नई दिल्ली: पिछले एक साल के दौरान मणिपुर में पुलिस शस्त्रागार से लूटे गए कई हथियार और विस्फोटक अभी भी बरामद नहीं किए गए हैं. अधिकारियों द्वारा हथियार आत्मसमर्पित करने की बार-बार अपीलों और बरामदगी अभियानों के बावजूद, कई अत्याधुनिक हथियार अभी भी गैरकानूनी तत्वों के हाथों में हैं, जिससे राज्य में मुश्किलें पैदा हो रही है.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सेना ने बिष्णुपुर जिले के सादु कबुई गांव के पास खुजोई रोक नाला से बड़ी मात्रा में अवैध हथियार, गोला-बारूद और युद्ध में इस्तेमाल होने वाली अन्य सामग्री बरामद की थी. अधिकारियों ने एक 9 एमएम कार्बाइन मशीन गन, एक स्टेन गन एमके-2, एक .303 राइफल, एक 9 एमएम पिस्तौल, एक दंगा-रोधी बंदूक, 14 ग्रेनेड, गोला-बारूद और अन्य युद्ध सामग्री बरामद किए थे.
रिपोर्ट के मुताबिक, जमीनी सूत्रों के हवाले से मिली विशिष्ट जानकारी के आधार पर सेना, एसएसबी और मणिपुर पुलिस के साथ मिलकर अवैध हथियार और गोला-बारूद बरामद करने के लिए संयुक्त अभियान चला रही है.
इसी तरह फरवरी के आखिरी हफ्ते में, मणिपुर पुलिस ने चूड़ाचांदपुर जिले के दो गांवों में तलाशी अभियान के दौरान भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक बरामद किए थे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने डी हाओलेंजांग गांव के बाहरी इलाके से चार फायरआर्म्स (बंदूक आदि), लंबी दूरी तक वार करने वाला मोर्टार और गोला-बारूद जब्त किए थे.
फरवरी में लगभग उसी समय, एक अन्य तलाशी अभियान के दौरान एक पुलिस टीम ने चूड़ाचांदपुर जिले के मोलजंग गांव से 10 बंदूकें, आठ जिलेटिन की छड़ें और गोला-बारूद बरामद किए. फरवरी में इसी तरह के तीसरे ऑपरेशन में इंफाल पश्चिम जिले के कीसंपत जंक्शन से तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था, और उनके कब्जे से दो एसएलआर राइफलें जब्त की गईं थीं.
पिछले साल 3 मई को जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से मणिपुर में बार-बार हथियारों की लूट देखी गई. राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह द्वारा अप्रैल के पहले सप्ताह में जारी बयान के अनुसार, पुलिस ने हिंसा के शुरुआती दिनों के दौरान मणिपुर पुलिस के शस्त्रागार से लूटे गए लगभग 5,600 हथियारों और 6.5 लाख कारतूस में से 1,757 हथियार और 22,707 गोला-बारूद बरामद कर लिए थे.
इन हथियारों ने मणिपुर में जारी हिंसा को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है. जब द वायर की टीम 2023 में, मई के आखिरी सप्ताह और जून के पहले सप्ताह में मणिपुर में थी, तब हमने पाया था कि कर्फ्यू के बावजूद कई गाड़ियों में काले कपड़े पहने कई लोग समूहों में थे, जिनके पास अत्याधुनिक हथियार थे.
राज्य के विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कुछ एफआईआर से यह पता चलता है कि असामाजिक तत्वों ने कौन-कौन से हथियार लूटे हैं. उन एफआईआर के अनुसार, लूटपाट की अधिकांश घटनाएं रात के अंधेरे में नहीं, बल्कि दोपहर के बाद या शाम को भी हुईं हैं.