पाकिस्तान ने अफ़ग़ानिस्तान में हवाई हमले किए, तालिबान की भी जवाबी कार्रवाई

यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी ने हाल ही में उत्तरी वजीरिस्तान में एक सुरक्षा चौकी पर हमले के बाद सात सैनिकों की हत्या का प्रतिशोध लेने की बात कही थी.

फोटो साभार : सोशल मीडिया (ट्विटर)

नई दिल्ली: पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच बढ़ते तनावों के मद्देनजर पाकिस्तान ने सोमवार (18 मार्च) को अफ़ग़ानिस्तान के अंदरूनी इलाकों में हवाई हमले किए, जिसके बाद तालिबान सरकार ने पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों पर सीमा पार से गोलीबारी कर जवाबी कार्रवाई की.

सोमवार को तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने दावा किया कि पाकिस्तानी विमानों ने अफ़ग़ानिस्तान के पक्तिका और खोस्त प्रांतों के सीमावर्ती इलाकों में तीन बच्चों सहित कम से कम आठ लोगों की हत्या कर दी है. यह हवाई हमले स्थानीय समय के अनुसार सुबह करीब 3 बजे हुए थे.

रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि उसने अफ़ग़ानिस्तान के अंदर सीमावर्ती क्षेत्रों में इंटेलिजेंस आधारित आतंकवाद विरोधी अभियान चलाया था.

यह हवाई हमले ऐसे समय में हुए हैं, जब पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी ने शनिवार (16 मार्च) को उत्तरी वजीरिस्तान में एक सुरक्षा चौकी पर हमले के बाद सात सैनिकों की हत्या का प्रतिशोध लेने की बात कही थी.

पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, ‘अच्छे तालिबान से आतंकवादी नेता’ बने हाफ़िज़ गुल बहादुर के नेतृत्व वाले आतंकवादी समूह ने इस हमले की ज़िम्मेदारी ली थी. एक पूर्व सरकारी ठेकेदार हाफ़िज़ गुल बहादुर और उसके सहयोगी ऑपरेशन ज़र्ब-ए-अज़ब के बाद अफ़ग़ानिस्तान भाग गए थे.

सोमवार सुबह तालिबान ने अपने बयान में कहा कि हवाई हमले का निशाना बनाया गया आरोपी अब्दुल्ला शाह अब भी पाकिस्तान में है. इसमें यह भी कहा गया कि इस क्षेत्र में आदिवासी आबादी रहती है, जो सीमा के दोनों ओर रोजाना यात्राएं करती है और इनके आपस में संबंध हैं.

तालिबान के प्रवक्ता ने कहा, ‘अफ़ग़ानिस्तान का इस्लामी अमीरात इन हमलों की कड़ी निंदा करता है और इस लापरवाह कार्रवाई को अफ़ग़ानिस्तान के क्षेत्र का उल्लंघन समझता है.’ तालिबान के मुताबिक इन घटनाओं के ‘बहुत बुरे परिणाम हो सकते हैं जो पाकिस्तान के नियंत्रण से बाहर होंगे.’

 

मुजाहिद ने सीधे तौर पर पाकिस्तानी सेना पर दूसरों का निशाना बनने का आरोप लगाया. मुजाहिद के अनुसार ‘पाकिस्तानी अवाम और नई सरकार को कुछ सेना जनरलों के पिछले 20 सालों की गलतियों और गलत नीतियों, जो दूसरों के फायदे के लिए की गईं, उन्हें जारी रखने और दो पड़ोसी मुस्लिम देशों के बीच संबंध खराब करने से रोकना चाहिए. इसके अलावा पाकिस्तान को अपने क्षेत्र में नियंत्रण की कमी, अक्षमता और अपनी समस्याओं के लिए अफ़ग़ानिस्तान को दोष नहीं देना चाहिए.’

बाद में, तालिबान सरकार के रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की कि पाकिस्तानी हवाई हमलों के जवाब में अफगान सीमा बलों ने ‘भारी हथियारों के साथ पाकिस्तान के सैन्य केंद्रों को निशाना बनाया.’

