राजनयिक कम करने के बाद कनाडा ने भारतीय मिशनों में लगे स्थानीय कर्मचारियों की कटौती की

भारत में कनाडा के उच्चायोग ने कहा कि देश में सुचारु संचालन के लिए उपलब्ध कनाडाई कर्मचारियों की कमी को देखते हुए यह कठिन लेकिन ज़रूरी निर्णय था. बयान के मुताबिक, स्थानीय कर्मचारियों की संख्या भारत में बचे लगभग 20 राजनयिकों से अधिक है.

दिल्ली स्थित कनाडा उच्चायोग. फोटो साभार: Krokodyl/CC BY-SA 3.0

नई दिल्ली: कनाडा द्वारा भारत से अपने दो-तिहाई से अधिक राजनयिकों को वापस बुलाने के पांच महीने से अधिक समय बीतने के बाद, कनाडाई सरकार ने भारत में अपने मिशनों में लगे स्थानीय कर्मचारियों की संख्या कम कर दी है. इसक कदम के पीछे इन कर्मचारियों की देखरेख के लिए सुपरवाइज़ कर सकने वाले कर्मियों की कमी का हवाला दिया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले अक्टूबर में भारत सरकार द्वारा राजनयिक प्रतिनिधित्व पर ‘समानता’ की मांग के बाद कनाडा को भारत से अपने 41 राजनयिकों को वापस बुलाना पड़ा था. भारत ने कनाडा के आरोपों की आलोचना की थी, जिसमें एक कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारतीय एजेंट की बात कही गई थी.

मालूम हो कि इस आदेश के बाद से ही नई दिल्ली में उच्चायोग और मुंबई, चंडीगढ़ और बेंगलुरु में तीन वाणिज्य दूतावास लगभग 21 कनाडाई राजनयिकों के साथ काम कर रहे हैं.

द वायर को दिए एक बयान में कनाडाई उच्चायोग के मीडिया संबंधित कार्यालय ने कहा कि यह निर्णय कनाडाई राजनयिकों की वापसी के बाद लिया गया था.

गुरुवार (12 अप्रैल) रात को जारी बयान में इस बात की पुष्टि की गई कि कनाडा सरकार ने भारत में मिशनों के नेटवर्क में कुछ कर्मचारियों की कटौती की है. इसमें कहा गया कि देश में संचालन को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने और बनाए रखने के लिए उपलब्ध कनाडाई कर्मचारियों की कमी को देखते हुए भारत में मिशनों के नेटवर्क में कटौती का निर्णय कठिन लेकिन जरूरी था.

हालांकि, इसमें विशेष रूप से नौकरी से निकाले गए स्थानीय कर्मचारियों की संख्या का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह संख्या महत्वपूर्ण है.

बयान में संकेत दिया गया है कि लगभग 20 कनाडाई राजनयिकों का अब स्थानीय कर्मचारियों के बहुत अधिक अनुपात के साथ काम करना अस्वाभाविक था.

इसमें कहा गया है, ‘हम भारत में अपने स्थानीय कर्मचारियों के समर्पण और सेवा के लिए अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करना चाहते हैं.’

बयान में यह भी कहा गया है कि भारत में कनाडाई लोगों के लिए ‘मुख्य सेवाएं’, जिसे कांसुलर समर्थन और व्यवसाय विकास के रूप में वर्णित किया गया है, दी जाती रहेंगी ताकि दोनों देशों के नागरिक भारत और कनाडा के बीच लंबे समय से चले आ रहे संबंधों से लाभान्वित होते रहें.

कनाडाई उच्चायोग ने यह भी कहा कि कनाडा के ‘भारत में वीज़ा आवेदन केंद्र सामान्य रूप से काम कर रहे हैं.’

ज्ञात हो कि  राजनयिकों की सामूहिक वापसी के समय कनाडा ने अपने तीन वाणिज्य दूतावासों में सभी व्यक्तिगत सेवाओं को भी रोक दिया था.

भारत छोड़ने वाले 41 राजनयिकों में इमिग्रेशन, शरणार्थी और नागरिकता कनाडा (आईआरसीसी) के 22 कर्मचारी थे, जो विदेश यात्रा की देखरेख करने वाली कनाडा की संघीय संस्था है, वीज़ा संचालन की देखरेख के लिए अब केवल पांच कर्मचारी बचे हैं.

