महाराष्ट्र सरकार स्कूल शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड लाई; जींस-टीशर्ट पर रोक, सलवार-चूड़ीदार पहनें

राज्य स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी एक सरकारी अधिसूचना में कहा गया है कि शिक्षक अपने पहनावे को लेकर सतर्क रहें, क्योंकि इसका असर बच्चों पर पड़ता है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: पीआईबी)

नई दिल्ली: महाराष्ट्र सरकार ने स्कूली शिक्षकों के लिए एक ड्रेस-कोड जारी किया है. इस ड्रेस-कोड के अनुसार, शिक्षकों को जींस और टी-शर्ट, गहरे रंग या डिज़ाइन या प्रिंट वाले कपड़े पहनने की अनुमति नहीं होगी. इसमें सुझाव दिया गया है कि महिला शिक्षकों को कुर्ता और दुपट्टा या साड़ी के साथ सलवार या चूड़ीदार पहनना चाहिए, जबकि पुरुष शिक्षकों को पैेंट (ट्राउजर) और शर्ट पहनना चाहिए. शर्ट का निचला हिस्सा पैंट के अंदर दबा हुआ होना चाहिए.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शुक्रवार (15 मार्च) को जारी एक सरकारी अधिसूचना में कहा गया है कि शिक्षक अपने पहनावे को लेकर सतर्क रहें, क्योंकि इसका असर बच्चों पर पड़ता है.

इस सरकारी आदेश के अनुसार, स्कूली शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड से संबंधित 9 सूत्री गाइडलाइन जारी की गई है. ये गाइडलाइन सरकारी, निजी और राज्य बोर्ड से संबद्ध सभी स्कूलों पर लागू होगी.

शिक्षकों और शिक्षाविदों ने की आलोचना

सरकार के इस कदम पर शिक्षकों और शिक्षाविदों ने सवाल उठाते हुए इसकी आलोचना की है. उनका कहना है कि शिक्षकों पर ड्रेस कोड नहीं थोपा जाना चाहिए.

मुंबई के एक स्कूल शिक्षक ने कहा, ‘शिक्षक पहले से ही उचित पोशाक पहनने के प्रति सचेत हैं. स्कूल भी अपने तरीके से इसे सुनिश्चित करने में सावधानी बरतते हैं. इसमें सरकार को हस्तक्षेप करने और शिक्षकों के लिए ड्रेस-कोड निर्धारित करने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं थी. स्कूलों और शिक्षकों के अनुसार, क्या पहनना है यह तय करना उनका व्यक्तिगत और स्थानीय विशेषाधिकार है.

हालांकि, विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस संबंध में बताया, ‘ये सिर्फ दिशानिर्देश हैं और इन्हें शासन का आदेश नहीं माना जाना चाहिए. इसका अनुपालन न करने की स्थिति में कोई कार्रवाई करने पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है.’

महाराष्ट्र सरकार के इस सर्कुलर में आगे कहा गया है कि डॉक्टरों के लिए ‘डॉ (Dr)’, वकीलों के लिए ‘एड (Adv)’ की तरह ही, शिक्षक भी अब अपने नाम के आगे अंग्रेजी में ‘टीआर (Tr)’ और मराठी में ‘T (टी)’ लगाएं. राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग के इस निर्णय का उद्देश्य शिक्षकों को मान्यता देकर उनका मनोबल बढ़ाना है. स्कूली शिक्षा आयुक्तालय को इसके लिए पर्याप्त प्रचार-प्रसार के साथ-साथ एक साइन (प्रतीक) को अंतिम रूप देने का काम सौंपा गया है.