गुजरात चुनाव राउंडअप: राहुल गांधी ने जीएसटी, महंगाई और बेरोज़गारी पर किए पीएम से सवाल, चिदंबरम का आरोप- गुजरात में सांप्रदायिक कार्ड खेल रही भाजपा.
अहमदाबाद/नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सोमवार को राहुल गांधी द्वारा नामांकन पत्र दाखिल करने के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पार्टी में वंशवाद और औरंगजेबी राज को लेकर किए गए तंज पर कांग्रेस के विभिन्न नेताओं ने तीखा पलटवार किया. कांग्रेस नेताओं ने जहां भाजपा के अध्यक्ष पद के चुनाव पर सवालिया निशान लगाए वहीं प्रधानमंत्री मोदी से सवाल किया कि उन्हें राहुल गांधी का फोबिया क्यों हो गया है?
प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को गुजरात के वलसाड में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा, कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे मणिशंकर अय्यर का कहना है क्या मुग़लकाल में चुनाव होते थे जहांगीर के बाद शाहजहां आए, क्या कोई चुनाव हुआ था. शाहजहां के बाद औरंगजेब शासन करेगा, यह सभी जानते थे. उन्होंने कहा, क्या कांग्रेस यह स्वीकार करती है कि वह एक परिवार की पार्टी है हम यह औरंगजेब शासन नहीं चाहते.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा, प्रधानमंत्रीजी आजकल बहुत बौखलाए, घबराए और तिलमिलाए हुए हैं. बौखलाकर वह कभी चीन-पाकिस्तान पहुंच जाते हैं और कभी मुग़लकाल में पहुंच जाते हैं.
उन्होंने प्रधानमंत्री से सवाल किया, आपको राहुल गांधी जी का फोबिया क्यों हुआ है? उठते-बैठते, सोते-जागते आपको केवल एक ही व्यक्ति क्यों दिखता हैं? उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री गुजरात चुनाव में राहुल गांधी के प्रचार से घबरा गए हैं.
‘जिनका वोट के लिए मशीनों में भरोसा है, वे हमें लोकतंत्र सिखा रहे हैं’
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव पर सवाल उठाने के लिए भाजपा पलटवार किया. उन्होंने कहा कि भगवा दल अपने ही अंदर लोकतंत्र का पालन नहीं करता.
आजाद ने भाजपा द्वारा ईवीएम में छेड़छाड़ के कई विपक्षी दलों के आरोप को दोहराते हुए संवाददाताओं से कहा, जिन लोगों का वोट जीतने के लिए मशीनों पर भरोसा है, वे हमें लोकतंत्र के बारे में सिखा रहे हैं.
पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के सदस्य मधुसूदन मिस्त्री ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में पारदर्शिता के प्रश्न पर संवाददाताओं से कहा, जाकर भाजपा से यह पूछना चाहिए कि उनके अध्यक्ष पद का चुनाव कैसे होता है. उसमें कितनी पारदर्शिता होती है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस संगठन चुनाव की प्रक्रिया पिछले तीन माह से चल रही है.
शहजाद पूनावाला के कांग्रेस में वंशवाद की राजनीति के आरोप पर कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने संवाददाताओं ने कहा, जब जहांगीर की जगह शाहजहां आया तो क्या तब चुनाव हुआ था? जब शाहजहां की जगह औरंगजेब आया तो क्या वहां चुनाव हुआ था? पहले यह सभी को मालूम था कि बादशाह का ताज बादशाह के वंशज को जाएगा. यदि वे आपस में लड़े तो अलग बात है.
अय्यर ने कहा, किंतु आज समय बदल गया है. लोकतंत्र में चुनाव होते हैं और कोई भी लड़ सकता है. अब कोई भी कांग्रेसजन नामांकन पत्र दाखिल कर सकता है. हमने देखा कि जितेंद्र प्रसाद सोनिया जी के ख़िलाफ़ खड़े हुए और चुनाव लड़ा. आज भी यदि कोई चुनाव लड़ना चाहता है तो ऐसा करने के लिए उसका स्वागत है. यह लोकतंत्र की तरह एक आम चुनाव है.
