नई दिल्ली: यूट्यूब द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की प्रभावकारिता से संबंधित वीडियो के तहत अतिरिक्त संदर्भ (Context) जोड़ना शुरू करने के महीनों बाद ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने ऐसे कुछ वीडियो के मॉनेटाइजेशन (वीडियो प्रसारण से आमदनी) पर अंकुश लगाना भी शुरू कर दिया है. इसका सीधा अर्थ यह है कि अब क्रिएटर्स को ऐसे कंटेंट से आने वाले विज्ञापन की राशि का अपना हिस्सा नहीं मिलेगा.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कम से कम दो क्रिएटर्स और स्वतंत्र पत्रकार- मेघनाद और सोहित मिश्रा – को हाल ही में यूट्यूब द्वारा ईवीएम और वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) मशीनों से संबंधित उनके कुछ वीडियो पर रखी गई मॉनेटाइजेशन पर बंदिश लगाने के बारे में चेताया है.
प्लेटफॉर्म ने इस निर्णय के लिए अपनी एडवरटाइजर-फ्रेंडली गाइडलाइंस का हवाला देते हुए कहा कि स्पष्ट रूप से गलत जानकारी देने वाले वीडियो एड रेवेन्यू (विज्ञापनों से मिलने वाले धन) के लिए पात्र नहीं हैं.
एनडीटीवी के में काम कर चुके मिश्रा के यूट्यूब चैनल- सोहित मिश्रा ऑफिशियल के 3.68 लाख से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं और न्यूज़लॉन्ड्री से जुड़े रहे और एक किताब के लेखक मेघनाद के चैनल पर 42,000 से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं.
सहित मिश्रा ने अखबार को बताया कि ईवीएम के विषय पर उनके चार वीडियो ‘लिमिटेड मॉनेटाइजेशन’ के तहत रखे गए हैं. मिश्रा के समीक्षा (review) के अनुरोध पर इनमें से केवल एक वीडियो के लिए मॉनेटाइजेशन को बहाल किया गया.
इसी तरह, प्लेटफॉर्म ने हाल ही में मेघनाद के चार लाइव-स्ट्रीम वीडियो के विज्ञापनों से होने वाली कमाई पर अंकुश लगा दिया. इनमें से प्रत्येक वीडियो, जो दो से तीन घंटे लंबा है, मेघनाद को ईवीएम पर दर्शकों के सवालों का जवाब देते हुए, 100% वीवीपैट गिनती के बारे में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर अपडेट साझा करते हुए और अन्य चीजों के अलावा चुनावी बॉन्ड पर चर्चा करते हुए दिखाया गया है.
उन्होंने कहा, ‘मैंने समीक्षा के लिए आवेदन किया है और अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. मुझे इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं पता कि ऐसा क्यों हुआ.’
हालांकि, यूट्यूब के अनुसार, सहित मिश्रा और मेघनाद के वीडियो के विज्ञापनों को इस आधार पर ब्लॉक कर दिया गया है कि उन्होंने विज्ञापनदाताओं के लिए निर्धारित दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया. सूत्रों का कहना है कि इन उल्लंघनों में सार्वजनिक मतदान प्रक्रियाओं, उम्र या जन्मस्थान के आधार पर राजनीतिक उम्मीदवार की पात्रता, चुनाव परिणाम और जनगणना भागीदारी के बारे में ‘स्पष्ट रूप से गलत जानकारी को बढ़ावा देना’ शामिल है जो ‘आधिकारिक सरकारी रिकॉर्ड’ के विपरीत है.
जब अखबार ने आधिकारिक टिप्पणी के लिए संपर्क किया गया, तो यूट्यूब के प्रवक्ता ने बताया, ‘यूट्यूब पर सभी चैनलों को हमारी कम्युनिटी गाइडलाइंस का पालन करना होगा. जो क्रिएटर विज्ञापनों के साथ अपने वीडियो से कमाई करना चाहते हैं, उनके लिए नियम और सख्त हैं और उन्हें हमारी एडवरटाइजर-फ्रेंडली गाइडलाइंस का भी पालन करना होगा. कोई भी दावा जो स्पष्ट रूप से गलत है और चुनावी या लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी या विश्वास को काफी हद तक कमजोर कर सकता है, हमारी नीतियों का उल्लंघन है. क्रिएटर्स की पृष्ठभूमि, राजनीतिक दृष्टिकोण, स्थिति या संबद्धता की परवाह किए बिना ये दिशानिर्देश लगातार लागू किए जाते हैं.’
यह कदम यूट्यूब द्वारा ईवीएम पर वीडियो में ‘कॉन्टेक्स्ट पैनल’ जोड़ने के कुछ ही महीने बाद उठाया गया है. ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष’ चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा उपायों पर प्रकाश डालने के अलावा, ईवीएम से संबंधित वीडियो के ठीक नीचे रखे गए कॉन्टेक्स्ट पैनल में एक लिंक देना भी शामिल है जो दर्शकों को FAQs पर ले जाता है, जिसमें मतदान प्रक्रिया और वोटिंग मशीनों के बारे में भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के बारे में बताया गया है. इसे चुनाव आयोग के अनुरोध के बाद पेश किया गया था.
