नई दिल्ली: राजस्थान के कोटा जिले में रविवार देर रात स्नातक मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (एनईईटी-नीट) की तैयारी कर रहे एक 20 वर्षीय छात्र की आत्महत्या से मौत हो गई. इसके साथ ही इस साल कोटा में आत्महत्या के मामलों की संख्या आठ तक पहुंच गई.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 28 अप्रैल को 19 वर्षीय नीट अभ्यर्थी ने कोटा में अपने पीजी कमरे में कथित तौर पर फांसी लगा ली. इसके एक दिन पहले 20 वर्षीय एक अन्य छात्र अपने पीजी में मृत पाया गया था.
कुन्हाड़ी थाने के एसएचओ अरविंद भारद्वाज के अनुसार, हरियाणा के रोहतक का रहने वाला छात्र रविवार को अपने छात्रावास में छत के पंखे से लटका हुआ पाया गया. घटना तब सामने आई जब उसने शाम तक अपना दरवाजा नहीं खोला और उसके माता-पिता ने वॉर्डन को सूचित किया कि वह उनके कॉल का जवाब नहीं दे रहा है.’
भारद्वाज ने कहा, ‘वॉर्डन ने पुलिस को बुलाया. कमरा अंदर से बंद था और कई बार दरवाजा खटखटाने के बाद भी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई, जिसके बाद पुलिस ने दरवाजा तोड़ दिया और उसे छत के पंखे से लटका हुआ पाया.
पुलिस ने कहा कि मौके से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ और छात्र के माता-पिता को सूचित कर दिया गया. मृतक एक साल से अधिक समय से कोटा के एक कोचिंग सेंटर में पढ़ रहा था और पिछले साल जुलाई में हॉस्टल में शिफ्ट हुआ था.
एसएचओ ने कहा, ‘शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) टीम को बुलाया गया है. हम जांच कर रहे हैं कि क्या व्यवहार में कोई बदलाव आया था. हम यह भी जांच कर रहे हैं कि छात्रावास ने जिला प्रशासन के दिशानिर्देशों के अनुसार स्प्रिंग-लोडेड पंखे क्यों नहीं लगाए.’
भारद्वाज ने कहा कि पुलिस द्वारा दिशानिर्देशों के उल्लंघन पर रिपोर्ट सौंपने के बाद छात्रावास प्राधिकरण के खिलाफ जांच शुरू की जाएगी.
मालूम हो है कि पिछले साल छात्रों में आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं के बीच जिला प्रशासन ने 18 अगस्त को सभी छात्रावासों और पीजी आवासों को छात्रों को मानसिक सहायता और सुरक्षा प्रदान करने के लिए सभी कमरों में स्प्रिंग-लोडेड पंखे लगाने का आदेश दिया था.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले बीते 26 मार्च को नीट की तैयारी कर रहे एक 20 वर्षीय छात्र की आत्महत्या से मौत हो गई. मृतक उत्तर प्रदेश के कन्नौज का रहने वाला था.
उससे पहले 8 मार्च को बिहार का एक 16 वर्षीय छात्र, जो इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) की तैयारी कर रहा था, ने कोटा में आत्महत्या कर ली. बीते 19 फरवरी को मध्य प्रदेश का 16 वर्षीय जेईई अभ्यर्थी, जो कोटा में पढ़ रहा था और 10 दिनों से अधिक समय तक लापता रहा, चंबल वन क्षेत्र में मृत पाया गया था. पुलिस ने कहा कि 13 फरवरी को जेईई-मेन के पहले संस्करण में शामिल होने वाले छत्तीसगढ़ के एक 16 वर्षीय छात्र की कोटा जिले में आत्महत्या से मृत्यु हो गई थी. पुलिस ने कहा था कि ऐसा लगता है कि उसे परीक्षा में बहुत कम अंक मिले थे.
29 जनवरी को कोटा की एक 18 वर्षीय छात्रा की जेईई-मेन परीक्षा से कुछ दिन पहले आत्महत्या से मौत हो गई थी. उसने अपने माता-पिता के लिए एक कथित नोट छोड़ दिया था जिसमें उन्होंने लिखा था, वह अंतिम उपाय के रूप में यह कदम उठा रही है, क्योंकि वह जेईई नहीं कर सकती.
इससे पहले अखिल भारतीय प्री-मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद का एक 19 वर्षीय छात्र 23 जनवरी को शहर के अपने हॉस्टल के कमरे में मृत पाया गया था.
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, वर्ष 2023 में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे 26 छात्रों ने आत्महत्या की थी, जो 2015 के बाद से सबसे अधिक है.
पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, कोटा में 2022 में 15, 2019 में 18, 2018 में 20, 2017 में 7, 2016 में 17 और 2015 में 18 छात्रों की मौत आत्महत्या से हुई है. 2020 और 2021 में छात्रों की आत्महत्या का कोई मामला सामने नहीं आया था, क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण कोचिंग संस्थान बंद हो गए थे या ऑनलाइन मोड पर चल रहे थे.