नई दिल्ली: न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ पिछले छह महीने से जेल में हैं. उनकी गिरफ्तारी के विरोध और उनके समर्थन में शनिवार (6 अप्रैल) को दिल्ली के सुरजीत भवन में विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और नागरिक समाज के लोगों ने एकजुटता दिखाई. इस प्रतिरोध सभा में उपस्थित लोगों ने सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर असहमति की आवाज़ कुचलने और नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों के हनन का आरोप लगाया. साथ ही, प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की गिरती स्थिति को लेकर भी चिंता जाहिर की.
ज्ञात हो कि प्रबीर पुरकायस्थ को बीते वर्ष 2023 में तीन अक्टूबर को दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने गिरफ्तार किया था. इसी दिन न्यूज़क्लिक के कार्यालय, पुरकायस्थ के घर समेत पोर्टल से जुड़े पत्रकारों, कर्मचारियों, पूर्व कर्मचारियों और कई अन्य लोगों के यहां भी दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद में 100 से ज़्यादा ठिकानों पर छापे मारे गए थे और उनके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जब्त कर लिए गए थे.
न्यूज़क्लिक पर कथित चीनी प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए एक अमेरिकी करोड़पति से फंडिंग लेने का आरोप है. अगस्त 2023 में न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के हवाले से भाजपा नेता निशिकांत दुबे ने इस मुद्दे को संसद में भी उठाया था, जिसके बाद दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा की ये कार्रवाई देखने को मिली थी. हालांकि, न्यूज़क्लिक ने इन सभी आरोपों का लगातार खंडन किया है.
आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट को ‘ग़ैर-जिम्मेदाराना’ ठहराया
इस एकजुटता कार्यक्रम में जुटे लोगों ने भी इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट को ‘गैर-जिम्मेदाराना’ बताया. भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी और मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने बताया कि हाल ही में रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स और गुएर्निका 37 चैंबर्स ने यूरोपीय संघ से दिल्ली पुलिस के उन चार उच्च-रैंकिंग अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आह्वान किया है, जिन्होंने अक्टूबर 2023 में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से न्यूज़क्लिक के पत्रकारों पर ‘मनमाने ढंग’ से छापे का आदेश दिया था. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हर पीढ़ी को एक आपातकाल से गुजरना पड़ेगा?
साइंस मूवमेंट से जुड़े प्रबीर पुरकायस्थ के साथी डी. रघुनंदन और आशा मिश्रा ने बताया कि प्रबीर हमेशा से देश में वैज्ञानिक चेतना को बढ़ावा देने के लिए काम करते रहे हैं, लेकिन मौजूदा सरकार तर्क के बजाय अंधविश्वास की बातों को तवज्जो देना चाहती है और इसलिए उन्हें प्रबीर जैसे लोगों से नफ़रत है. मौजूदा समय में एनसीईआरटी की किताबों में बदलाव भाजपा की सोची-समझी योजना है, जिसके जरिये वह देश के युवा को एक अलग दिशा में ले जाना चाहते हैं.
प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक ने हाल ही में सैनिक स्कूलों का संचालन भाजपा-आरएसएस से जुड़े लोगों को देने की ख़बर का ज़िक्र करते हुए कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा इसके जरिये लंबे समय तक देश में अपनी विचारधारा को क़ायम रखना चाहती है.
पटनायक के मुताबिक, सरकार की नीतियां विशेषज्ञों को समझ नहीं आतीं, लेकिन सरकार विकास के दावे ज़ोर-शोर से करती है. अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों और इंडेक्स में हम पिछड़ रहे होते हैं, बावजूद इसके सरकार अपना अलग ही राग अलाप रही होती है.
वरिष्ठ पत्रकार पी. साईनाथ ने प्रबीर के तार्किक योगदान को याद करते हुए उन्हें एक व्यक्ति नहीं, एक तर्कशील विचारधारा बताया. उन्होंने कहा कि प्रबीर हमेशा अपने काम को लेकर गंभीर और ईमानदार रहे हैं. उन्होंने हमेशा वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाया है. न्यूज़क्लिक की स्थापना के पीछे भी प्रबीर का यही मकसद था.
ज्ञान के विस्तार के लिए सवाल उठाना बहुत ज़रूरी है
इस सभा में प्रोफेसर रोमिला थापर का संदेश भी पढ़ा गया. उन्होंने औपनिवेशिक काल की बात करते हुए स्वाधीनता के संघर्ष और नई बन रही नागरिकता के दौर का ज़िक्र किया. उन्होंने कहा कि हर दौर में ज्ञान के विस्तार के लिए सवाल उठाना बहुत ज़रूरी है. यह हम पर है कि हम कैसा समाज चाहते हैं, एक ऐसा समाज जो सामाजिक न्याय की बात करता हो और जहां बोलने की आज़ादी हो या ऐसा समाज जहां नागरिकों के मौलिक अधिकार ही न रहें?
