रोहित वेमुला केस में क्लोज़र रिपोर्ट देने के बाद तेलंगाना पुलिस ने ‘और जांच’ की बात कही

रोहित वेमुला आत्महत्या मामले में तेलंगाना पुलिस की क्लोज़र रिपोर्ट में सभी आरोपियों को ‘क्लीन चिट’ दी गई है. साथ ही ये दावा किया गया कि रोहित वेमुला दलित नहीं थे और उन्होंने अपनी ‘असली पहचान’ ज़ाहिर हो जाने के डर से आत्महत्या की थी.

रोहित वेमुला. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: हैदराबाद विश्वविद्यालय के पीएचडी स्कॉलर रोहित वेमुला की मौत के मामले में क्लोजर रिपोर्ट दायर होने के कुछ ही घंटों बाद तेलंगाना पुलिस ने खुद बयान जारी कर कहा कि इस मामले की दोबारा जांच की जाएगी और इस संबंध में हाईकोर्ट में याचिका भी डाली जाएगी.

रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना पुलिस के डीजीपी रवि गुप्ता ने कहा कि पहले हुई जांच पर रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला और उनके करीबियों के सवाल उठाए जाने पर तेलंगाना पुलिस की ओर से यह फैसला लिया गया है.

मालूम हो कि हैदराबाद सेंट्रल विश्वविद्यालय में 17 जनवरी 2016 को 26 वर्षीय दलित छात्र रोहित वेमुला ने आत्महत्या कर ली थी. इस मामले में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री और सिंकदराबाद के तत्कालीन सांसद बंडारू दत्तात्रेय, एमएलसी एन. रामचंदर राव, हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति अप्पा राव और और तत्कालिन मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी को अभियुक्त बनाया गया था.

हाल ही में इस मामले में तेलंगाना पुलिस की क्लोज़र रिपोर्ट सामने आई, जिसमें सभी आरोपियों को ‘क्लीन चिट’ दी गई थी. साथ ही ये दावा किया गया कि रोहित वेमुला दलित नहीं थे और उनकी मां ने फर्ज़ी प्रमाण पत्र बनवाया था. पुलिस की इस रिपोर्ट को लेकर भारी रोष देखने को मिला. साथ ही रोहित के परिवारवालों ने भी कई सवाल उठाए हैं.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रोहित दलित नहीं थे और उन्होंने अपनी ‘असली पहचान’ जाहिर होने के डर से आत्महत्या की थी. इसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि परिवार के जाति प्रमाणपत्र बिना किसी सबूत के जाली तरह से बनाए गए थे. दिलचस्प बात यह है कि यह रिपोर्ट तेलंगाना में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के चार महीने बाद आई है.

ध्यान रहे कि आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के सदस्य रोहित को विश्वविद्यालय में दलित छात्रों के अधिकार और न्याय के लिए संघर्ष करने वाले छात्र के तौर पर जाना जाता है. रोहित की आत्महत्या से पहले उन्हें और चार अन्य दलित छात्रों को विश्वविद्यालय के हॉस्टल से बाहर निकाल दिया गया था, उन्हें मेस भी इस्तेमाल नहीं करने दिया गया था. इस आत्महत्या मामले में एससी-एसटी कानून के तहत भी मामला दर्ज किया गया था.

डीजीपी के अनुसार जिस रिपोर्ट का हवाला दिया जा रहा है वो 2018 में तैयार की गई थी और उसे जांच अधिकारी के सामने 21 मार्च 2024 को पेश किया गया था.

बहरहाल, तेलंगाना में लोकसभा चुनाव के लिए 13 मई को मतदान होने हैं और ऐसे में ठीक दस दिन पहले ये रिपोर्ट जारी की गई है.

ज्ञात हो कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2016 में  ‘जस्टिस फॉर वेमुला अभियान’ को अपना समर्थन दिया था. साथ ही, अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अल्पसंख्यकों के लिए ‘शिक्षा और सम्मान के अधिकार की रक्षा’ के लिए कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद रोहित वेमुला नाम से एक कानून बनाने का भी वादा किया था.

इसके अलावा राहुल गांंधी ने अपनी हालिया ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान रोहित की मां राधिका वेमुला को कांग्रेस में शामिल होने के लिए आमंत्रित भी किया था.