बीते दिनों उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले के हल्द्वानी में हुई हिंसा के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की थी कि उपद्रव में क्षतिग्रस्त हुईं संपत्तियों के नुकसान की भरपाई उपद्रव में शामिल लोगों से वसूली करके की जाएगी. अब राज्य सरकार ‘उत्तराखंड सार्वजनिक और निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक’ लाने जा रही है.
नई दिल्ली: उत्तराखंड सरकार विरोध प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक या निजी संपत्ति को हुए किसी भी नुकसान की भरपाई उपद्रव के जिम्मेदार लोगों से वसूलने के लिए एक विधेयक पेश कर सकती है. इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से इसकी जानकारी दी है.
अखबार के मुताबिक, उत्तराखंड सार्वजनिक और निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक सोमवार (26 फरवरी) से शुरू हुए बजट सत्र के दौरान राज्य विधानसभा में पेश किए जाने की संभावना है.
सूत्रों के अनुसार, विरोध प्रदर्शन के परिणामस्वरूप संपत्ति को हुए नुकसान के मुआवजे पर फैसला करने के लिए एक सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक न्यायाधिकरण की स्थापना की जाएगी. विधेयक के तहत जो लोग गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार पाए जाएंगे, उन्हें मुआवजा देना होगा.
यह कदम 8 फरवरी को नैनीताल जिले के हल्द्वानी में हुई हिंसा के बाद उठाया गया है, जिसकी शुरुआत एक अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत बनभूलपुरा क्षेत्र में एक मस्जिद और मदरसे को ध्वस्त करने से हुई थी.
अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत निर्माणों, जिनके बारे में अधिकारियों का कहना था कि वे सरकारी भूमि पर बने थे, के तोड़े जाने से नाराज लोगों ने पथराव कर दिया, कारें जला दीं और भीड़ द्वारा स्थानीय पुलिस थाने को घेर लिया गया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बाद में घोषणा की थी कि उपद्रव में क्षतिग्रस्त संपत्तियों की आर्थिक भरपाई हिंसा में शामिल लोगों से वसूली के माध्यम से की जाएगी.
घटना के बाद जिला प्रशासन ने उन मीडियाकर्मियों से कहा, जिनकी गाड़ियां हिंसा के दौरान बनभूलपुरा इलाके में क्षतिग्रस्त हुई थीं, वे उन्हें जानकारी दें, ताकि नुकसान की कीमत आरोपियों से वसूली जा सके.
जिला प्रशासन ने कई आरोपियों की संपत्ति भी कुर्क की. मामले के मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक को भी नगर निगम हलद्वानी ने नोटिस भेजकर हिंसा के दौरान सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई के लिए 2.44 करोड़ रुपये जमा करने को कहा है.