न्यूज़क्लिक हिंदी के संपादक मुकुल सरल ने भी संस्थान और इसकी स्थापना के पीछे के उद्देश्य को बताते हुए कहा कि प्रबीर हमेशा जनता और उसके हक़ की आवाज़ उठाना चाहते थे, फिर किसान आंदोलन हो या नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ संघर्ष या मज़दूरों-कामगारों और महिलाओं का प्रदर्शन. वह जनवादी पत्रकारिता के पक्षधर रहे हैं. इस कार्यक्रम में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी, पार्टी नेता बृंदा करात, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी. राजा, आम आदमी पार्टी (आप) के नेता गोपाल राय भी शामिल हुए. सभी ने एक सुर में प्रबीर सहित सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई की मांग करते हुए सरकार द्वारा असहमति की आवाज़ दबाने की निंदा की.
सीताराम येचुरी ने कहा कि वह पुरकायस्थ को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के दिनों से जानते हैं. उन्होंने प्रबीर की आपातकाल के दौरान गिरफ्तारी का ज़िक्र करते हुए कहा कि वह आज भी उतने ही निडर और सच्चे हैं, जितने तब थे. उन्होंने सभी जन आंदोलनों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
येचुरी ने आगे कहा, ‘हम यहां सिर्फ़ एक व्यक्ति के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए नहीं आए हैं, बल्कि हम उन सभी लोगों के साथ एकजुटता दिखा रहे हैं जिन्हें सरकार ने ग़लत तरीके से सलाखों में क़ैद कर दिया है. उन्होंने संसद में अपना आखिरी संबोधन याद करते हुए कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम भारत को हिंदू पाकिस्तान न बनाएं. हमें ख़ुद को बचाना होगा. यह सुनिश्चित करने के लिए प्रबीर जैसी आवाजों की ज़रूरत है.
येचुरी ने आयकर विभाग द्वारा चुनाव के बीच माकपा की त्रिशूर इकाई के खाते से लेनदेन पर पाबंदी लगाने की भी जानकारी दी.
आप नेता गोपाल राय ने भी केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए असहमति और लोगों की आवाज़ उठाने के लिए विपक्ष को कुचलने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि पूरे देश में विपक्ष पर हमला हो रहा है. उन्होंने कहा कि अब देश में ईडी और मोदी एक हो गए हैं, इसमें अंतर करना मुश्किल है. सत्तारूढ़ भाजपा पर हमला करते हुए राय ने कहा, ‘दिल्ली के निर्वाचित मुख्यमंत्री जेल में हैं. उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है. मोदी कह रहे हैं कि वह भ्रष्टाचार ख़त्म करना चाहते हैं… अगर कोई इस देश में भ्रष्टाचारियों को बचा रहा है तो वह भाजपा है.’
प्रबीर को चार बार फेफड़ों में संक्रमण हो चुका है
माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य बृंदा करात ने अपने संबोधन में कहा कि 75 वर्षीय पुरकायस्थ को अस्थमा है और हाल में उन्हें चार बार फेफड़ों में संक्रमण हुआ है. इसके बावजूद भी प्रशासन उनकी हालत ‘स्थिर’ बता रहा है.
उन्होंने पुरकायस्थ की रिहाई और न्यूज़क्लिक के खातों को डीफ्रीज करने की मांग की. माकपा नेता ने सरकार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा सहित सभी एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया. बृंदा ने कहा कि प्रबीर और न्यूज़क्लिक के खिलाफ जब सब कुछ विफल हो गया तो उन्हें (पुरकायस्थ) काले कानून यूएपीए (गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत गिरफ्तार किया गया, जिस मामले में अभी हाल ही में आठ हज़ार से अधिक पन्नों का आरोपपत्र दाखिल हुआ है.
उन्होंने कहा कि घोषित आपातकाल के समय जिस तरह प्रबीर की गिरफ्तारी हुई थी, और आज जो उन्हें लगभग पांच दशक के अंतराल पर फिर गिरफ्तार किया है, इसमें एक बड़ी असमानता है. अब प्रबीर का शरीर कमज़ोर हो गया है, उन्हें कई बीमारियां हैं, लेकिन उनका आत्मविश्वास और साहस आज भी उस समय की तरह ही अडिग है.
इस कार्यक्रम में पुरकायस्थ की किताब ‘कीपिंग अप द गुड फाइट: फ्रॉम द इमरजेंसी टू द प्रेजेंट डे’ का हिंदी और अन्य भाषाओं में लोकार्पण भी किया गया. इसके अलावा कई जानी-मानी हस्तियों के वीडियो संदेश भी दिखाए गए. साथ ही, न्यूज़क्लिक के काम और इसकी रिपोर्टिंग को लेकर एक वीडियो क्लिप भी दिखाई गई.