अख़बार ने बताया है कि यह पूछे जाने पर कि क्या निर्वाचन आयोग ने यूट्यूब से भी ऐसे वीडियो को बंद करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया था, आयोग के एक प्रवक्ता ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
सहित मिश्रा के जिन तीन वीडियो को सवालों के घेरे में रखा गया है, उनमें से एक वीडियो ऐसा है जिसमें वे एक सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ, एक वरिष्ठ पत्रकार और टिप्पणीकार, एक राजनीतिक दल नेता और ईवीएम के बारे में एक अन्य क्रिएटर से बात करते हैं. चर्चा एक घंटे से अधिक समय तक चलती है और वीडियो का शीर्षक है: ‘ईवीएम, एकतरफा चुनाव आयोग और कमजोर लोकतंत्र पर सवाल’. 8 मार्च को अपलोड किए गए इस वीडियो को शनिवार तक 94,000 से अधिक बार देखा जा चुका था.
यूट्यूब की कार्रवाई के दायरे में आया एक अन्य वीडियो- ‘क्या भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हो रहे हैं?’ 25 मार्च को अपलोड किया गया था और इसे 40,000 से अधिक बार देखा गया है. इसमें मिश्रा सवाल करते हैं कि क्या चुनावों को वास्तव में स्वतंत्र और निष्पक्ष माना जा सकता है जब केंद्रीय एजेंसियां विपक्षी नेताओं और पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं और ईवीएम के बारे में चिंताओं को चुनाव आयोग द्वारा संबोधित नहीं किया गया है.
मिश्रा का तीसरा वीडियो ईवीएम बनाने वाले दो सार्वजनिक उपक्रमों में से एक- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के स्वतंत्र निदेशकों के रूप में नियुक्त भाजपा सदस्यों के बारे में है. इसमें मिश्रा पूर्व आईएएस अधिकारी ईएएस शर्मा द्वारा चुनाव आयोग को लिखे गए एक पत्र का हवाला देते हुए चुनाव आयोग से मामले में हस्तक्षेप करने के लिए कहते हैं. मिश्रा ने कहा कि वीडियो 30 जनवरी को अपलोड किया गया था और इसे 1.5 लाख से अधिक बार देखा जा चुका है और हाल ही में इसका मॉनेटाइजेशन सीमित किया गया था.
इसके अलावा, उन्होंने बताया कि ऐसे समय में जब सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट पर्चियों की 100% गिनती के मामले में नोटिस जारी किया है, ईवीएम और वीवीपैट पर चिंताओं के बारे में बात करने वाले उनके वीडियो को यूट्यूब द्वारा लिमिटेड मॉनेटाइजेशन पर रखा गया है. उन्होंने कहा, ‘ऐसे वीडियो पर मॉनेटाइजेशन की अनुमति नहीं देने से क्रिएटर्स ईवीएम पर वीडियो बनाना बंद कर देंगे.’
यूट्यूब के अनुसार, यूट्यूब से विज्ञापन रेवेन्यू पाने का पात्र होने के लिए एक चैनल में पिछले 12 घंटों में 4,000 वैलिड पब्लिक वॉच हॉर्स के साथ कम से कम 1,000 सब्सक्राइबर्स होने चाहिए या पिछले 90 दिनों में 10 लाख वैलिड पब्लिक शॉर्ट्स व्यूज के साथ 1,000 सब्सक्राइबर्स होने चाहिए.
एक बार जब कोई क्रिएटर मॉनेटाइजेशन पर स्विच करता है, तो एडवरटाइजर-फ्रेंडली दिशानिर्देश लागू होते हैं. कोई क्रिएटर कितना कमाता है, यह कई कारणों पर आधारित होता है, जिसमें सब्सक्राइबर की संख्या, वीडियो की अवधि में रखे जा सकने वाले विज्ञापनों की संख्या और कंटेंट का प्रकार शामिल है. यूट्यूब के एडवरटाइजर-फ्रेंडली दिशानिर्देश कहते हैं कि ऐसे वीडियो जिनका केंद्र बिंदु हिंसा, गाली-गलौज, एडल्ट कंटेंट और अन्य संवेदनशील विषय हैं, विज्ञापन के लिए बिल्कुल भी सही नहीं हो सकते हैं.
यूट्यूब का कहना है, ‘अपलोड प्रक्रिया के दौरान हम यह पता लगाने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग करते हैं कि कोई वीडियो हमारे दिशानिर्देशों को पूरा करता है या नहीं. हम निर्धारित लाइव स्ट्रीम की भी जांच करते हैं. स्ट्रीम लाइव होने से पहले हमारे सिस्टम टाइटल, विवरण, थंबनेल और टैग देखते हैं.’
यदि कोई वीडियो लिमिटेड मॉनेटाइजेशन पर है, तो क्रिएटर को उस पर यू्ट्यब द्वारा अर्जित कोई विज्ञापन रेवेन्यू नहीं मिल सकता, लेकिन वह यूट्यूब प्रीमियम भुगतान सेवा, सदस्यता और सुपरचैट से कमाई कर सकते हैं, हालांकि यह विज्ञापन रेवेन्यू से काफी कम हो सकता है.