तेलंगाना: छात्रों के भगवा कपड़े पहनने पर विवाद के बाद धार्मिक संगठन का मिशनरी स्कूल पर हमला

घटना मंचेरियाल ज़िले के कन्नेपल्ली गांव में स्थित ब्लेस्ड मदर टेरेसा हाई स्कूल की है, जहां प्रिंसिपल फादर जैमन जोसेफ ने परिसर में धार्मिक पोशाक पहने कुछ छात्रों से पूछताछ की थी. इसके बाद एक धार्मिक संगठन के सदस्यों ने स्कूल में तोड़फोड़ की और संस्थान के कर्मचारियों के साथ मारपीट की. बताया गया है कि भीड़ ने फादर जैमन के माथे पर जबरन तिलक भी लगाया.

(फोटो साभार: वीडियो स्क्रीनग्रैब)

नई दिल्ली: तेलंगाना के मंचेरियाल जिले में एक मिशनरी स्कूल में कुछ छात्रों के ‘भगवा कपड़े’ पहनने पर शिक्षकों द्वारा कथित तौर पर आपत्ति जताने पर एक धार्मिक संगठन के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया, तोड़फोड़ और स्कूल  के कर्मचारियों के साथ मारपीट की.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रिंसिपल ने परिसर में धार्मिक पोशाक पहने कुछ छात्रों से पूछताछ की थी. छात्रों के माता-पिता की शिकायत के बाद पुलिस ने प्रिंसिपल समेत दो स्टाफ सदस्यों के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने से संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.

हैदराबाद से लगभग 250 किलोमीटर दूर कन्नेपल्ली गांव में ब्लेस्ड मदर टेरेसा हाई स्कूल के अधिकारियों ने कहा है कि केरल के रहने वाले प्रिंसिपल जैमोन जोसेफ ने दो दिन पहले देखा कि कुछ छात्र स्कूल में भगवा कपड़े पहनकर आए हैं. जब उन्होंने छात्रों से इस बारे में पूछा, तो उन्होंने जवाब दिया कि वे 21 दिवसीय अनुष्ठान हनुमान दीक्षा का पालन कर रहे हैं. इसके बाद प्रिंसिपल ने उनसे अपने माता-पिता को स्कूल लाने के लिए कहा ताकि वह इस पर चर्चा कर सकें.

मामला तब और बढ़ गया जब किसी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर दावा किया कि प्रिंसिपल कैंपस में ‘हिंदू पोशाक’ पहनने की इजाजत नहीं दे रहे हैं. इसके तुरंत बाद भीड़ ने स्कूल पर हमला कर दिया.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, एक धार्मिक समूह के सदस्यों ने स्कूल के बाहर विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया और हनुमान दीक्षा पोशाक का हवाला देकर छात्रों को स्कूल में प्रवेश करने और उनकी वार्षिक परीक्षाओं में बैठने से रोकने के लिए प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि भगवा कपड़े पहने लोग ‘जय श्रीराम’ के नारे लगा रहे हैं और खिड़की के शीशे तोड़ रहे हैं और डरे हुए शिक्षक हाथ जोड़कर उनसे रुकने का आग्रह कर रहे हैं. पुलिसकर्मी स्थिति को नियंत्रित करने और प्रदर्शनकारियों को स्कूल के गलियारों से हटाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं.

एक अन्य वीडियो में भीड़ को परिसर में मदर टेरेसा की मूर्ति पर पत्थर फेंकते हुए दिखाया गया है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ लोगों ने प्रिंसिपल जोसेफ को घेर लिया, उनकी पिटाई की और जबरन उनके माथे पर तिलक लगा दिया. प्रदर्शनकारियों ने स्कूल से माफ़ी मांगने की मांग की है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, स्कूल प्रबंधन ने स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मंचेरियल के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) अशोक कुमार ने कहा, ‘परीक्षाएं चल रही थीं. परीक्षा के बाद प्रिंसिपल ने छात्रों से कहा कि वे यूनिफॉर्म में आएं और अगर वे भगवा कपड़े पहनना चाहते हैं तो उन्हें इजाजत लेनी होगी. इससे माता-पिता भड़क गए. पहले भी प्रिंसिपल के खिलाफ कुछ शिकायतें थीं और यह बात अभिभावकों के मन में थी. उस दिन मंगलवार था और पास में एक मंदिर था और यह सब बढ़ गया और बर्बरता हुई.’

पुलिस के अनुसार, छात्र 41 दिनों की ‘हनुमान दीक्षा’ का पालन कर रहे थे.

पुलिस शिकायत में एक छात्र के माता-पिता ने कहा कि उनके बेटे और कक्षा 4 में पढ़ने वाले उसके दो सहपाठियों को ‘हनुमान माला दीक्षा’ पोशाक पहनने के कारण स्कूल में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई. उन्होंने आरोप लगाया कि स्कूल के कॉरेस्पांडेंट और प्रिंसिपल ने जानबूझकर उनकी धार्मिक भावनाओं का अपमान किया है और धर्मों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दे रहे हैं और सार्वजनिक शांति में खलल डाल रहे हैं.

स्कूल प्रशासन ने अपनी शिकायत में चार संदिग्धों और अन्य को स्कूल में जबरन घुसने, स्कूल कॉरेस्पांडेंट को गलत तरीके से रोकने, उसके साथ मारपीट करने और कक्षाओं की खिड़कियों को क्षतिग्रस्त करने का आरोप लगाया है.

उन्होंने कहा कि मदर टेरेसा की एक मूर्ति और द्वार क्षतिग्रस्त हो गए और 30,000 रुपये की संपत्ति के नुकसान का दावा किया गया.

स्कूल कॉरेस्पांडेंट फादर जैमन जोसेफ, जो स्कूल चलाने वाले मिशनरी कॉन्ग्रिगेशन ऑफ द ब्लेस्ड सैक्रामेंट (एमसीबीएस) के सदस्य हैं, ने कहा कि छात्रों को सोमवार को परीक्षा देने की अनुमति दी गई थी.

उन्होंने कहा, ‘यह एक गलत सूचना थी और सोशल मीडिया पर झूठी खबर फैलाई गई, जिसके कारण मंगलवार सुबह 500 से अधिक लोग स्कूल पहुंचे. स्कूल पर हमला लगभग चार घंटे तक जारी रहा और हमें संदेह है कि यह पूर्व नियोजित था.’

उन्होंने आगे कहा, ‘प्रिंसिपल ने सोमवार दोपहर छात्रों से कहा कि उन्हें भगवा कपड़े पहनकर आने की अनुमति लेनी होगी. अगर उनके माता-पिता ने हमें फोन भी किया होता तो हम अनुमति दे देते. मंगलवार की सुबह भी एक छात्र भगवा कपड़े में आया और हमने उस छात्र को नहीं रोका. तब तक एक बड़ी भीड़ स्कूल में आ गई और हम पर हमला कर दिया.’

पुलिस ने स्कूल प्रबंधन पर आईपीसी की धारा 153ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 295-ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य) के तहत मामला दर्ज किया है.

वहीं, तोड़फोड़ करने वालों पर आईपीसी की धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 427 (नुकसान पहुंचाने वाली शरारत), 452 (किसी को चोट पहुंचाने के इरादे से घर में घुसना), 506 (आपराधिक धमकी) और 143 (गैरकानूनी जमावड़ा) के साथ 149 (सामान्य उद्देश्य) के तहत मामला दर्ज किया गया है.