बीबीसी ने एफडीआई नियमों के चलते भारत में अपना कामकाज नई कंपनी ‘कलेक्टिव न्यूज़रूम’ को सौंपा

भारत में संचालित डिजिटल समाचार संगठनों के लिए नए नियमों के तहत 26 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा तय की गई है, जिसके चलते बीबीसी ने भारत में अपना न्यूज़रूम प्रकाशन लाइसेंस 'कलेक्टिव न्यूज़रूम' नामक निजी कंपनी को सौंप दिया, जिसे इसके ही चार पूर्व कर्मचारियों ने स्थापित किया है.

(फोटो साभार: Tim Loudon/Flickr, CC BY 2.0)

नई दिल्ली: पिछले साल अपने कार्यालयों में तलाशी के बाद आयकर विभाग के निशाने पर आए बीबीसी ने भारत में अपना न्यूज़रूम प्रकाशन लाइसेंस ‘कलेक्टिव न्यूज़रूम’ नामक एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को सौंप दिया है. इसे बीबीसी के ही चार पूर्व कर्मचारियों द्वारा स्थापित किया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में कहीं भी सार्वजनिक सेवा प्रसारक के वैश्विक परिचालन में ऐसा पहली बार किया गया है. अगले सप्ताह से कलेक्टिव न्यूज़रूम बीबीसी की डिजिटल सेवाओं के लिए अंग्रेजी, हिंदी, गुजराती, मराठी, पंजाबी, तमिल और तेलुगु में संपूर्ण भारतीय सामग्री तैयार करेगा.

कलेक्टिव न्यूजरूम की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रूपा झा हैं, जो चार संस्थापक शेयरधारकों में से एक हैं और बीबीसी इंडिया में वरिष्ठ समाचार संपादक रही हैं. उन्होंने कहा, ‘बीबीसी के लिए किसी अन्य संस्था को अपना प्रकाशन का लाइसेंस देना अभूतपूर्व है… हम अपनी पत्रकारिता से समझौता नहीं करेंगे और बीबीसी मजबूती से हमारे पीछे है.’

ज्ञात हो कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने भारत में संचालित डिजिटल समाचार संगठनों के लिए 26 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा लगा दी है.

बीबीसी वर्ल्ड सर्विस इंडिया के 99.99 प्रतिशत शेयर इसके ब्रिटेन स्थित सार्वजनिक प्रसारक के स्वामित्व में हैं.

नए एफडीआई नियमों के तहत, 26 प्रतिशत एफडीआई सीमा से अधिक वाली कंपनियों को अक्टूबर 2021 तक इस नियम का अनुपालन करने के लिए अपने विदेशी निवेश को कम करने की आवश्यकता थी.

रूपा झा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘हमारे सामने कई विकल्प थे. यह ध्यान में रखते हुए कि बीबीसी भारत में अपनी उपस्थिति नहीं खोना चाहता था या नौकरियों में कटौती नहीं करना चाहता था, और वे नहीं चाहते थे कि यह वित्तीय रूप से अव्यवहार्य हो जाए, इसने हमें लीक से हटकर सोचने के लिए मजबूर किया.

उन्होंने आगे कहा, ‘बीबीसी को मिल रही कानूनी सलाह के आधार पर, हर कोई इसे (कलेक्टिव की स्थापना) व्यवहार्य विकल्प के रूप में देख रहा था.’

रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा माना जा रहा है कि बीबीसी ने कलेक्टिव न्यूज़रूम में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए भारत सरकार के पास आवेदन किया है.

उल्लेखनीय है कि फरवरी 2023 में, 2002 के गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की कथित भूमिका के बारे में एक डॉक्यूमेंट्री प्रसारित करने के कुछ ही दिनों बाद बीबीसी पर भारतीय आयकर अधिकारियों द्वारा छापा मारा गया था.

हालांकि, यह डॉक्यूमेंट्री भारतीय टेलीविजन पर कभी प्रसारित नहीं हुई, लेकिन केंद्र सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए काफी प्रयास किए कि यह सोशल मीडिया पर उपलब्ध न हो.

रूपा झा के अलावा कलेक्टिव न्यूज़रूम  का नेतृत्व करने वाले अन्य भारतीय नागरिकों में मुकेश शर्मा, संजय मजूमदार और सारा हसन के नाम शामिल हैं.

इससे पहले, न्यूज़लॉन्ड्री ने बताया था कि कलेक्टिव न्यूज़रूम में बीबीसी इंडिया के सभी कर्मचारियों को शामिल करने की उम्मीद है.

इसकी रिपोर्ट में कहा गया कि ‘कलेक्टिव न्यूज़रूम के कर्मचारियों के लिए वेतन और रोजगार की शर्तें बीबीसी की तर्ज पर होंगी.’

बीबीसी न्यूज़ के डिप्टी सीईओ जोनाथन मुनरो ने कहा, ‘भारत में बीबीसी की उपस्थिति एक समृद्ध इतिहास से भरी हुई है, जिसने हमेशा दर्शकों को पहले स्थान पर रखा है, इसलिए हम कलेक्टिव न्यूज़रूम के गठन का गर्मजोशी से स्वागत करते हैं जो उस प्रगति को जारी रखेगा.’

भारत में बीबीसी के परिचालन का पुनर्गठन तब हुआ है जब भारत विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 180 देशों में 161वें स्थान पर है यानी निचले बीस देशों में शामिल है.