नई दिल्ली: संस्कृति मंत्रालय ने एक अभूतपूर्व कदम में ललित कला अकादमी (एलकेए) के अध्यक्ष वी. नागदास की शक्तियों को कम कर दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्हें ‘नियुक्ति, भर्ती, तबादले, अनुशासनात्मक कार्रवाई’ से संबंधित मामलों सहित कोई भी ‘प्रशासनिक कार्रवाई’ और वित्तीय निर्णय मंत्रालय से परामर्श किए बिना करने से रोक दिया है.
केरल के चित्रकार और प्रिंटमेकिंग कलाकार नागदास (64) को पिछले साल 13 मार्च को तीन साल के कार्यकाल के लिए इस पद पर नियुक्त किया गया था. अख़बार द्वारा संपर्क किए जाने पर मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि यह आदेश ‘अध्यक्ष द्वारा लिए गए कुछ निर्णयों के मद्देनजर’ भेजा गया था.
मंत्रालय द्वारा 8 जनवरी, 2024 को नागदास को संबोधित आदेश जारी किया गया, जिसमें पहले की ‘शिकायत’ का जवाब देने में उनकी विफलता का हवाला दिया गया है और मंत्रालय के ‘प्रशासनिक निर्देशों’ का अनुपालन न करने का भी आरोप लगाया गया है.
संस्कृति मंत्रालय के अवर सचिव सुमन बारा द्वारा हस्ताक्षरित आदेश में कहा गया है, ‘एलकेए के सामान्य नियमों और विनियमों के नियम 19 (1) में उल्लिखित केंद्र सरकार के अधिकार के अनुसार, आपको मंत्रालय की सहमति के बिना नियुक्ति, भर्ती, स्थानांतरण, अनुशासनात्मक कार्रवाई और वित्तीय निर्णय सहित कोई भी प्रशासनिक कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया जाता है.’
एलकेए संविधान के अनुसार, इसके अध्यक्ष को इन सभी मामलों पर काम करना होता है.
आदेश में कहा गया है कि इसे मंत्रालय में संयुक्त सचिव (अकादमी) की मंजूरी से जारी किया गया है.
आदेश में कहा गया है, ‘मुझे मंत्रालय के दिनांक 14/11/2023 के पत्र का उल्लेख करने का निर्देश दिया गया है, जिसके माध्यम से एक शिकायत अग्रेषित की गई थी और उत्तर देने और एलकेए के संविधान का अनुपालन करने का निर्देश दिया गया था, हालांकि अभी तक कोई उत्तर नहीं मिला है. यह भी देखा गया है कि मंत्रालय के अन्य प्रशासनिक निर्देशों का भी आज तक अनुपालन नहीं किया गया है.’
नागदास ने मुंबई स्थित मूर्तिकार उत्तम पचर्ने का स्थान लिया था, जिन्हें 2018 में तीन साल के लिए एलकेए अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था और बाद में उन्हें विस्तार दिया गया था.
एलकेए वेबसाइट पर नागदास की प्रोफ़ाइल के अनुसार, उन्होंने पहले छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के दृश्य कला फैकल्टी में प्रोफेसर, डीन और ग्राफिक्स विभाग के प्रमुख के रूप में कार्य किया था.
वेबसाइट बताती है, ‘उन्होंने 1982 में कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स, त्रिवेन्द्रम, केरल से पेंटिंग में राष्ट्रीय डिप्लोमा और 1984 में विश्वभारती विश्वविद्यालय शांतिनिकेतन से ग्राफिक कला में पोस्ट डिप्लोमा प्राप्त किया.’ इसमें कहा गया है कि वह कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित हैं.
पिछले साल के अंत में नागदास की अध्यक्षता में एलकेए ने दो प्रदर्शनियां- ‘इमेजिंग द इमीडिएट – क्यूरेटिंग फ्रॉम ए नेशनल कलेक्शन’ और ‘द अफगान जर्नल’ की थीं. इसके अलावा उन्होंने ‘भगवान राम के दर्शन और मानवीय पक्ष’ को प्रदर्शित करने के लिए राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा से पहले अयोध्या में एक मेगा कला शिविर की भी घोषणा की थी.
सूत्रों के अनुसार, हालांकि एलकेए को ‘फंडिंग मुद्दों’ के कारण अयोध्या शिविर आयोजित करने का मौका नहीं मिला.
मालूम हो कि साल 2017 में एलकेए अपने कामकाज के बारे में बार-बार शिकायतों और प्रसिद्ध कलाकार एमएफ हुसैन की लापता कलाकृतियों की रिपोर्ट के बाद विवादों में घिर गया था, जिसके बाद इसके शीर्ष अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया था और जांच के आदेश दिए गए थे.
साल 2022 में कैग की रिपोर्ट में ललित कला अकादमी में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं सामने आई थीं. कैग की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2016-17 से 2021-22 के बीच संस्कृति मंत्रालय के तहत आने वाले प्रतिष्ठित कला संस्थान ललित कला अकादमी में सरकार के सामान्य वित्तीय नियमों को धता बताते हुए कई अनियमितताएं बरती गईं. दावा किया गया था कि वाहनों को किराये पर लेने, वकीलों की सेवा लेने, लैपटॉप की खरीद एवं वितरण में भी अनियमितताएं देखने को मिलीं.