त्रिपुरा सरकार ने शेरों के नाम अकबर-सीता रखने पर मुख्य वन्यजीव वार्डन को निलंबित किया: रिपोर्ट

विश्व हिंदू परिषद ने 16 फरवरी को कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर कर शेरों के एक जोड़े का नाम ‘अकबर’ और ‘सीता’ रखने पर आपत्ति जताई थी. हाईकोर्ट ने पूछा था कि क्या संभावित धार्मिक विवाद पैदा करने के लिए शेरों को यह नाम दिया गया. बीते 12 फरवरी को दोनों को त्रिपुरा के सिपाहीजाला चिड़ियाघर से पश्चिम बंगाल के उत्तरी बंगाल वन्य पशु पार्क लाया गया था.

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त्रिपुरा से बंगाल के दोनों शेरों में से एक. (फोटो साभार: स्पेशल अरेंजमेंट)

विश्व हिंदू परिषद ने 16 फरवरी को कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर कर शेरों के एक जोड़े का नाम ‘अकबर’ और ‘सीता’ रखने पर आपत्ति जताई थी. हाईकोर्ट ने पूछा था कि क्या संभावित धार्मिक विवाद पैदा करने के लिए शेरों को यह नाम दिया गया. बीते 12 फरवरी को दोनों को त्रिपुरा के सिपाहीजाला चिड़ियाघर से पश्चिम बंगाल के उत्तरी बंगाल वन्य पशु पार्क लाया गया था.

त्रिपुरा से बंगाल के दोनों शेरों में से एक. (फोटो साभार: स्पेशल अरेंजमेंट)

नई दिल्ली: भाजपा शासित त्रिपुरा राज्य सरकार ने 24 फरवरी को अपने मुख्य वन्यजीव वार्डन प्रबीन लाल अग्रवाल को शेरों की एक जोड़ी का नाम अकबर और सीता के रूप में दर्ज करने के लिए निलंबित कर दिया.

यह कदम तब उठाया गया है, जब कलकत्ता हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या संभावित धार्मिक विवाद पैदा करने के लिए इस जोड़ी का नाम अकबर और सीता के नाम पर रखा गया. विश्व हिंदू परिषद ने 16 फरवरी को इस संबंध में हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी.

अकबर-सीता विवाद

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ‘अकबर’ और ‘सीता’ नाम के शेर और शेरनी, एनिमल एक्सचेंज कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 12 फरवरी को त्रिपुरा के सिपाहीजाला चिड़ियाघर से पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में उत्तरी बंगाल वन्य पशु पार्क लाए गए थे.

1994 बैच के भारतीय वन सेवा अधिकारी प्रबीन लाल अग्रवाल ने इस जोड़े को पश्चिम बंगाल भेजने से पहले डिस्पैच रजिस्टर में उनका नाम अकबर और सीता के रूप में दर्ज किया था. अग्रवाल त्रिपुरा के मुख्य वन्यजीव वार्डन हैं, जो राज्य वन विभाग के सर्वोच्च पदों में से एक है. वह प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव और पर्यटन) भी हैं.

त्रिपुरा सरकार ने अग्रवाल से स्पष्टीकरण मांगा है, हालांकि उन्होंने शेर के जोड़े का नाम अकबर और सीता होने से इनकार किया. इस बीच एक जांच से पता चला कि ‘त्रिपुरा में वन्यजीव अधिकारियों’ ने ये नाम दिए थे.

इससे पहले बीते 24 फरवरी को राज्य सरकार – जो वर्तमान में भाजपा और उसके सहयोगी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा द्वारा शासित है – ने अग्रवाल को निलंबित कर दिया.

बीते 16 फरवरी को स्थानीय विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने इस जोड़े का नाम अकबर और सीता रखने के संबंध में एक याचिका दायर की थी, जो बाद में कलकत्ता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका के रूप में लाई गई.

विहिप के जिला प्रमुख दुलाल चंद्र रे ने द वायर को बताया कि नामकरण हिंदू धर्म पर हमले का एक रूप है: अकबर एक मुगल सम्राट का नाम है और सीता हिंदू महाकाव्य रामायण में एक चरित्र हैं, जिन्हें धर्म में एक देवी के रूप में जाना जाता है. हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि ‘विवाद’ से बचा जा सकता था. इसने यह भी पूछा गया कि जानवरों का ऐसा नाम किसने रखा, जो ‘विवाद’ का कारण बना.

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