राहुल ने फिर जीएसटी को लेकर व्यंग्य किया
गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले अपने प्रचार के दौरान मोदी सरकार से लगातार पूछे जा रहे अपने सवालों का सिलसिला जारी रखते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने एक और सवाल दागा है. राहुल ने अपने नये सवाल में नोटबंदी, जीएसटी और महंगाई के साथ ही भाजपा से गुजरात में उसके 22 साल के शासन का हिसाब मांगा है.
ट्विटर पर पूछे जा रहे अपने सातवें सवाल में राहुल ने कहा है, ’22 सालों का हिसाब, गुजरात मांगे जवाब. प्रधानमंत्रीजी- 7वां सवाल: जुमलों की बेवफाई मार गई. नोटबंदी की लुटाई मार गई. जीएसटी सारी कमाई मार गई. बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई. बढ़ते दामों से जीना दुश्वार. बस अमीरों की होगी भाजपा सरकार.’
मजे की बात यह है कि राहुल गांधी इससे पहले जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स बोल चुके हैं. वहीं इसपर पलटवार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी के इस विचार को ‘ग्रैंड स्टुपिड थॉट’ बताया था.
गौरतलब है कि गुजरात विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र अपने प्रचार और मोदी सरकार के खिलाफ वार की धार तेज़ करते हुए राहुल 28 नवंबर से लगातार प्रधानमंत्री से एक-एक सवाल पूछ रहे हैं.
उनका पहला सवाल था, ‘2012 में वादा किया कि 50 लाख नए घर देंगे. पांच साल में बनाए 4.72 लाख घर. प्रधानमंत्रीजी बताइए कि क्या ये वादा पूरा होने में 45 साल और लगेंगे?’
दूसरा सवाल था, ‘1995 में गुजरात पर कर्ज- 9,183 करोड़. 2017 में गुजरात पर कर्ज- 2,41,000 करोड़. यानी हर गुजराती पर 37,000 क़र्ज़. आपके वित्तीय कुप्रबंधन व पब्लिसिटी की सज़ा गुजरात की जनता क्यों चुकाए.’
राहुल का तीसरा सवाल था, ‘2002-16 के बीच 62,549 करोड़ की बिजली ख़रीद कर चार निजी कंपनियों की जेब क्यों भरी? सरकारी बिजली कारख़ानों की क्षमता 62 प्रतिशत घटाई पर निजी कंपनी से तीन रुपये प्रति यूनिट की बिजली 24 तक क्यों ख़रीदी? जनता की कमाई, क्यों लुटाई?’
उनका चौथा सवाल था, ‘सरकारी स्कूल-कॉलेज की क़ीमत पर किया शिक्षा का व्यापार. महंगी फ़ीस से पड़ी हर छात्र पर मार. न्यू इंडिया का सपना कैसे होगा साकार? सरकारी शिक्षा पर खर्च में गुजरात देश में 26वें स्थान पर क्यों? युवाओं ने क्या गलती की है?’
राहुल का पांचवा सवाल था, ‘न सुरक्षा, न शिक्षा, न पोषण, महिलाओं को मिला तो सिर्फ़ शोषण. आंगनवाड़ी वर्कर और आशा, सबको दी बस निराशा. गुजरात की बहनों से किया सिर्फ़ वादा, पूरा करने का कभी नहीं था इरादा.’
कांग्रेस के भावी अध्यक्ष का छठवां सवाल था, ‘भाजपा की दोहरी मार, एक तरफ युवा बेरोज़गार. दूसरी तरफ लाखों फिक्स पगार और कांट्रैक्ट कर्मचारी बेज़ार. सातवें वेतन आयोग में 18000 मासिक होने के बावजूद फिक्स और कांट्रैक्ट पगार 5500 और 10,000 क्यों?’
गौरतलब है कि गुजरात में पिछले दो दशक से भी ज्यादा वक्त से भाजपा का शासन है और कांग्रेस इस चुनाव में प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगाए हुए है.
