सनातन धर्म पर उदयनिधि की टिप्पणी बोलने की आज़ादी के अधिकार का दुरुपयोग: सुप्रीम कोर्ट

पिछले साल सितंबर में तमिलनाडु प्रगतिशील लेखक और कलाकार संघ द्वारा सनातन धर्म की अवधारणा पर आयोजित सम्मेलन में राज्य कैबिनेट में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि सनातन धर्म डेंगू और मलेरिया की तरह है, जिसे ख़त्म करने की ज़रूरत है. 

(फोटो साभार: Wikimedia Commons)

पिछले साल सितंबर में तमिलनाडु प्रगतिशील लेखक और कलाकार संघ द्वारा सनातन धर्म की अवधारणा पर आयोजित सम्मेलन में राज्य कैबिनेट में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि सनातन धर्म डेंगू और मलेरिया की तरह है, जिसे ख़त्म करने की ज़रूरत है.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन को उनकी विवादास्पद टिप्पणी – ‘सनातन धर्म’ को खत्म कर देना चाहिए, के लिए फटकार लगाई. यह कहते हुए कि उन्होंने अपने बोलने की आज़ादी के अधिकार का दुरुपयोग किया है और पूछा कि क्या उन्हें अपनी टिप्पणियों के परिणामों के बारे में पता भी है.

उल्लेखनीय है कि पिछले साल 2 सितंबर को तमिलनाडु प्रगतिशील लेखक और कलाकार संघ द्वारा सनातन धर्म की अवधारणा पर बहस के लिए आयोजित ‘सनातन ओझिप्पु मानाडु’ (सनातन उन्मूलन सम्मेलन) शीर्षक सम्मेलन में तमिलनाडु कैबिनेट में मंत्री उदयनिधि ने कहा था कि सनातन धर्म डेंगू और मलेरिया की तरह है, जिसे खत्म करने की जरूरत है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस दीपांकर दत्ता, जो दो न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा थे, ने उदयनिधि से पूछा, ‘आप अपने अनुच्छेद 19(1)(ए) के अधिकार का दुरुपयोग करते हैं. आप अपने अनुच्छेद 25 का दुरुपयोग करते हैं. अब आप अपने अनुच्छेद 32 का प्रयोग सही कर रहे हैं? क्या आप नहीं जानते कि आपने जो कहा उसका परिणाम क्या होगा?’

जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ उदयनिधि की याचिका पर सुनवाई कर रही थी कि उनकी टिप्पणियों पर विभिन्न राज्यों में दर्ज एफआईआर को एक साथ जोड़ दिया जाए क्योंकि उन सभी में कार्रवाई का कारण एक ही है.

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) नेता की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वह मामले के गुण-दोष पर नहीं बल्कि केवल छह राज्यों में दर्ज एफआईआर को एक साथ जोड़ने की मांग कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि जिस कार्यक्रम में कथित तौर पर टिप्पणी की गई थी वह निजी कार्यक्रम था.

पीठ ने उन्हें संबंधित उच्च न्यायालयों में जाने का सुझाव दिया, जिस पर वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि उस स्थिति में उन्हें छह उच्च न्यायालयों में जाना होगा और लगातार इसमें बंधे रहेंगे.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने अनुच्छेद 32 का हवाला देते हुए कहा, ‘उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर और मुंबई में मेरे खिलाफ मामले हैं, जो मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का अधिकार देता है.’

सिंघवी ने कहा, ‘उनके मुवक्किल को राज्यों में इधर-उधर दौड़ाना उत्पीड़न के समान है.’

सिंघवी ने भाजपा नेता नूपुर शर्मा, पत्रकार अर्नब गोस्वामी और अन्य जैसे मामलों का जिक्र किया जिनमें अदालत ने विभिन्न राज्यों में दर्ज एफआईआर को जोड़ने के अनुरोध को अनुमति दी थी.

2022 में एक टीवी बहस के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर शर्मा की विवादास्पद टिप्पणियों ने विवाद खड़ा कर दिया था. सिंघवी ने कहा कि शर्मा की टिप्पणियां भी भड़काऊ थीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर को एक साथ जोड़ने की अनुमति दे दी थी.

आख़िरकार, अदालत 15 मार्च को उनकी याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हो गई.

स्टालिन की टिप्पणियों के लिए उन पर आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग वाली दो याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित हैं.

मालूम हो कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने 2 सितंबर, 2023 को चेन्नई में तमिलनाडु प्रोग्रेसिव राइटर्स आर्टिस्ट एसोसिएशन द्वारा आयोजित ‘सनातन उन्मूलन सम्मेलन’ नामक एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की थी.

उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि ‘कुछ चीजों का विरोध नहीं किया जा सकता, उन्हें ही खत्म कर देना चाहिए. हम डेंगू, मच्छर, मलेरिया या कोरोना का विरोध नहीं कर सकते. हमें इसे मिटाना है, इसी तरह हमें सनातन को मिटाना है. सनातन का विरोध करने के बजाय, इसे ख़त्म किया जाना चाहिए.’

इसे लेकर हिंदुत्व समूहों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया हुई थी. टिप्पणियों के बाद उन्हें जान से मारने की धमकी भी मिली थी. विशेष रूप से अयोध्या के संत परमहंस आचार्य ने उनका सिर काटने वाले को 10 करोड़ रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी.

इस प्रतिक्रिया से अप्रभावित उदयनिधि ने सनातन धर्म पर अपना हमला तेज़ किया था. 21 सितंबर 2023 को मदुरै में हुए एक कार्यक्रम में उन्होंने जानना चाहा कि क्या नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए एक विधवा और आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित न करना सनातन धर्म द्वारा निर्धारित किया गया था.

उदयनिधि ने इशारे से पूछा था, ‘नए संसद भवन का उद्घाटन किया गया. उन्होंने (भारतीय जनता पार्टी) उद्घाटन के लिए तमिलनाडु से अधिनमों को बुलाया, लेकिन भारत के राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किया गया क्योंकि वे एक विधवा हैं और आदिवासी समुदाय से हैं. क्या यही सनातन धर्म है?’

ज्ञात हो कि नए संसद भवन के उद्घाटन में राष्ट्रपति मुर्मू को आमंत्रित नहीं किया गया था. उदयनिधि ने यह भी जोड़ा कि कुछ ‘हिंदी फिल्म अभिनेत्रियों’ को नई संसद में आमंत्रित किया गया था. उनका इशारा कंगना रनौत और ईशा गुप्ता की तरफ था, जिन्होंने बुधवार (20 सितंबर) को विशेष सत्र के दौरान संसद का दौरा किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर 2023 को सनातन धर्म पर उनकी टिप्पणी के खिलाफ दायर याचिका के जवाब में तमिलनाडु सरकार और उदयनिधि स्टालिन को नोटिस जारी किया था.