कर्नाटक चलचित्र अकादमी के रजिस्ट्रार का कहना है कि दिखाई जाने वाली सभी फिल्मों को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा मंज़ूरी दी जाती है. केंद्रीय अधिकारियों ने बताया कि उक्त डॉक्यूमेंट्री में फिल्माया गया मसला संवेदनशील है और इसलिए इसे फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित होने से रोका जाना चाहिए.
बेंगलुरू: दिल्ली में 2020-21 में हुए किसान आंदोलन पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री ‘किसान सत्याग्रह’ को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के निर्देशों के बाद बेंगलुरु इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (बीआईएफएफ) के 15वें संस्करण में प्रदर्शित करने से रोक दिया गया है.
डॉक्यूमेंट्री का निर्देशन जाने-माने कन्नड़ निर्देशक केसरी हरवू ने किया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया है कि अधिकारियों के मुताबिक, संवेदनशील विषय होने के कारण डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की इजाजत नहीं दी गई.
कर्नाटक चलचित्र अकादमी के रजिस्ट्रार जी. हिमंत राजू ने कहा, ‘दिखाई जाने वाली सभी फिल्मों को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा मंजूरी दी जाती है. हालांकि, मंत्रालय ने ‘किसान सत्याग्रह’ को हरी झंडी नहीं दी… केंद्रीय अधिकारियों ने हमें बताया है कि डॉक्यूमेंट्री में फिल्माया गया मसला एक संवेदनशील विषय है और इसलिए इसे फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित होने से रोका जाना चाहिए. निर्देशों का पालन करते हुए हमने ‘किसान सत्याग्रह’ की स्क्रीनिंग वापस ले ली है. अन्यथा, इसकी स्क्रीनिंग शुक्रवार को होनी थी.’
दो अन्य डॉक्यूमेंट्री – एक इजरायल और दूसरी यूक्रेन पर- को भी प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं दी गई है.
‘किसान सत्याग्रह’ में तीन कृषि क़ानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर हुए किसानों के आंदोलन को दिखाया गया है. अब तक इस 86 मिनट लंबी डॉक्यूमेंट्री को चार अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों सहित कुछ मंचों पर ऑफ़लाइन प्रदर्शित किया जा चुका है.
इसने ह्वाइट यूनिकॉर्न फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री का पुरस्कार भी जीता था. दो और फिल्म समारोहों के लिए चुने जाने के अलावा अनातोलिया अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 2022 में फाइनलिस्ट रही थी.