एक परिवार से जुड़े भूमि स्वामित्व संबंधी मामले में फैसला देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू पति द्वारा उसकी गृहिणी पत्नी, जिसकी कोई स्वतंत्र आय नहीं है, के नाम पर खरीदी गई संपत्ति को पुरुष की व्यक्तिगत आय से खरीदा माना जाएगा. ऐसी संपत्ति प्रथमदृष्टया संयुक्त हिंदू परिवार की संपत्ति बन जाती है.
नई दिल्ली: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा है कि आय के किसी भी स्वतंत्र स्रोत के बिना एक पति द्वारा उसकी गृहिणी पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति ‘परिवार की संपत्ति होगी.’
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, एक बेटे के अपने मृत पिता की संपत्ति पर सह-स्वामित्व की मांग के दावे से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल ने कहा कि हिंदू पतियों के लिए अपनी पत्नियों के नाम पर संपत्ति खरीदना आम और स्वाभाविक है.
अदालत ने कहा, ‘यह अदालत भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 के तहत इस तथ्य को मान सकती है कि हिंदू पति द्वारा अपने पति या पत्नी, जो गृहिणी है और जिसके पास आय का स्वतंत्र स्रोत नहीं है, के नाम पर खरीदी गई संपत्ति परिवार की संपत्ति होगी, क्योंकि आमतौर पर हिंदू पति अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदता है, जो गृहिणी है और जिसका आय का कोई स्रोत नहीं है.’
जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल ने कहा कि जब तक यह साबित नहीं हो जाता कि संपत्ति पत्नी द्वारा अर्जित आय से खरीदी गई थी, तब तक यह माना जाएगा कि संपत्ति पति द्वारा उसकी अपनी आय से खरीदी गई है.
यह मामला एक सौरभ गुप्ता नाम के शख्स ने दायर किया था, जिसमें उन्होंने उनके मृत पिता द्वारा उनकी मां के नाम पर खरीदी गई संपत्ति में एक-चौथाई हिस्सा मांगा था.
गुप्ता ने तर्क दिया कि चूंकि संपत्ति उनके मृत पिता द्वारा खरीदी गई थी, इसलिए वह अपनी मां के साथ इसमें सह-हिस्सेदार थे, जो मुकदमे में प्रतिवादी हैं और हाईकोर्ट के समक्ष वर्तमान अपील में प्रतिवादी हैं. गुप्ता ने संपत्ति को किसी तीसरे पक्ष को हस्तांतरित करने के खिलाफ स्टे की मांग करते हुए आवेदन दायर किया था.
उनकी मां ने लिखित बयान देते हुए कहा था कि यह संपत्ति उनके पति ने उन्हें तोहफे में दी थी क्योंकि उनके पास आय का कोई स्वतंत्र स्रोत नहीं था.
ट्रायल कोर्ट ने गुप्ता की अंतरिम स्टे की अर्जी को खारिज कर दिया. हालांकि, 15 फरवरी के अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू पति द्वारा गृहिणी पत्नी, जिसकी कोई स्वतंत्र आय नहीं है, के नाम पर खरीदी गई संपत्ति को उसकी व्यक्तिगत आय से खरीदी गई माना जाएगा. ऐसी संपत्ति प्रथमदृष्टया संयुक्त हिंदू परिवार की संपत्ति बन जाती है.
अदालत ने आगे कहा कि ऐसी परिस्थितियों में संपत्ति तीसरे पक्ष के अधिकारों के दायरे में नहीं आने देना जरूरी है. ऐसे मामले में संपत्ति को आगे ट्रांसफर करने या उसकी प्रकृति को बदलने के खिलाफ सुरक्षा आवश्यक है.