संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता से जुड़े प्रस्ताव पर भारत ने फिलिस्तीन के समर्थन में किया वोट

193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा के नौ देशों ने प्रस्ताव के विरोध में वोट किया, जिसमें अमेरिका और इज़रायल भी शामिल थे.

(फोटो साभार: यूएन वेबसाइट/news.un.org)

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएन) में भारत ने फ़िलिस्तीन का समर्थन किया है. फ़िलिस्तीन संयुक्त राष्ट्र का स्थायी सदस्य बनाए जाने के योग्य है या नहीं इसे लेकर 10 मई को यूएन में एक प्रस्ताव पेश किया गया था. भारत समेत यूएन के 143 देशों ने फिलिस्तीन के पक्ष में वोट किया है. वहीं नौ ने विरोध में वोटिंग की, जिसमें अमेरिका और इजरायल भी शामिल थे. 25 देशों ने वोटिंग से दूरी बनाई. संयुक्त राष्ट्र में कुल 193 देश शामिल हैं.

इस वोटिंग से फ़िलिस्तीनियों को संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता नहीं मिली है, बल्कि उन्हें शामिल करने के योग्य मान लिया गया है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को इस मामले पर उचित तरीके से पुनर्विचार करने की सिफारिश की गई है. पुनर्विचार इसलिए क्योंकि अमेरिका ने पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो कर दिया था.

पूर्ण सदस्य होने के फायदे

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर फिलिस्तीन संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य बन जाता है तो उसे कुछ विशेष अधिकार मिल जाएंगे. जैसे- फिलिस्तीन सितंबर 2024 से असेंबली हॉल में संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के बीच बैठ सकेगा. हालांकि, तब भी उसके पास यूएन के किसी प्रस्ताव पर वोट करने का अधिकार नहीं होगा.

एक महीने पहले अल्जीरिया के प्रस्ताव पर अमेरिका ने किया था वीटो

18 अप्रैल को अल्जीरिया ने संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्यता देने का प्रस्ताव पेश किया था. प्रस्ताव पर वोटिंग हुई थी. लेकिन अमेरिका के वीटो के बाद फिलिस्तीन यूएन का स्थायी सदस्य नहीं बन सका था. हालांकि संभावना थी कि अमेरिका इस बार फिर से वीटो करेगा.

डीडब्ल्यू के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के उप-राजदूत रॉबर्ट वुड ने पहले ही कह दिया था कि बाइडेन सरकार इस प्रस्ताव का विरोध करेगी.

अगर फिलिस्तीन संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य बनता है तो आगे चलकर उसे एक देश के तौर पर स्वीकार करना पड़ सकता है. अमेरिका का करीबी दोस्त इजराइल ऐसा कभी नहीं चाहेगा. हालांकि, फिलिस्तीन 2012 से संयुक्त राष्ट्र में एक नॉन वोटिंग ऑब्जर्वर रहा है.

फिलिस्तीन ने मांगा था समर्थन

शुक्रवार की वोटिंग से पहले यूएन में फिलिस्तीन के राजदूत रियाद मंसूर ने संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 देशों से समर्थन मांगा था. अल जजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मंसूर ने कहा था कि अगर आप हमारी स्वतंत्रता को समर्थन नहीं देंगे, तो इसका मतलब यह होगा कि आप शांति के समर्थक नहीं हैं.


11 मई को स्टेट ऑफ फिलिस्तीन के आधिकारिक एक्स हैंडल से शेयर किए गए एक वीडियो में मंसूर यह कहते नजर आ रहे हैं, ‘हम कई देशों के साथ उनके द्वारा सहे गए कष्ट, उनके द्वारा किए गए संघर्ष, उनके द्वारा देखे गए सपनों को साझा करते हैं. आप फिलिस्तीन की कहानी के गवाह रहे हैं, और आप इसे केवल अपने ही लोगों की मुक्ति की यात्रा के चश्मे से देख सकते हैं.’