भाजपा गुजरात में सांप्रदायिक राजनीति कर रही है: चिदंबरम
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने सोमवार को आरोप लगाया कि भाजपा गुजरात के नेताओं हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी को हज बताकर सांप्रदायिक राजनीति कर रही है.
एक के बाद एक ट्वीट में चिदंबरम ने कहा कि पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के नेता हार्दिक पटेल, ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर और अनुसूचित जाति जनजाति के नेता जिग्नेश मेवाणी नौकरियों और विकास के लिए गुजराती युवाओं की मांगों को अभिव्यक्त कर रहे हैं और उनके प्रचार अभियान को महत्वहीन नहीं बनाया जाना चाहिए.
उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी गुजरात की माटी के लाल हैं. उन्हें हज कहना सांप्रदायिक कार्ड खेलना और विभाजनकारी राजनीति करना है.
चिदंबरम की टिप्पणियां तब आईं जब सोशल मीडिया पर एक पोस्टर जारी किया गया जिसमें आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव को हज और राम के बीच मुकाबला करार दिया गया. राम में आर मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के लिये, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के लिए ए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिये एम का इस्तेमाल किया गया है.
पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा कि गुजरात के युवाओं का बड़ा हिस्सा पटेल, ठाकोर और मेवाणी के पीछे खड़ा है और उन्होंने भाजपा को स्वीकार नहीं किया है.
उन्होंने कहा, पंजाब के युवाओं ने कांग्रेस को स्वीकार किया. क्यों गुजरात के युवा कांग्रेस को स्वीकार नहीं करेंगे. गुजरात की 182 सीटों वाली विधानसभा के लिए दो चरणों में क्रमश: नौ और 14 दिसंबर को मतदान होना है. मतगणना 18 दिसंबर को होगी.
राकांपा ने राहुल पर टिप्पणी को लेकर प्रधानमंत्री की आलोचना की
वरिष्ठ राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल ने कांग्रेस के अध्यक्ष के चुनाव के सिलसिले में टिप्पणी करने को लेकर सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला किया.
पटेल ने संवाददाताओं से कहा, नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस में अंतर्कलह पर टिप्पणी की है, जो अवांछनीय है. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव को शहजाद और शहजादा के बीच संघर्ष बताया था.
रविवार को एक रैली में मोदी ने कहा था कि जिस व्यक्ति के अपने घर यानी अपनी पार्टी में लोकतंत्र नहीं है, वह देश में कैसे लोकतंत्र को अपना सकता है.
उन्होंने कहा था कि कांग्रेस में शीर्ष पद के लिए चुनाव का नतीजा पूर्वनिश्चित है. प्रधानमंत्री ने कहा था, शहजाद पूनावाला नामक एक युवक, जो कांग्रेस पार्टी का कार्यकर्ता है, ने चुनाव की प्रक्रिया पर सवाल खड़ा किया है और आरोप लगाया है कि इसमें गड़बड़ी की जा रही है.
पटेल ने कहा कि राकांपा गुजरात में कुल 182 सीटों में से 58 पर चुनाव लड़ रही है. यदि कांग्रेस ने गुजरात में राकांपा के साथ चुनावपूर्व गठजोड़ किया होता तो भाजपा की जीत की संभावना धूमिल हो जाती है.
कच्छ की मांडवी सीट: भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने की कांग्रेस की कोशिश
गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कच्छ जिले की मांडवी सीट में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है जो भाजपा का परंपरागत गढ़ है. कांग्रेस यहां हर वर्ग के मतदाताओं को लुभाने की भरपूर कोशिश कर रही है.
कांग्रेस के दिग्गज राजपूत नेता 57 वर्षीय शक्तिसिंह गोहिल को कई लोग पार्टी का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार मानते हैं. मुस्लिम बहुल मांडवी सीट पर उनके सामने भाजपा के नए चेहरे वीरेंद्र सिंह जडेजा हैं. वह भी राजपूत समुदाय से हैं.
बीते चार दशक से यह सीट भाजपा के खाते में जाती रही है. सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करने के लिए भाजपा ने अपने वर्तमान विधायक ताराचंद छेड़ा को इस बार उम्मीदवार नहीं बनाया और उनकी जगह 51 वर्षीय जडेजा को लाया गया.
