जेएनयू शिक्षक संघ ने निवेदिता मेनन के लेक्चर में दक्षिणपंथियों द्वारा बाधा डालने की आलोचना की

बीते दिनों ओडिशा के संबलपुर के गंगाधर मेहर विश्वविद्यालय में जेएनयू की प्रोफेसर निवेदिता मेनन को कथित तौर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्रों की नारेबाज़ी के बीच अपना लेक्चर अधूरा छोड़ना पड़ा था. जेएनयू शिक्षक संघ ने इसकी निंदा करते हुए इसे अकादमिक स्वतंत्रता पर गंभीर हमला बताया है.

निवेदिता मेनन. (फोटो: आशीष झा)

बीते दिनों ओडिशा के संबलपुर के गंगाधर मेहर विश्वविद्यालय में जेएनयू की प्रोफेसर निवेदिता मेनन को कथित तौर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्रों की नारेबाज़ी के बीच अपना लेक्चर अधूरा छोड़ना पड़ा था. जेएनयू शिक्षक संघ ने इसकी निंदा करते हुए इसे अकादमिक स्वतंत्रता पर गंभीर हमला बताया है.

 

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) ने विश्वविद्यालय की प्रोफेसर निवेदिता मेनन के समर्थन में एक बयान जारी किया है. निवेदिता मेनन को हाल ही में ओडिशा के संबलपुर में गंगाधर मेहर विश्वविद्यालय (जीएमयू) में एक व्याख्यान के दौरान दक्षिणपंथी हिंदू समूह के व्यवधान के कारण मंच छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था.

रिपोर्ट के अनुसार, जेएनयूटीए ने अपने बयान में कहा है कि निवेदिता मेनन के जीएमयू में ’21वीं सदी के लिए नारीवाद’ शीर्षक पर उनके शुरुआती भाषण के लगभग 15 मिनट बोलने के बाद कुछ लोग, जिनमें से ज्यादातर जीएमयू के बाहरी लोग थे, उनके खिलाफ नारे लगाने लगे. इसके बाद उन्हें बीच में ही रोक दिया गया. संबलपुर विश्वविद्यालय में उनकी बातचीत को ऑनलाइन स्ट्रीम करने की अनुमति भी नहीं दी गई.

बयान में आगे कहा गया, ‘एंटी अकादमिक तत्वों द्वारा मेनन के व्याख्यान में बाधा पैदा करना और उन्हें डराना-धमकाना अकादमिक स्वतंत्रता पर गंभीर हमला है. यह बेहद चिंताजनक है कि उपस्थित लोगों को जाने के लिए मजबूर किया गया, जिससे वह बातचीत और विचारों के आदान-प्रदान के अवसर से वंचित हो गए.’

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, कथित तौर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्रों ने ‘भारत माता की जय’ और ‘निवेदिता मेनन वापस जाओ’ के नारे लगाकर मेनन के 12 मार्च के व्याख्यान में बाधा पैदा की थी. ये छात्र 100 मीटर ऊंचा भारतीय झंडा लेकर चल रहे थे.

घटना के बाद एक बयान में मेनन ने कहा, ‘जब उन्होंने व्यवधान डालना शुरू किया तब तक मैं पितृसत्ता और नारीवाद पर लगभग 15 मिनट तक बोल चुकी थी, यह सब करीब 30 मिनट तक चलता रहा. कई विभागों के सदस्य एकजुटता से मेरे साथ खड़े थे.’

ध्यान रहे कि निवेदिता मेनन एक जानी-मानी लेखक और जेएनयू में राजनीति विज्ञान की प्रोफेसर हैं.

गौरतलब है कि साल 2023 में प्रकाशित वी-डेम अकादमिक स्वतंत्रता सूचकांक में भारत को लीबिया, पाकिस्तान, इथियोपिया, चाड, भूटान, यूक्रेन और फिलिस्तीन जैसे देशों से नीचे 20-30 प्रतिशत श्रेणी में रखा गया है.