1 जुलाई से लागू होंगे आईपीसी, सीआरपीसी, साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले नए आपराधिक क़ानून

संसद के शीतकालीन सत्र में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम पारित किए गए थे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को तीनों क़ानूनों पर अपनी सहमति दे दी थी. केंद्र ने फ़िलहाल भारतीय न्याय संहिता के तहत 'हिट एंड रन' मामलों से संबंधित प्रावधान को रोक दिया है.

अमित शाह. (फोटो साभार: फेसबुक)

संसद के शीतकालीन सत्र में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम पारित किए गए थे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को तीनों क़ानूनों पर अपनी सहमति दे दी थी. केंद्र ने फ़िलहाल भारतीय न्याय संहिता के तहत ‘हिट एंड रन’ मामलों से संबंधित प्रावधान को रोक दिया है.

अमित शाह. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: केंद्र ने तीन गजट अधिसूचनाएं जारी कर बताया है कि तीन नए आपराधिक कानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम – 1 जुलाई से प्रभावी होंगे.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सरकार ने भारतीय न्याय संहिता के तहत ‘हिट एंड रन’ मामलों से संबंधित प्रावधान को रोक दिया है.

नए कानून संसद के शीतकालीन सत्र में पारित किए गए थे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को तीनों कानूनों पर अपनी सहमति दी थी. पिछले महीने, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्देश दिया कि नए आपराधिक कानूनों को सभी केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में लक्षित तरीके से लागू किया जाए.

शुक्रवार को जारी गजट अधिसूचना में कहा गया है, ‘भारतीय न्याय संहिता-2023 (2023 का 45) की धारा 1 की उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार 1 जुलाई 2024 को उस तारीख के रूप में नियुक्त करती है जिस दिन उक्त संहिता के प्रावधान प्रभाव में आएंगे, धारा 106 की उपधारा (2) के प्रावधान को छोड़कर.’

जनवरी में देशभर के ट्रांसपोर्टरों के संघों ने नए कोड के तहत कुछ प्रावधानों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, जिनके अनुसार कोई भी ड्राइवर जो तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाकर किसी व्यक्ति की मौत का कारण बनता है और मौके से भाग जाता है, तो उसे 10 साल तक की जेल होगी और/या जुर्माना लगाया जाएगा.

उस समय केंद्र ने सभी ट्रांसपोर्टरों को आश्वासन दिया था कि भारतीय न्याय संहिता के तहत ऐसे मामलों में कड़े प्रावधान लागू करने पर निर्णय ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) के परामर्श के बाद ही लिया जाएगा.

सरकार ने 3,000 अधिकारियों की एक टीम बनाने का भी निर्णय लिया है जो देशभर में ‘क्षेत्रवार’ तरीके से नए कानूनों को लागू करने के लिए पुलिस अधिकारियों, जांचकर्ताओं और फॉरेंसिक विशेषज्ञों को प्रशिक्षित करेगी. एक सूत्र ने बताया, ‘प्रशिक्षण का फोकस फॉरेंसिक साक्ष्य पर होगा. एक फुलप्रूफ ऑनलाइन तंत्र सुनिश्चित करने के लिए चंडीगढ़ में एक मॉडल स्थापित किया जाएगा क्योंकि अधिकांश रिकॉर्ड डिजिटल होंगे.’

शुक्रवार को जारी एक अन्य अधिसूचना में कहा गया है, ‘भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 (2023 का 47) की धारा 1 की उप-धारा (3) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार 1 जुलाई 2024 को उस तारीख के रूप में नियुक्त करती है जिस दिन उक्त अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे.’

तीसरी अधिसूचना कहती है, ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 (2023 का 46) की धारा 1 की उप-धारा (3) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार 1 जुलाई 2024 को उस तारीख के रूप में नियुक्त करती है जिस दिन उक्त संहिता के प्रावधान लागू होंगे, भारतीय न्याय संहिता-2023 की धारा 106(2) से संबंधित प्रविष्टि के प्रावधानों को छोड़कर.’

भारतीय न्याय संहिता-2023 की मुख्य बातें

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, यह क़ानून भारतीय दंड संहिता-1860 का स्थान लेगा.

इसमें राजद्रोह को हटा दिया गया है लेकिन अलगाववाद, विद्रोह और भारत की संप्रभुता, एकता तथा अखंडता के खिलाफ कृत्यों को दंडित करने वाला एक और प्रावधान पेश किया गया है.

नाबालिगों से सामूहिक बलात्कार और मॉब लिंचिंग के लिए मौत की सज़ा का प्रावधान है. इसके साथ ही पहली बार अपराध करने पर निर्धारित सजाओं में से एक के रूप में ‘सामुदायिक सेवा’ को शामिल किया गया है.

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 की प्रमुख बातें

यह सीआरपीसी-1973 का स्थान लेगा.

इसमें समयबद्ध जांच, सुनवाई और बहस पूरी होने के 30 दिनों के भीतर फैसला सुनाने का प्रावधान है.

यौन उत्पीड़न के शिकार पीड़ितों के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य की गई है.

अपराध से प्राप्त संपत्ति और आय की कुर्की के लिए एक नया प्रावधान है.

भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 की प्रमुख बातें

यह भारतीय साक्ष्य अधिनियम-1872 की जगह लेगा.

इसके तहत, अदालतों में प्रस्तुत और स्वीकार्य साक्ष्य में इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड, ईमेल, सर्वर लॉग, कम्प्यूटर, स्मार्टफोन, लैपटॉप, एसएमएस, वेबसाइट, लोकेशन साक्ष्य, मेल, उपकरणों पर मैसेज शामिल होंगे.

केस डायरी, एफआईआर, आरोप पत्र और फैसले सहित सभी रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण होगा.

इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकर्ड का कानूनी प्रभाव, वैधता और प्रवर्तनीयता कागजी रिकॉर्ड के समान ही होंगे.