आईआरसीसी ने अक्टूबर में कहा था कि भारत के 89 प्रतिशत से अधिक वीज़ा आवेदन पहले ही उसके वैश्विक नेटवर्क के माध्यम से प्रोसेस किए जा चुके हैं, लेकिन आगाह किया था कि कर्मचारियों की कमी के कारण अब देरी होगी.

इस बीच, निज्जर, जिसे भारत ने खालिस्तानी आतंकवादी के रूप में प्रतिबंधित किया था, की हत्या का मुद्दा बुधवार को 2019 और 2020 में कनाडाई संघीय चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप की सार्वजनिक जांच में कनाडाई प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो की गवाही में सामने आया.

शुरुआत में चीन, ईरान और रूस पर ध्यान केंद्रित करने के बाद जांच आयोग ने भारत को भी इसमें शामिल करने के लिए अपना दायरा बढ़ाया था.

सितंबर 2023 में ट्रूडो ने कनाडा की संसद के निचले सदन को संबोधित करते हुए भारत सरकार के एजेंटों पर निज्जर की हत्या में संभावित संलिप्तता का आरोप लगाते हुए एक भारतीय राजनयिक को निष्कासित कर दिया था. इसके जवाब में आरोपों को सख्ती से खारिज करते हुए भारत ने भी एक कनाडाई राजनयिक को भी निष्कासित कर दिया था. इसके साथ ही कनाडाई लोगों के लिए सभी वीज़ा सेवाएं बंद कर दीं थी और ओटावा से भारत की राजनयिक उपस्थिति के अनुरूप अपने राजनयिकों की संख्या में भारी कमी लाने को कहा था.

अब इस सप्ताह ट्रूडो ने बुधवार को आयोग के समक्ष गवाही देते हुए कहा कि जो कोई भी दुनिया के किसी भी हिस्से से कनाडा आता है, उसके पास कनाडाई लोगों के समान अधिकार होने चाहिए, उन्हें अपने मूल देश से खतरों और प्रभाव से मुक्त होना चाहिए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे उनकी सरकार ने कनाडा के लोगों के अधिकारों की लगातार रक्षा की है, उन्होंने निज्जर की हत्या का मामला उदाहरण के तौर पर बताया.

उन्होंने कहा, ‘… और हम कनाडाई लोगों के लिए कैसे खड़े हुए हैं, जिसमें निज्जर की हत्या का बेहद गंभीर मामला भी शामिल है, जिसे मैंने संसद में उठाया था, यह कनाडाई लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हमारी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसके लिए इतने सारे लोगों ने महासागरों और महाद्वीपों को पार किया है.’

ट्रूडो ने बताया कि पिछली कंजर्वेटिव सरकार पर सवाल उठाना महत्वपूर्ण था. ‘यह मौजूदा भारत सरकार के साथ अपने बहुत मधुर संबंधों के लिए जानी जाती थी.’

उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार ‘कनाडा में अल्पसंख्यकों और बोलने के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा खड़ी रही है, भले ही इससे उनके गृह देशों को अच्छा न लगा हो.’

गौरतलब है कि भारत सरकार ने दावा किया था कि कनाडा ने अपनी धरती पर खालिस्तानी समूहों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं. हालांकि, कनाडा ने शिकायत की है कि भारत ने पर्याप्त जानकारी और सबूत उपलब्ध नहीं कराए हैं, जो कनाडा की कानूनी प्रणाली के अनुकूल हों.

उल्लेखनीय है कि हाउस ऑफ कॉमन्स में ट्रूडो के सवाल उठाने के दो महीने बाद अमेरिकी अभियोजकों ने एक भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के खिलाफ आरोपों का खुलासा किया था, जिसमें एक अज्ञात सरकारी अधिकारी को एक हिटमैन को काम पर रखकर न्यूयॉर्क में एक खालिस्तानी समूह के वकील की हत्या की विफल साजिश में शामिल किया गया था.

अमेरिकी अभियोग ने जून 2023 में निज्जर की हत्या को न्यूयॉर्क में हुई कथित साजिश से भी जोड़ा था.

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