इसमें ये भी कहा गया कि देश की रक्षा और सुरक्षा बल किसी भी आक्रामक कार्रवाई का जवाब देने के लिए तैयार हैं और किसी भी स्थिति में अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करेंगे.’

अफगान मीडिया आउटलेट टोलो न्यूज ने बताया कि अफगान और पाकिस्तानी सीमा बलों के बीच पख्तिया के दंड-ए-पाटन जिले में सीमा पार से गोलीबारी शाम करीब 7 बजे शुरू हुई. सूत्रों के हवाले से यह भी बताया गया कि इस लड़ाई में तीन पाकिस्तानी सैनिक घायल हो गए.

तालिबान के दो बयानों के बाद पाकिस्तान के भी विदेश मंत्रालय ने एक विस्तृत प्रेस नोट जारी किया, हालांकि उसने काबुल की ओर से ऐसी किसी भी जवाबी कार्रवाई की पुष्टि नहीं की.

पाकिस्तान के बयान में कहा गया कि ‘आज के ऑपरेशन का लक्ष्य हाफ़िज़ गुल बहादुर समूह से संबंधित आतंकवादी थे, जो तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के साथ पाकिस्तान के अंदर कई आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार हैं, जिसके चलते सैकड़ों नागरिकों और कानून प्रवर्तन अधिकारी की मौत हुई हैं.’ इस प्रेस बयान में उत्तरी वजीरिस्तान में 16 मार्च को हुए हमले का भी जिक्र किया गया.

पाकिस्तान विदेश मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने अफगान जमीन पर टीटीपी की मौजूदगी के बारे में अपने अफगान समकक्षों को कई बार बताया था.

प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, ‘हमने बार-बार अफगान अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि अफगान जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद के नहीं किया जाए. हमने इसके संबंध में ठोस और प्रभावी कार्रवाई की बात भी कही है. टीटीपी को सुरक्षित पनाह देने से इनकार करने और इसके नेताओं को पाकिस्तान को सौंपने की मांग भी की गई है.’

हालाँकि, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने दावा किया कि अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता में बैठे लोगों में से कुछ तत्व आतंकवादी समूह को सक्रिय रूप से संरक्षण देकर पाकिस्तान के खिलाफ एक प्रॉक्सी के तौर पर टीटीपी का उपयोग कर रहे थे.

बयान में कहा गया, ‘हम सत्ता में बैठे इन तत्वों से बेगुनाह पाकिस्तानियों का खून बहाने वाले ख्वारिज आतंकवादियों का साथ देने की नीति पर पुनर्विचार करने और पाकिस्तान के लोगों के साथ खड़े होने का स्पष्ट विकल्प चुनने का आग्रह करते हैं.’

नवंबर 2022 में टीटीपी द्वारा अपना संघर्ष विराम वापस लेने के बाद पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ हमलों में वृद्धि हुई है.

पिछले दिसंबर में एक प्रतिबंधित समूह तहरीक-ए-जिहाद पाकिस्तान ने डेरा इस्माइल खान में एक सैन्य परिसर पर हमला किया और 23 सैनिकों की हत्या कर दी.

16 मार्च को हुए आखिरी हमले में करीब छह आतंकियों ने विस्फोटकों से भरे ट्रक से सुरक्षा चौकी के गेट को टक्कर मार दी थी और फिर सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी थी. रविवार को अंतिम संस्कार के दौरान राष्ट्रपति ज़रदारी ने कहा था कि पाकिस्तान उन्हें दृढ़ता से जवाब देगा, चाहे वह कोई भी हो या किसी भी देश से हो.

यह इस साल में दूसरी ऐसी घटना है जब पाकिस्तान ने किसी दूसरे देश में हवाई हमला किया है. इससे पहले जनवरी में ईरान ने बलूचिस्तान में जैश अल-अदल समूह के ठिकानों पर हमले किए थे, जिसके बाद पाकिस्तान ने जवाबी हवाई हमले किए. तनाव के बाद इन दोनों पड़ोसियों ने राजनयिक संबंध बहाल किए.