महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई पुलिस के जरिये पिछले साल नवंबर में साल 2020 के कथित फ़र्ज़ी टीआरपी मामले में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी सहित 22 आरोपियों के ख़िलाफ़ दर्ज एफआईआर वापस लेने की अर्ज़ी दायर की थी.
नई दिल्ली: मुंबई की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने बुधवार को 2020 के कथित फर्जी टेलीविज़न रेटिंग पॉइंट्स (टीआरपी) मामले में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी सहित 22 आरोपियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को वापस लेने की मुंबई पुलिस अपराध शाखा की याचिका को बुधवार को अनुमति दे दी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार ने मुंबई पुलिस के माध्यम से पिछले साल नवंबर में मामला वापस लेने की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया था.
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एलएस पधेन ने पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे विशेष लोक अभियोजक शिशिर हीरे के यह कहने के बाद कि आपराधिक कार्यवाही जारी रखने से मामले में दोषसिद्धि नहीं हो सकती है और इसलिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 321 (अभियोजन वापस लेना) के तहत आवेदन दायर किया गया है.
हीरे ने दावा किया कि टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (टीआरएआई), ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बीएआरसी) इंडिया या किसी भी विज्ञापनदाता सहित कोई भी आज तक यह दावा करने के लिए आगे नहीं आया कि अपराध हुआ था या उन्हें धोखा दिया गया था.
वकील ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष ने अपना दिमाग लगाया और निष्कर्ष निकाला कि मामले में सजा नहीं होगी और न्यायिक समय और सरकार के प्रयासों को बर्बाद करने के बजाय मामले को वापस ले लिया जाना चाहिए.
हीरे ने अपने मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा प्रस्तुत विरोधाभासी रिपोर्टों का हवाला दिया, जहां गवाहों ने मुंबई पुलिस की एफआईआर में आरोपों का समर्थन नहीं किया.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में मुंबई पुलिस ने कहा था कि उन्हें रिपब्लिक टीवी सहित कई चैनलों के खिलाफ कई शिकायतें मिलीं और दावा किया था कि उन्होंने रेटिंग बढ़ा दी थी. इस मामले को परमबीर सिंह ने संभाला था जो उस समय मुंबई के कमिश्नर थे.
मामले में आरोप पत्र जून 2021 में दायर किया गया था. मुंबई पुलिस ने अपने दूसरे आरोप पत्र में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी को कथित टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स (टीआरपी) में हेरफेर मामले में आरोपी के रूप में नामजद किया था. पूरक चार्जशीट में गोस्वामी के साथ रिपब्लिक टीवी के स्वामित्व वाले एआरजी आउटलायर के चार लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें कंपनी की सीओओ प्रिया मुखर्जी, शिवेंदु मुलेकर और शिवा सुंदरम के नाम थे.
2023 में राज्य के गृह विभाग के अधिकारियों ने मुंबई पुलिस से दस्तावेज प्राप्त किए और दोबारा जांच में पाया कि बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वझे और इस टीम द्वारा की गई जांच में कई खामियां थीं. वझे उस समय अपराध खुफिया इकाई (सीआईयू) के प्रमुख थे, जिन्होंने मामले की जांच की थी. अपराध शाखा ने कहा कि जांच रिश्वत मांगने के आरोपों से भी घिरी हुई थी.
क्या है टीआरपी घोटाला मामला?
बता दें कि टीआरपी घोटाला अक्टूबर 2020 में उस समय सामने आया था, जब टीवी चैनलों के लिए साप्ताहिक रेटिंग जारी करने वाली बार्क ने हंसा रिसर्च एजेंसी के माध्यम से रिपब्लिक टीवी सहित कुछ चैनलों के खिलाफ टीआरपी में धांधली करने की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद पुलिस ने इस कथित घोटाले की जांच शुरू की थी.
मुंबई पुलिस की एफआईआर में बार्क और रिपब्लिक टीवी के कर्मचारियों के भी नाम थे. मुंबई पुलिस ने बताया था कि उसने कथित तौर पर टीआरपी से छेड़छाड़ के मामले में फख्त मराठी, बॉक्स सिनेमा, न्यूज नेशन, महामूवीज और वॉव म्यूजिक जैसे अन्य चैनलों की भूमिका की भी जांच की थी.
पुलिस के अनुसार, ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) इंडिया के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता को घूस देकर ये चैनल्स अपनी टीआरपी में हेरफेर कर रहे थे.
दासगुप्ता को जब दिसंबर 2020 में हिरासत में लिया था, तब पुलिस ने दावा किया था कि रिपब्लिक टीवी की टीआरपी में हेरफेर करने के लिए उन्हें लाखों रुपये की रिश्वत दी गई थी.
इसके बाद मुंबई पुलिस ने गोस्वामी और दासगुप्ता के बीच वॉट्सऐप चैट जारी करते हुए बताया था कि किस तरह उन्होंने रेटिंग्स से ‘छेड़छाड़’ के तरीकों के बारे में चर्चा की थी. इस चैट में दोनों ने प्रतिद्वंद्वी चैनलों के बारे में बात की और रिपब्लिक से बेहतर प्रदर्शन कर रहे उन चैनलों को लेकर निराशा जताई थी.
पुलिस द्वारा दर्ज पूरक चार्जशीट के अनुसार, दासगुप्ता ने मुंबई पुलिस को दिए हाथ से लिखे एक बयान में दावा किया था कि उन्हें टीआरपी से छेड़छाड़ करने के बदले रिपब्लिक चैनल के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी से तीन सालों में दो फैमिली ट्रिप के लिए 12,000 डॉलर और कुल चालीस लाख रुपये मिले थे.