मणिपुर हिंसा के दौरान हथियारों की लूट के इस मामले को राज्य सरकार द्वारा पिछले साल 24 अगस्त को केंद्रीय एजेंसी को सौंपा गया था. मणिपुर सरकार ने अब तक सीबीआई को 29 मामले ट्रांसफर किए हैं.
नई दिल्ली: मामले को हाथ में लेने के छह महीने बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जातीय संघर्ष के दौरान हथियार लूट मामले में मणिपुर के मेईतेई समुदाय के सात लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया है कि एफआईआर के मुताबिक, 3 अगस्त 2023 को मणिपुर के बिशनुपुर जिले में स्थित दो भारतीय रिजर्व बटालियन के मुख्यालयों से 300 से अधिक हथियार, करीब 19,800 राउंड गोला-बारूद, और अन्य चीजों के बीच 800 प्रकार की युद्धक सामग्री को लूट लिया गया था.
खबरों में बताया गया है कि असम में गुवाहाटी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में दायर किए गए आरोप-पत्र में आरोपियों के नाम लेशराम प्रेम सिंह, खुमुक्चम धिरेन उर्फ थापकपा, मोइरंगथेम आनंद सिंह, अथोकपम कजित उर्फ किशोरजीत, माइकल मैंगंग्चा, कोंथोजैंम रोमोजित मेईतेई और केशाम जॉनसन के नाम हैं.
इस मामले को राज्य सरकार द्वारा पिछले साल 24 अगस्त को केंद्रीय एजेंसी को स्थानांतरित कर दिया गया था. एन. बीरेन सिंह सरकार ने अब तक सीबीआई को 29 मामले ट्रांसफर किए हैं. सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के अनुसार, मणिपुर में जारी हिंसा के कारण इन मामलों की सुनवाई पड़ोसी राज्य असम में हो रही है.
यह मामला जातीय झड़प के दौरान मणिपुर के मेईतेई-वर्चस्व वाले घाटी जिलों में सुरक्षा बलों से हथियारों और गोला-बारूद की लूट से संबंधित कई अन्य मामलों में से एक है.
इस बीच, 29 फरवरी को मणिपुर विधानसभा द्वारा एक प्रस्ताव को अपनाने के विरोध में कुकी-वर्चस्व वाले कांगपोकपी जिले में 4 मार्च को बंद का आह्वान किया गया.
प्रस्ताव का उद्देश्य केंद्र द्वारा 25 कुकी सशस्त्र समूहों के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (एसओओ) को समझौते के नियमों के उल्लंघन के आधार निरस्त करना है. केंद्र के साथ एसओओ की छह महीने की वैधता 29 फरवरी को समाप्त होनी थी.
गौरतलब है कि जब प्रस्ताव स्वीकार किया गया तब कोई भी कुकी विधायक सदन में मौजूद नहीं था.
जहां बीरेन सिंह सरकार की कैबिनेट ने मेईतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष शुरू होने से पहले कुछ दिनों के लिए एसओओ समझौते से बाहर निकलने का फैसला किया था, जबकि केंद्र ने व्यवस्था को जारी रखा.
पिछले कुछ महीनों में कई मेईतेई सिविल सोसायटी समूहों ने इस निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए गृह मंत्रालय को याचिका दी है. केंद्र ने अब तक इस मामले पर चुप्पी साध रखी है.
दिनभर के बंद के अलावा विधानसभा के संकल्प के खिलाफ एक रैली निकालने का भी फैसला किया गया है.