गोहिल कच्छ की अब्दासा सीट से वर्तमान विधायक हैं. कांग्रेस ने उन्हें इस बार मांडवी से उतारने का फैसला लिया. विधानसभा चुनाव 2012 में परंपरागत सीट भावनगर ग्रामीण से हारने के बाद गोहिल 2014 में अब्दासा उपचुनाव 750 मतों के छोटे अंतर से जीते थे.
जडेजा ने अब तक कोई भी विधानसभा चुनाव नहीं जीता है जबकि भावनगर के शाही परिवार से आने वाले गोहिल चार बार विधायक रह चुके हैं और पिछली कांग्रेस सरकार में मंत्री भी थे.
मांडवी सीट पर कुल मतदाता 2.24 लाख हैं. इनमें से मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 50,000, दलित मतदाता 31,000, पाटीदार मतदाता 25,000 और राजपूत मतदाता 21,000 हैं.
वर्ष 1960 में गुजरात के गठन के बाद से भाजपा इस सीट से सात बार जीती है जबकि कांग्रेस ने यहां से केवल चार बार ही जीत दर्ज की है.
जातिगत राजनीति का केंद्र बना गुजरात विधानसभा चुनाव
गुजरात में जातिगत आंदोलन के उभर कर सामने आने के बाद राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों के मूल में जाति व्यवस्था के बने रहने की संभावना है क्योंकि भाजपा और कांग्रेस सहित बड़े दलों ने इसी समीकरण को ध्यान में रख कर टिकटों का बंटवारा किया है.
भाजपा और कांग्रेस दोनो दलों ने जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर विधानसभा चुनाव के लिए टिकटें बांटे हैं. पाटीदार और अन्य पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को दोनों दलों ने अधिकतर सीटों पर मैदान में उतारा है.
राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने इस बार 50 पाटीदार उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस के 41 उम्मीदवार इस समुदाय से हैं. भाजपा ने अन्य पिछड़े वर्ग के 58 उम्मीदवारों को टिकट दिया है जबकि कांग्रेस के इस वर्ग से 62 प्रत्याशी मैदान में हैं.
गुजरात में मुख्य विपक्षी दल ने चुनावों के लिए 14 दलितों को टिकट दिया है तो कांग्रेस ने 13 ऐसे उम्मीदवार उतारे हैं. राजनीतिक पंडितों की मानें तो जिस पार्टी को अतिरिक्त चार से पांच फीसदी मत मिलेगा वही दल राज्य में इस राजनीतिक लड़ाई जीतेगा.
भाजपा इस चुनाव में हारना नहीं चाहती है और जबकि कांग्रेस उन जातियों को अपनी आकर्षित करने का भरसक प्रयास कर रही है जो नाराज हैं और वोट शेयर के अंतर को कम कर सकते हैं.
चार से पांच फीसदी वोट की अदला-बदली गेम चेंजर साबित होगी
राजनीतिक विश्लेषक अच्युत याग्निक के अनुसार केवल चार से पांच फीसदी वोट की अदला-बदली कांग्रेस के लिए गेम चेंजर साबित होगी. याग्निक कहते हैं, अगर आप 2002, 2007 तथा 2012 के चुनावों में वोट की हिस्सेदारी पर नजर डालें तो हर बार कांग्रेस को तकरीबन 40 फीसदी जबकि भाजपा को 49 प्रतिशत वोट मिले हैं. इस बार अगर चार से पांच फीसदी वोटों की स्वैपिंग होती है तो इससे कांग्रेस को बडा फायदा होगा.
उन्होंने कहा, गुजरात की राजनीति के मूल में जातिगत व्यवस्था अभी भी बरकरार है और इसी के आधार पर टिकटों का बंटवारा भी किया गया है.
