बीएचयू कार्डियोलॉजी प्रमुख ने अस्पताल में बिस्तरों की कमी को लेकर आमरण अनशन की चेतावनी दी

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आईएमएस) के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. ओम शंकर का कहना है कि पिछले 15 वर्षों में उनके विभाग में मरीज़ों की आमद में 20 गुना बढ़ोतरी हुई है. उनका दावा है कि क़रीब दो साल में 30 हज़ार रोगी बेड न मिलने की वजह से बिना इलाज के लौट गए.

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय. (फोटो साभार: फेसबुक)

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आईएमएस) के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. ओम शंकर का कहना है कि पिछले 15 वर्षों में उनके विभाग में मरीज़ों की आमद में 20 गुना बढ़ोतरी हुई है. उनका दावा है कि क़रीब दो साल में 30 हज़ार रोगी बेड न मिलने की वजह से बिना इलाज के लौट गए.

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आईएमएस) के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख ने विभाग के लिए अतिरिक्त बिस्तरों के आवंटन में देरी के विरोध में शुक्रवार (8 मार्च) से परिसर में आमरण अनशन शुररू करने की चेतावनी दी.

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. ओम शंकर की प्रस्तावित कार्रवाई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र में अस्पताल में कथित कुप्रबंधन को सुर्खियों में ला दिया है.

डॉ. शंकर ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘मैंने प्रशासन को आज 12 बजे तक का समय दिया है. अगर प्रशासन 12 बजे तक लिखित रूप में कार्रवाई नहीं करता है तो 2 बजे से कुलपति जी के आवास के सामने हम लोग आमरण अनशन शुरू कर देंगे.’

शंकर ने बताया कि अस्पताल के नए सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक, जिसके लिए केंद्र सरकार ने लगभग 400 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, में अपने विभाग के लिए अतिरिक्त 41 बेड सुरक्षित करने में विफल रहने के बाद उन्हें ऐसा कदम उठाना पड़ा. उन्होंने कहा कि करीब 41 बेड पिछले दो सालों से बिना इस्तेमाल के पड़े हैं, जिसके चलते हजारों गरीब मरीजों को प्रवेश नहीं मिल पा रहा है.

उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार में बीएचयू के कुलपति (वीसी) एसके जैन और प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक (एमएस) डॉ. केके गुप्ता ने कार्डियोलॉजी विभाग की उपेक्षा की है.

कार्डियोलॉजी विभाग के पुराने भवन, जहां से यह अभी संचालित हो रहा है, में 47 बेड हैं. शंकर ने कहा, ‘नए ब्लॉक के निर्माण के दौरान चौथी मंजिल पर लगभग 90 बेड और पांचवीं मंजिल पर आधी जगह कार्डियोलॉजी विभाग को आवंटित करने का निर्णय लिया गया था.’

हालांकि, इमारत का संचालन शुरू होने के बाद प्रशासन ने निर्णय का सम्मान नहीं किया. इसने नई इमारत में कार्डियोलॉजी विभाग को केवल 41 बिस्तर देने की पेशकश की, वो भी इस शर्त के साथ कि मौजूदा 47 बिस्तरों को वापस करना होगा. शंकर ने कहा कि उन्होंने नई बिल्डिंग में मौजूदा 47 बेड के अलावा 41 बेड की मांग की थी.

शंकर ने कहा, ‘हर दिन हमारी ओपीडी में 300 से 400 मरीज आते हैं. पिछले 15 वर्षों में कार्डियोलॉजी में मरीजों का भार 20 गुना बढ़ गया है. सीमित बिस्तरों के साथ सभी रोगियों का इलाज करना मुश्किल है.’

अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक, बीएचयू अस्पताल में आने वाले हृदय रोगियों को बेड न मिलने की समस्या पर विभाग अध्यक्ष के अनशन के फैसले के बाद गुरुवार (7 मार्च) को आईएमएस बीएचयू के अधिकारी सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक (एसएसबी) पहुंचे. आईएमएस निदेशक प्रो. एसएन संखवार ने मेडिसिन फैकल्टी के डीन प्रो. अशोक कुमार के साथ एसएसबी के चौथे ब्लॉक पर बंद वार्ड और उसमें लंबे समय से खाली पड़े बिस्तरों का निरीक्षण किया.

इस बीच डॉ. ओमशंकर ने 6 मार्च को प्रेस कांफ्रेंस में बेड पर लगे डिजिटल लॉक न खोले जाने के लिए एमएस को जिम्मेदार ठहराया था और कुलपति से एमएस को हटाने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि अब तक करीब दो साल में 30 हजार मरीज बेड न मिलने की वजह से बिना इलाज के लौट गए.

ओमशंकर ने एमएस के साथ ही कुलपति को भी को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि पिछले दो साल से आवाज उठाने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. अभी तक डिजिटल लॉक नहीं खोला गया. जब तक डिजिटल लॉक खुल नहीं जाता और कुलपति की ओर से एमएस को उनके पद से हटाया नहीं जाता तब तक आमरण अनशन चलता रहेगा.