सुप्रीम कोर्ट का आदेश- न्यूज़क्लिक के संपादक की मेडिकल जांच के लिए बोर्ड गठित करे एम्स

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने यह भी कहा कि एम्स निदेशक द्वारा नियुक्त बोर्ड जेल रिकॉर्ड और याचिकाकर्ता प्रबीर पुरकायस्थ की पूरी मेडिकल हिस्ट्री पर भी विचार करेगा.

न्यूज़क्लिक के निदेशक और संपादक प्रबीर पुरकायस्थ. (साभार: यूट्यूब स्क्रीनशॉट)

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने यह भी कहा कि एम्स निदेशक द्वारा नियुक्त बोर्ड जेल रिकॉर्ड और याचिकाकर्ता प्रबीर पुरकायस्थ की पूरी मेडिकल हिस्ट्री पर भी विचार करेगा.

न्यूज़क्लिक के निदेशक और संपादक प्रबीर पुरकायस्थ. (साभार: यूट्यूब स्क्रीनशॉट)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (27 फरवरी) को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली को न्यूज़क्लिक के संस्थापक संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की स्वतंत्र मेडिकल जांच करने का निर्देश दिया है.

बार और बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा, ‘केंद्रीय जेल, तिहाड़ के विशेषज्ञ चिकित्सा अधिकारी वाले बोर्ड का कहना है कि रिपोर्ट याचिकाकर्ता की सही मेडिकल स्थिति नहीं दिखाती है. यह दलील दी गई है कि रिकॉर्ड से पता चलेगा कि रिपोर्ट सही नहीं है.’

पीठ ने कहा, ‘इस सब को ध्यान में रखते हुए यह उचित होगा कि मेडिकल स्थिति की जांच एम्स निदेशक द्वारा नियुक्त बोर्ड द्वारा की जाए. बोर्ड जेल रिकॉर्ड [और] याचिकाकर्ता की पूरी मेडिकल हिस्ट्री पर भी विचार करेगा. केस को दो सप्ताह के बाद के लिए लिस्ट करें.’

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू की दलील कि न्यूज़क्लिक संस्थापक स्पेशल इलाज की मांग कर रहे थे, को खारिज करते हुए पीठ ने ने कहा कि अगर आसाराम बापू को एम्स में इलाज मिल सकता है, तो पुरकायस्थ को भी मिल सकता है.

पीठ ने कहा, ‘जोधपुर में एक दोषी (आसाराम) है जो एम्स में इलाज कराता रहता है… आप उसे रिहा कर सकते हैं और फिर वो जहां चाहे इलाज करा सकते हैं.’

पुरकायस्थ की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा कि उनके मुवक्किल की जान नहीं जानी चाहिए ‘जब तक वे [अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल] समय देने के लिए कहते रहते हैं.’ उन्होंने आगे कहा, ‘मेडिकल रिपोर्ट यह नहीं दिखाती कि जेल में क्या हुआ है [ और] जेल रिकॉर्ड मंगाया जाना चाहिए.’

अदालत ने मामले की सुनवाई तब की जब पुरकायस्थ ने एक याचिका दायर कर दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें निचली अदालत द्वारा उन्हें और मामले में गिरफ्तार अन्य को पुलिस हिरासत में भेजने के फैसले को बरकरार रखा गया था.

ज्ञात हो कि 3 अक्टूबर, 2023 को पुरकायस्थ और न्यूज़क्लिक के एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था. उनके खिलाफ दर्ज मामले की जड़ें कथित तौर पर अगस्त 2023 में न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित हुई एक रिपोर्ट से जुड़ी हैं.

द वायर ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि कैसे भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया था कि कांग्रेस नेताओं और न्यूज़क्लिक को ‘भारत विरोधी’ माहौल बनाने के लिए चीन से धन मिला था.

इस बीच, दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने शुक्रवार (24 फरवरी) को पुरकायस्थ और चक्रवर्ती की हिरासत 15 मार्च तक बढ़ा दी और कहा कि दिल्ली पुलिस ने ‘इतनी बड़ी साजिश के मामले में सिर्फ दो लोगों’ को गिरफ्तार किया.

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, अदालत ने मामले में चक्रवर्ती के सरकारी गवाह बनने के अनुरोध का जिक्र करते हुए पूछा, ‘आपने 150 दिनों में किसी और को नहीं पकड़ा? …एक व्यक्ति सरकारी गवाह बन गया है, क्या दूसरा आरोपी सुपरमैन है जिसने यह सब अकेले किया?’

द हिंदू के अनुसार, अदालत ने पुलिस से यह भी कहा कि मामले में गिरफ्तारियों में जितना अधिक समय लगेगा, उतने में सबूत गायब हो जाएंगे.