर्मचारियों को मेईतेई समुदाय के प्रभुत्व वाले जिलों में तैनात किया गया तो ‘राज्य सरकार उनकी सुरक्षा की गारंटी नहीं दे पाएगी’.
आईटीएलएफ के अधिकारियों ने कहा था कि 14 फरवरी को पुलिस महानिदेशक द्वारा हस्ताक्षरित इस विशेष ट्रांसफर आदेश में 177 अधिकारियों का तबादला किया गया है. उनका कहना था कि इसमें से 110 कुकी-ज़ो कर्मचारी हैं, जिन्हें या तो मेईतेई-प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में भेजा गया है या उन स्थानों पर भेजा गया है, जहां वे मेईतेई-प्रभुत्व वाले क्षेत्रों से गुजरे बिना नहीं पहुंच सकते.
शाह को लिखे पत्र में आईटीएलएफ ने जोर देकर कहा था कि कुकी-ज़ो और मेईतेई समुदायों का भौतिक और भौगोलिक अलगाव पहले ही हो चुका है. इस परिदृश्य को देखते हुए आदेश स्पष्ट रूप से सांप्रदायिक राज्य सरकार द्वारा कुकी-ज़ो पुलिसकर्मियों को लक्षित करने की एक चाल है, क्योंकि वे मेईतेई क्षेत्रों में ड्यूटी के लिए रिपोर्ट करने में सक्षम नहीं होंगे.’
मालूम हो कि 3 मई 2023 को मणिपुर में मेईतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक लगभग 200 लोग जान गंवा चुके हैं, सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए हैं और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.
3 मई 2023 को बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बीच दोनों समुदायों के बीच यह हिंसा भड़की थी.
मणिपुर की आबादी में मेईतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नगा और कुकी समुदाय शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.