मणिपुर: एनएससीएन-आईएम ने ‘नगा क्षेत्र’ में यूएनएलएफ शिविरों पर आपत्ति जताई, हटाने को कहा

मणिपुर में मेईतेई विद्रोही समूह यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने सरकार के साथ युद्धविराम समझौता किया है, जिसके बाद सरकार कथित तौर पर उनके नेताओं, कैडरों के लिए शिविर बना रही है. इस पर नगा समूह नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (आईएम) ने पूछा है कि क्या भारत सरकार मणिपुर में नगा और मेईतेई के बीच ‘सांप्रदायिक युद्ध’ भड़काने की कोशिश कर रही है.

यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट कैडर. (फोटो साभार: मंत्री अमित शाह द्वारा समझौते से संबंधित सोशल साइट एक्स पर साझा की गई एक तस्वीर)

मणिपुर में मेईतेई विद्रोही समूह यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने सरकार के साथ युद्धविराम समझौता किया है, जिसके बाद सरकार कथित तौर पर उनके नेताओं, कैडरों के लिए शिविर बना रही है. इस पर नगा समूह नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (आईएम) ने पूछा है कि क्या भारत सरकार मणिपुर में नगा और मेईतेई के बीच ‘सांप्रदायिक युद्ध’ भड़काने की कोशिश कर रही है.

यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट कैडर. (फोटो साभार: गृह मंत्री मंत्री अमित शाह द्वारा समझौते के दौरान संबंधित सोशल साइट एक्स पर साझा की गई एक तस्वीर)

नई दिल्ली: नगा विद्रोही समूह नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड – इसाक-मुइवा (एनएससीएन-आईएम) ने शुक्रवार को मणिपुर सरकार से राज्य में ‘नगा क्षेत्र’ से मेईतेई विद्रोही समूह यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) के लिए नामित शिविरों को तुरंत स्थानांतरित करने के लिए कहा.

डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार को एक बयान में एनएससीएन-आईएम ने सवाल उठाया कि नगा क्षेत्र में नगाओं की सहमति और जानकारी के बिना यूएनएलएफ के नेताओं और कैडरों को रखने के लिए निर्दिष्ट शिविरों का निर्माण क्यों किया गया.

बयान में कहा गया, ‘इस तरह की लापरवाह घुसपैठ बेहद निंदनीय है. इसलिए, नगा क्षेत्र में यूएनएलएफ नामित शिविरों को तुरंत स्थानांतरित किया जाना चाहिए.’

एनएससीएन-आईएम 1997 से सरकार के साथ युद्धविराम में है और नगालैंड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और असम में नगा-बहुल क्षेत्रों को अपना क्षेत्र मानता है. उनकी प्रमुख मांगों में से एक नगा क्षेत्रों का एकीकरण है.

दूसरी ओर, यूएनएलएफ एक प्रतिबंधित संगठन है, जिसमें मणिपुर में मेईतेई लोग शामिल हैं. यूएनएलएफ के एक प्रमुख गुट, जिसे पम्बेई गुट कहा जाता है, ने सरकार के साथ युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और सरकार कथित तौर पर समझौते के जमीनी नियमों के अनुसार अपने नेताओं और कैडरों को रखने के लिए निर्दिष्ट शिविरों का निर्माण कर रही है.

लेकिन इस कदम पर एनएससीएन-आईएम का विरोध इसमें एक नया मोड़ ला सकता है क्योंकि मेईतेई लोग मणिपुर में नगाओं के किसी भी आदेश के खिलाफ हैं. मेईतेई लोग नगा-बहुल क्षेत्रों के एकीकरण की मांग का भी विरोध करते हैं. मणिपुर में तीन नगा बहुल जिले- उखरुल, सेनापति और तामेंगलांग हैं.

एनएससीएन-आईएम के बयान में कहा गया है कि जब उन्होंने बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र के साथ संघर्ष विराम पर हस्ताक्षर किए, तो हर चीज पर औपचारिक रूप से चर्चा की गई और नामित शिविरों की स्थापना के संबंध में व्यवस्था की गई.

बयान में कहा गया, ‘भारत सरकार और यूएनएलएफ के मामले में भू-राजनीतिक भावना पर विचार किए बिना नामित शिविरों की स्थापना को बेतरतीब ढंग से किया गया.’

ईस्ट मोजो की रिपोर्ट के अनुसार, एनएससीएन-आईएम ने सवाल किया कि क्या भारत सरकार (भारत सरकार) मणिपुर में नगाओं और मेईतेई के बीच ‘सांप्रदायिक युद्ध’ भड़काने की कोशिश कर रही है.

भारत सरकार और यूएनएलएफ (पामबेई) के बीच शांति समझौते के बाद एनएससीएन-आईएम ने कहा कि वह गहरी दिलचस्पी के साथ घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहा है.

समूह ने कहा कि उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी के रूप में एनएससीएन-आईएम बाहरी खतरों से बचाव के साथ-साथ नगाओं के अधिकारों, कल्याण और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए समर्पित है.

एनएससीएन ने आगे भारत सरकार की कार्रवाइयों के बारे में आशंका व्यक्त की कि संभावित रूप से अंतर-सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है. बयान में सभी पक्षों से अवांछनीय परिणामों को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया गया.