मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने विधानसभा में बताया है कि पिछले साल मई से राज्य में हिंसा से संबंधित लापता व्यक्तियों के 63 मामले दर्ज किए गए हैं. उनमें से 26 लापता व्यक्तियों को मृत घोषित कर दिया गया, नौ लोग जीवित पाए गए और 28 लोग अब भी लापता हैं.
नई दिल्ली: मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने मंगलवार को कहा कि पिछले साल 3 मई को कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच झड़प के बाद जारी जातीय हिंसा में कम से कम 28 लोग लापता हैं और 1555 अन्य घायल हुए हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले साल मई से राज्य में हिंसा से संबंधित लापता व्यक्तियों के 63 मामले दर्ज किए गए हैं. सिंह ने कहा, ‘उनमें से 26 लापता व्यक्तियों को मृत घोषित कर दिया गया, जबकि दो लापता व्यक्तियों की जांच चल रही है.’
सिंह ने कहा कि 63 लापता लोगों में से नौ जीवित पाए गए. वे राज्य विधानसभा के आखिरी दिन खंगबोक से विपक्षी कांग्रेस विधायक सुरजाकुमार ओकराम के एक सवाल का जवाब दे रहे थे.
सिंह ने कहा कि 1,555 घायल व्यक्तियों में से 1429 व्यक्ति नागरिक थे, जबकि 88 राज्य पुलिस के थे और 28 केंद्रीय सुरक्षा बलों के थे. उनमें से 334 को गोली लगी. उन्होंने कहा, ‘सरकार घायल व्यक्तियों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है.’
दो लापता छात्रों – फिजाम हेमजीत सिंह (20) और हिजाम लिनथोइंगंबी (17) के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की स्थिति पर वांगखेम विधानसभा क्षेत्र से विपक्षी कांग्रेस विधायक के मेघचंद्र के एक सवाल का जवाब देते हुए सिंह ने कहा, ‘सीबीआई ने पांच आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने की सूचना दी है.’
मालूम हो कि मेईतेई समुदाय से आने वाले हिजाम लिनथोइंगामी (17 वर्षीय लड़की) और फिजाम हेमजीत (20 वर्षीय लड़का) इस साल 6 जुलाई 2023 को हिंसा के दौरान लापता हो गए थे. 25 सितंबर 2023 को उनके शवों की तस्वीरें सामने आईं थी, जिसके बाद राज्य में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे.
संघर्ष के दौरान नष्ट हुए घरों के पुनर्निर्माण के बारे में सिंह ने कहा कि 139 परिवारों को उनके घरों के पुनर्निर्माण के लिए 50 प्रतिशत अग्रिम भुगतान दे दिया गया है, जबकि 472 परिवारों को स्थायी आवास योजना के तहत नए घर स्वीकृत किए गए.
सोमवार को सिंह ने राज्य विधानसभा को सूचित किया था कि पिछले साल 3 मई से अब तक जातीय संघर्ष में कुल मिलाकर 221 लोगों की जान चली गई है, जिनमें से 20 महिलाओं और 8 बच्चों सहित 198 नागरिक थे.
उन्होंने कहा कि सरकार ने 114 पीड़ितों को अनुग्रह राशि देना शुरू कर दिया है, जबकि केंद्र और राज्य सरकार की अनुग्रह योजना के तहत शेष लोगों के लिए सत्यापन प्रक्रिया चल रही है. इससे पहले राज्य सरकार ने प्रत्येक को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की थी.
मालूम हो कि बीते 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 200 से अधिक लोगों की जान चली गई है. यह हिंसा तब भड़की थी, जब बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था.
इस जातीय संघर्ष के कारण 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं. आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को राज्य के विभिन्न हिस्सों में स्थापित राहत शिविरों में रखा गया है.
मणिपुर की आबादी में मेईतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नगा और कुकी समुदाय शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.