नई दिल्ली: एक महीने से अधिक समय तक हिंसा में दिखी कमी के बाद मणिपुर में शुक्रवार को दो सशस्त्र समूहों के बीच एक ताजा गोलीबारी में कम से कम दो लोग घायल हो गए.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि यह घटना हेइरोक थाने से लगभग 30 किमी पूर्व में तेंगनौपाल और काकचिंग जिलों के आसपास के इलाकों में हुई.
तेंगनौपाल जिले में मुख्य रूप से आदिवासी समुदाय की बसाहट है, जिसमें ज़ो-कुकी समुदाय भी शामिल हैं, जबकि काकचिंग जिला मेईतेई के प्रभुत्व वाली घाटी में स्थित है.
बताया गया है कि लगभग 1 बजे पहाड़ियों से हथियारबंद बदमाशों ने घाटी क्षेत्र की ओर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी और ग्रामीण वालंटियर्स ने भी जवाबी कार्रवाई की. सुबह 8 बजे तक चली गोलीबारी में गांव का एक वालंटियर- 24 वर्षीय निंगथौजम जेम्स घायल हो गए, जिन्हें इंफाल के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
गोलीबारी की सूचना मिलने पर राज्य बलों की एक टीम पल्लेल से असम राइफल्स की एक टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रण में लाया गया.
दोपहर करीब 2.30 बजे कथित तौर पर पहाड़ियों और घाटी से दो सशस्त्र समूहों के बीच गोलीबारी फिर से शुरू हो गई, जिससे घाटी का एक और ग्रामीण वालंटियर घायल हो गया. घायल को नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जिसकी पहचान अभी तक नहीं हो पाई है.
कथित तौर पर गोलीबारी जारी होने के कारण क्षेत्र में अतिरिक्त बल भेजे गए हैं.
उल्लेखनीय है कि फरवरी के अंत में सशस्त्र समूहों ने इंफाल पूर्वी जिला पुलिस के अतिरिक्त एसपी के वांगखेई आवास पर हमला किया था.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, एक अन्य घटना में कुछ लोगों ने पल्लेल के पास एक आरा मशीन में आग लगा दी. उनमें से तीन को सुरक्षा बलों के तलाशी अभियान के दौरान गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने उनके पास से बंदूकें और गोला-बारूद बरामद किया.
मणिपुर की दो संसदीय सीटों के लिए दो चरणों में 19 और 26 अप्रैल को मतदान होगा.
मालूम हो कि 3 मई 2023 को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 200 से अधिक लोगों की जान चली गई है. यह हिंसा तब भड़की थी, जब बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था.
मणिपुर की आबादी में मेईतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नगा और कुकी समुदाय शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.