असम: संरक्षित जंगल में बटालियन यूनिट के निर्माण को लेकर विवाद

हैलाकांडी ज़िले की बराक घाटी में कमांडो बटालियन मुख्यालय के लिए 44 हेक्टेयर संरक्षित वन भूमि के डायवर्जन की वैधता पर सवाल उठा है. आरोप है कि निर्माण की अनुमति देने के लिए वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के तहत अनिवार्य प्रक्रियाओं को नज़रअंदाज़ किया गया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर. (फोटो साभार: Arjun MC/Unsplash)

नई दिल्ली: असम में एक वन अधिकारी ने पड़ोसी मिज़ोरम के मिज़ो लोगों द्वारा अतिक्रमण को रोकने के लिए एक संरक्षित जंगल में कमांडो बटालियन यूनिट द्वारा निर्माण की अनुमति दी थी.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इसको लेकर स्थानीय संरक्षणवादियों के बीच हंगामा मच गया, जिससे केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को इस साल मार्च में नोटिस लेने और राज्य सरकार को तुरंत निर्माण रोकने का निर्देश देने के लिए मजबूर होना पड़ा.

डाउन टू अर्थ के मुताबिक, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 14 मार्च, 2024 को असम सरकार को चेतावनी दी थी कि यदि मामले के लंबित रहने के दौरान बराक घाटी में वन भूमि पर राज्य अधिकारियों द्वारा कोई अवैध निर्माण किया जाता है, तो वे ऐसा अपने जोखिम और लागत पर करेंगे.

आवेदक के वकील ने उन तस्वीरों का हवाला दिया था जो दिखाती हैं कि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कंक्रीट की स्थायी संरचनाएं बनाई जा रही हैं. केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कहा था कि राज्य से अपेक्षित जानकारी प्राप्त हो गई है और मंत्रालय दो सप्ताह के भीतर न्यायाधिकरण के समक्ष हलफनामा दाखिल करेगा, जिसमें अपना रुख स्पष्ट किया जाएगा.

स्वत: संज्ञान से पंजीकृत आवेदन में बराक घाटी में कमांडो बटालियन मुख्यालय के लिए 44 हेक्टेयर संरक्षित वन भूमि के डायवर्जन की वैधता का मुद्दा उठाया गया था. इसमें आरोप यह था कि असम के हैलाकांडी जिले में आरक्षित वन की आंतरिक रेखा के अंदर द्वितीय असम कमांड बटालियन यूनिट मुख्यालय के निर्माण के उद्देश्य से वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के तहत अनिवार्य प्रक्रियाओं को पारित करके इसका निर्माण किया जा रहा है.

नॉर्थईस्ट नाउ के मुताबिक, पिछले साल दिसंबर में एक पर्यावरण कार्यकर्ता ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें असम सरकार के शीर्ष वन अधिकारी पर बराक घाटी में कमांडो बटालियन मुख्यालय के लिए 44 हेक्टेयर संरक्षित वन भूमि को अवैध रूप से स्थानांतरित करने का आरोप लगाया गया था.

शिकायत में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) और वन बल के प्रमुख (एचओएफएफ) एमके यादव के खिलाफ दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि उन्होंने निर्माण की अनुमति देने के लिए वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के तहत अनिवार्य प्रक्रियाओं को नजरअंदाज कर दिया. द्वितीय असम कमांडो बटालियन यूनिट का मुख्यालय हैलाकांडी जिले में इनर लाइन आरक्षित वन के अंदर है.

यह परियोजना असम पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन द्वारा क्रियान्वित की जा रही थी.

1877 में स्थापित इनर लाइन आरक्षित वन, 1,10,000 हेक्टेयर का विशाल क्षेत्र है जो अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है, जिसमें हूलॉक गिब्बन, स्लो लोरिस और क्लाउडेड तेंदुए जैसी लुप्तप्राय प्रजातियां शामिल हैं. यह जंगल हाथियों, बाघों और विभिन्न प्रकार के पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण आवास है.

शिकायत में बताया गया था कि कैसे जुलाई 2022 में असम कैबिनेट ने राज्य भर में छह कमांडो बटालियन स्थापित करने का फैसला किया, जिसमें से एक यूनिट इनर लाइन रिजर्व फॉरेस्ट के लिए रखी गई थी. क्षेत्र की संरक्षित स्थिति के बावजूद डीएफओ हैलाकांडी ने एचओएफएफ और पीसीसीएफ यादव के कथित समर्थन से परियोजना के लिए 44 हेक्टेयर वन भूमि सौंपने की अनुमति दी.

शिकायतकर्ता का तर्क था कि यादव ने वन संरक्षण अधिनियम की ‘भ्रामक व्याख्या’ की और डायवर्जन को सही ठहराने के लिए कमांडो यूनिट को ‘वन संरक्षण की सहायक’ गतिविधि के रूप में गलत तरीके से वर्गीकृत किया. उन्होंने आगे पीसीसीएफ पर अनुमति देने से पहले राज्य या केंद्र सरकार से परामर्श करने में विफल रहने का आरोप लगाया, जैसा कि कानून द्वारा अनिवार्य है.

उन्होंने कहा था सैटेलाइट इमेजरी से पता चलता है कि निर्माण संभवतः पीसीसीएफ और एचओएफएफ के निर्देशों के तहत आधिकारिक अनुमति से पहले शुरू हुआ था.

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