गुजरात में पिछले दो दशक से भारतीय जनता पार्टी को शहरी तथा ग्रामीण इलाके में पाटीदारों का समर्थन मिल रहा है. पाटीदार को आरक्षण देने की मांग करते हुए हार्दिक पटेल के आंदोलन के बाद ऐसा लगता है कि व्यवस्था में अब जातिगत समीकरण बदल चुका है. पाटीदार आंदोलन के प्रतिउत्तर में ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर ने भी एक जवाबी आंदोलन किया था.
गुजरात में लंबे समय से सत्ता पर काबिज भाजपा सरकार जब इन नेताओं को शांत करने की कोशिश कर रही थी, उसी समय ऊना में एक दलित की पिटाई के कारण जिग्नेश मेवाणी ने दलितों के मामले को लेकर सत्तारूढ़ दल के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया.
अल्पेश ठाकोर पहले ही कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं और पटेल तथा मेवाणी विपक्षी दल के बहुत करीब हैं. इन नेताओं ने अपने संबंधित समुदाय से भाजपा के पक्ष में वोट नहीं करने की अपील की है.
एक अनुमान के मुताबिक गुजरात की छह करोड़ जनसंख्या में पाटीदारों का हिस्सा 11 से 12 फीसदी है जबकि मध्य गुजरात और सौराष्ट्र में ओबीसी लगभग 40 फीसदी हैं.
भारतीय जनता पार्टी विधानसभा की सभी 182 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जबकि कांग्रेस ने छह सीटों पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं. पार्टी ने इनमें से पांच भारतीय ट्राइबल पार्टी के लिए और एक सीट मेवाणी के लिए छोड़ी है. मेवाणी आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में हैं.
अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी
राजनीतिक विश्लेषक घनश्याम शाह कहते हैं कि इस समय कांग्रेस बढ़त पर है. लेकिन अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि समूचा पाटीदार अथवा ओबीसी समुदाय विपक्षी दल के पक्ष में वोट करेगा.
शाह ने कहा, हार्दिक और अल्पेश कहीं न कहीं व्यक्तिगत लड़ाई लड़ रहे हैं. यद्यपि उन लोगों ने अपना समर्थन कांग्रेस को देने का ऐलान किया है. हमें ऐसा नही मानना चाहिए कि पाटीदार और ओबीसी के सभी वोट कांग्रेस के पक्ष में पड़ेंगे.
उन्होंने कहा, हालांकि, मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि 2012 की अपेक्षा कांग्रेस अभी ज्यादा मजबूत स्थिति में है. वडगाम सीट से उम्मीदवार नहीं उतार कर कांग्रेस ने मेवाणी को परोक्ष रूप से समर्थन दिया है लेकिन शाह ने दावा किया है कि दलित मतों का दूसरे पक्ष में जाने से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
उन्होंने कहा, दलितों की जनसंख्या गुजरात में केवल सात फीसदी है और वे बिखरे हुए हैं. सुरक्षित सीट पर भी उनकी संख्या 10 से 11 फीसदी ही है. एक अन्य राजनीतिक विश्लेषक हरि देसाई का मानना है कि भाजपा के लिए अपने वोट बैंक पाटीदारों को अपने साथ रख पाना चुनौती होगी.
इस बार कांग्रेस ने छह मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं जबकि भाजपा ने इस समुदाय से एक भी व्यक्ति को टिकट नहीं दिया है.
गुजरात चुनाव में भ्रामक विज्ञापनों से बचें उम्मीदवार: चुनाव आयोग
चुनाव आयोग ने गुजरात विधानसभा चुनाव में उम्मीदवरों द्वारा प्रिंट मीडिया में विरोधी उम्मीदवारों के प्रति भ्रामक और अपमानजनक विग्यापन प्रकाशित किए जा सकने की आशंकाओं पर संज्ञान लेते हुए राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से इस तरह के विज्ञापन जारी कराने से बचने को कहा है.
आयोग के अवर सचिव पवन दीवान ने इस आशय की शिकायतों के हवाले से सोमवार को गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को अवगत कराते हुए भ्रामक विज्ञापनों पर रोक सुनिश्चित करने को कहा है.
