शिक्षाविदों का आरोप- पाठ्यक्रम घटाकर निजी कोचिंग, डमी स्कूलों को बढ़ावा दे रहा है एनसीईआरटी

एनसीईआरटी ने महामारी के चलते पढ़ाई का बोझ कम करने का हवाला देते हुए स्कूली पाठ्यक्रम को लगभग 40 प्रतिशत घटा दिया था. शिक्षाविदों का कहना है कि यह पाठ्यक्रम छात्रों को एनईईटी, जेईई और सीयूईटी जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए तैयार करने में अपर्याप्त है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Barry Pousman/Flickr, CC BY 2.0)

एनसीईआरटी ने महामारी के चलते पढ़ाई का बोझ कम करने का हवाला देते हुए स्कूली पाठ्यक्रम को लगभग 40 प्रतिशत घटा दिया था. शिक्षाविदों का कहना है कि यह पाठ्यक्रम छात्रों को एनईईटी, जेईई और सीयूईटी जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए तैयार करने में अपर्याप्त है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Barry Pousman/Flickr, CC BY 2.0)

नई दिल्ली:  शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले एनसीईआरटी पर निजी कोचिंग और ‘डमी स्कूलों’ को बढ़ावा देने का आरोप लगा है. यह आरोप ऐसे समय में सामने आया है, जब सरकार कोचिंग उद्योग पर नकेल कसने के लिए नई नीति लेकर लाई है.

बता दें कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) जिसकी पाठ्यपुस्तकें केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और 15 राज्य स्कूल बोर्डों द्वारा इस्तेमाल की जाती हैं, उसने कोरोना महामारी के बाद लगातार तीसरे साल भी नवीं से बारहवीं कक्षा के लिए कोविड के दौरान लागू घटे हुए पाठ्यक्रम को ही जारी रखा है.

द टेलीग्राफ की खबर के अनुसार, दो छात्रों, एक अभिभावक और कई शिक्षाविदों ने अख़बार को बताया है कि एनसीईआरटी छात्रों को निजी कोचिंग लेने के लिए मजबूर कर रहा है क्योंकि इसके द्वारा घटाया गया स्कूली पाठ्यक्रम छात्रों को एनईईटी, जेईई और सीयूईटी जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए तैयार करने में अपर्याप्त है.

इस संबंध में शिक्षाविदों ने भी कहा है कि एनसीईआरटी का यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 द्वारा निजी कोचिंग के खिलाफ उठाए गए रुख के खिलाफ है.

ध्यान रहे कि एनसीईआरटी ने महामारी के दौरान स्कूली शिक्षा में आई बाधा के चलते छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम करने की जरूरत का हवाला देते हुए साल 2022 में पूरे स्कूली पाठ्यक्रम को लगभग 40 प्रतिशत घटा दिया था, जिसके बाद इसमें अभी तक कोई फेरबदल नहीं हुआ है और यह उच्च कक्षाओं में अभी भी जारी है.

ज्ञात हो कि उस समय भी शिक्षाविदों ने पाठ्यक्रम को घटाने के तरीके की कड़ी आलोचना की थी और कहा था कि भाजपा की विचारधारा को ध्यान में रखते हुए अध्यायों को चुनिंदा रूप से हटाया गया है. हटाई गई सामग्री में मुगल शासकों, इस्लाम का वैश्विक इतिहास, जातिगत भेदभाव का इतिहास और महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध से संबंधित पाठ थे.

इस संबंध में सीबीएसई ने अपने संबद्ध स्कूलों को सूचित किया है कि एनसीईआरटी ने शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए कक्षा तीन और छठवीं के लिए नई किताबें लाने का फैसला किया है. वहीं कक्षा एक और दो की पहले ही नई किताबें आ चुकी हैं. लेकिन बाकी कक्षाओं के लिए, ‘तर्कसंगत’ (कम) पाठ्यक्रम ही इस साल भी जारी रहेगा.

दिल्ली में आईटीएल पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल सुधा आचार्य ने इस संबंध में द टेलीग्राफ से कहा कि स्कूली पाठ्यक्रम और कॉलेज प्रवेश परीक्षाओं के पाठ्यक्रम के बीच अंतर होने के कारण ‘छात्र निजी कोचिंग की मदद लेने के लिए मजबूर महसूस करते हैं’.

उन्होंने कहा, ‘छात्र दसवीं कक्षा के बाद नियमित स्कूलों से ‘डमी’ स्कूलों में ट्रांसफर की मांग कर रहे हैं.’

बता दें कि ‘डमी’ स्कूल ऐसे संस्थान हैं जो ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के छात्रों का नामांकन करते हैं और निजी कोचिंग सेंटरों में पढ़ने के दौरान उनकी उपस्थित भी दर्ज करवाते हैं. इनमें से कुछ कोचिंग सेंटर डमी स्कूलों की कक्षाओं से संचालित होते हैं, जो उन्हें प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए तैयार करते हैं.

ग्यारहवीं कक्षा की एक छात्रा, जिसके माता-पिता ने बीते साल अपनी बेटी को दिल्ली के द्वारका स्थित एक डमी स्कूल में दाखिला दिलाया था, उनका मानना है कि अगर एनसीईआरटी पुराने पाठ्यक्रम पर लौट आता तो उन्हें अपनी बेटी का दाखिला डमी स्कूल में नहीं करवाना पड़ता. उनका कहना है कि ‘साल 2022 से पहले का स्कूली पाठ्यक्रम प्रतियोगी परीक्षाओं के समान ही था.’

एक कोचिंग संस्थान के शिक्षक ने कहा कि महंगी निजी कोचिंग का चाह रखने वाले छात्रों की संख्या हर साल बढ़ रही है. शिक्षा मंत्रालय को रिपोर्ट करने वाली सीबीएसई ने शुक्रवार (22 मार्च) को 20 डमी स्कूलों की मान्यता वापस ले ली.