उन्होंने कहा कि इस बारे में मिली जानकारी के मुताबिक उम्मीदवार मतदान से ठीक पहले या मतदान के दिन अखबारों में भ्रामक और अपमानजनक विज्ञापन जारी करने की पुरानी परिपाटी को देखते हुए इस बार भी इसे दुहरा सकते हैं. अक्सर ये विज्ञापन ऐसे समय जारी होते हैं, जिनसे प्रभावित होने वाले उम्मीदवारों को इनका खंडन प्रकाशित करने का भी अवसर नहीं मिल पाता है.
आयोग ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को इस तरह के विज्ञापनों के प्रकाशन पर रोक सुनिश्चत करने का निर्देश देते हुए किसी भी राजनीतिक दल, उम्मीदवार या किसी अन्य संगठन द्वारा आगामी आठ और नौ दिसंबर को पहले एवं दूसरे चरण के मतदान के दिन पूर्व मंजूरी लिए बिना किसी भी विज्ञापन का प्रकाशन कराने से बचने का निर्देश दिया है.
साथ ही आयोग ने राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के विज्ञापनों को प्रकाशन से पहले मंजूरी देने वाली आयोग की राज्य और जिला स्तरीय समितियों को इस बारे में निर्धारित प्रक्रिया का सजगता से पालन करने को कहा है.
आयोग ने कहा कि राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी राजनीतिक दलों के अध्यक्ष, उम्मीदवारों और राज्य के प्रमुख अखबारों को आयोग के इस निर्देश से अवगत भी करा सकते हैं. दीवान ने इसका सख्ती से पालन सुनिश्चित कराने के लिए इसे तत्काल प्रभाव से लागू करते हुए इसका संचार माध्यमों से व्यापक पैमाने पर प्रचार करने को कहा है.
गुजरात में कांग्रेस की रणनीति अतिवाद की ओर जा रही है: नीतीश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की रणनीति पर सोमवार को प्रश्नचिन्ह्र लगाते कहा कि इस पार्टी की रणनीति अतिवाद की ओर जा रही हैं.
नीतीश ने पटना में लोक संवाद के बाद पत्रकारों से कहा, पता चला है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भी मुस्लिम समाज के लोगों को बहुत ही कम टिकट दिए हैं. गुजरात में अल्पसंख्यक समाज की कितनी आबादी है और कितने प्रतिशत को टिकट दिए गए हैं.
कांग्रेसियों द्वारा राहुल गांधी को जनेऊधारी हिंदू कहने के बारे में नीतीश ने कहा कि इसका मतलब यही निकलता है कि सामाजिक दृष्टिकोण से पिछड़े तबके के लोगों को आप दरकिनार कर रहे हैं. उन्होंने कहा, आप जरा सोचें कि क्या हो रहा है. राजनीति कहां पहुंच गई है.
नीतीश ने कहा कि भाजपा पर यह लोग आरोप लगाते हैं और खुद ही अतिवाद की ओर जा रहे हैं और इतना डर गए हैं कि अपने मंच पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भाषण भी नहीं देने देते हैं.
उन्होंने कहा कि ऐसा करने से चुनाव में कोई फायदा नहीं मिलने वाला. गुजरात के लोगों को इस बात का गौरव नहीं है कि उनकी धरती का पुत्र देश का प्रधानमंत्री है. ऐसे में क्या वे उनसे अलग वोट करेंगे. नीतीश ने दावा किया कि गुजरात में भाजपा ही चुनाव जीतेगी और मजबूती से जीतेगी.
राहुल के गुजरात दौरे के दौरान मंदिरों का भ्रमण करने के बारे में पूछे जाने पर नीतीश ने कहा, अब आप सोच लीजिए. वोट के लिए तो लोग कहीं भी चले जाएंगे. वैसे हमारा कोई ऐतराज नहीं है कि कोई मंदिर, मस्जिद, मजार पर जाए. हम तो शुरू से इसके हिमायती रहे हैं. सब लोगों को जाना चाहिए… यह सब व्यक्तिगत विश्वास और आस्था की बात है लेकिन कभी कभी ऐसे मौके देखे हैं कि उसको आप एक चुनावी तरीका बना लेते हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)